Christmas Day 2023: सेंट फ्रांसिस चर्च देगा प्रकृति संरक्षण का संदेश... क्रिसमड पर इस बार सजेगी यहां विशेष झांकी

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
On

कानपुर में सेंट फ्रांसिस चर्च देगा प्रकृति संरक्षण का संदेश।

कानपुर में सेंट फ्रांसिस चर्च प्रकृति संरक्षण का संदेश देगा। क्रिसमस पर इस बार विशेष झांकी यहां सजेगी। शहर का यह सबसे बड़ा चर्च माना जाता है।

कानपुर, अमृत विचार। क्रिसमस पर इस बार अशोक नगर स्थित सेंट फ्रांसिस जेवियर्स चर्च में प्रकृति को बचाने का संदेश दिया जाएगा। चर्च में इसी थीम पर झांकी सजाई जा रही है। 1944 स्थापित इस चर्च में क्रिसमस के कार्यक्रम 24 दिसंबर की शाम से शुरू हो जाएंगे। 

सेंट फ्रांसिस जेवियर्स चर्च के पदाधिकारियों ने बताया कि यहां हर साल एक अलग थीम पर झांकी को सजाया जाता है। इस बार झांकी के माध्यम से बाइबल का यह संदेश दिया जाएगा कि प्रभु ने प्रकृति की सुरक्षा इंसान को सौंपी है। ऐसे में प्रकृति और पर्यावरण की सुरक्षा करना सभी की जिम्मेदारी होनी चाहिए।

झांकी के माध्यम से प्रकृति की ओर से दिए गए उपहारों को भी दर्शाया जाएगा। इसके अलावा ऐसे जीव भी दर्शाए जाएंगे जो प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। झांकी में स्वचलित झरने, फव्वारे और नदियों के दृश्य संजोए जाएंगे। 24 दिसंबर की रात से ही चर्च में विशेष समारोह शुरू होंगे। इनमें प्रार्थना सभा शामिल है। यह समारोह 24 की रात 11:30 बजे से शुरू होंगे।  

1944 में स्थापित हुआ चर्च

इस चर्च की स्थापना वर्ष 1944 में हुई थी।  उस समय शहर के इस इलाके में कोई चर्च नहीं था। प्रार्थना करने के लिए लोगों को काफी दूर सिविल लाइंस तक जाना पड़ता था।  

सबसे बड़ा सभा हॉल

फादर दीपक ऑज्वल्ड डिसूजा ने बताया कि यह चर्च सदस्यता के मामले में शहर का सबसे बड़ा चर्च है। इस चर्च में लगभग 300 सदस्य  जुड़े हैं। इसके अलावा इस चर्च में प्रार्थना के दौरान सबसे अधिक 8 सौ लोग एक साथ शामिल हो सकते हैं।

14 चित्रों में संघर्ष गाथा

चर्च के मुख्य प्रार्थना कक्ष में 14 चित्रों में विशेष कहानियां छिपी हैं। इन चित्रों में प्रभु यीशू के पूरे जीवन का संघर्ष दर्शाया गया है। चर्च की वास्तुकला के बारे में पदाधिकारियों ने बताया कि इस रोमन कैथलिक चर्च का निर्माण इटली के चर्चों के तर्ज पर हुआ है। चर्च की इमारत की आकृति हूबहू इटली के चर्चों से मेल खाती है। 

सबसे पुराना क्रॉस

चर्च में लगा पवित्र क्रॉस और प्रभु यीशू की प्रतिमा 1944 से ही यहां पर मौजूद हैं। चर्च का विस्तार 1993 में हुआ था। उस वक्त कई पुरानी वस्तुओं को बदला गया। बावजूद इसके 1944 में मंगलौर से आए चंदन की लकड़ी के क्रॉस और प्रभु की प्रतिमा में किसी भी तरह का परिवर्तन नहीं किया गया है। 
12 बच्चों से संख्या पहुंची आज 2000

चर्च की स्थापना के बाद यहां पर 1947 में स्कूल संचालित हुआ। 11-12 बच्चों से शुरू हुआ स्कूल आज लगभग दो हजार बच्चों को शिक्षा दे रहा है और शहर के प्रमुख स्कूलों में गिना जाता है।  

यह चर्च कन्फेशन और मान्यताएं पूरा होने के लिए प्रसिद्ध है। खासतौर पर क्रिस्मस से न्यू ईयर तक चर्च में श्रद्धालु चिट्ठियों में अपनी मान्यताएं लिखकर रखते हैं। न्यू ईयर में इस चिट्ठियों को आग के हवाले कर विशेष प्रार्थना सभा की जाती है।- फादर दीपक ऑज्वल्ड डिसूजा, सेंट फ्रांसेस जेवियर्स चर्च

प्रभु यीशू के जन्म से पहले हुई विशेष प्रार्थना 

क्रिसमस से पहले शहर के चर्च में खुशियां बंटनी शुरू हो गईं। शनिवार को मैथॉडिस्ट चर्च में विशेष प्रार्थना सभा कर प्रभु यीशू के जन्म का इंतजार किया गया। कैंडिल वर्शिप में प्रार्थना के जरिए पाप के अंधकार से बचने का श्रद्धालुओं को संदेश दिया गया। कार्यक्रम में विशेष मसीही गीत भी गाए गए। 

चर्च में शाम को शुरू हुए इस आयोजन में सबसे पहले श्रद्धालुओं ने मोमबत्तियां जला कर अंधकार दूर किए जाने का संदेश दिया। मसीही गीतों में प्रभु यीशू के जन्म के इंतजार से संबंधित गीत गाए गए। गीतों के माध्यम से प्रभु यीशू के जल्द आने की प्रार्थना भी की गई।

इसके बाद सभी श्रद्धालु फादर की अगुआई में चर्च के मैदान आए। यहां पर भी विशेष प्रार्थना हुई। प्रार्थना सभा में फादर जेजे ऑलिवर ने पाप के अंधकार को मिटाने के लिए आने वाले प्रभु से संबंधित जानकारियां व संदेश दिया। यह भी संदेश दिया कि चरनी में आने वाला प्रभु यीशू पाप के अंधकार को उसी तरह से दूर करता है जैसे अंधेरे में मोमबत्ती की रोशनी।

ये भी पढ़ें- UP Crime: दंपति ने रोटी के साथ खाया था मासूम बिटिया का कलेजा… पीड़ित बोला- तीन सालों ने नहीं मनाई थी दीपावाली

संबंधित समाचार