बरेली: 24 साल के संघर्ष का सफर...देनदारी बुढ़ावे की लाठी बनने की उम्मीद लाई मुस्कान

राज्य सरकार के पक्ष में फैसला आने से करोड़ों रुपये की देनदारी मिलने की उम्मीद बढ़ी, श्रमिक नेता अशोक मिश्रा के नेतृत्व में कर्मचारियों ने अग्रसेन पार्क में बैठक कर जताई खुशी

बरेली: 24 साल के संघर्ष का सफर...देनदारी बुढ़ावे की लाठी बनने की उम्मीद लाई मुस्कान

बरेली, अमृत विचार: जुलाई, वर्ष 1999 में बरेली मंडल के हजारों लोगों को रोजगार देने वाली अचानक रबर फैक्ट्री बंद कर दी गई। कर्मचारियों की समझ में कुछ नहीं आया कि मुंबई के सेठ किला चंद ने इस तरह का फैसला क्यों ले लिया। सभी कर्मचारी बेहद डर गए थे कि सेठजी तो मुंबई के रहने वाले हैं, अब उनकी ग्रेच्युटी समेत अन्य प्रकार की देनदारियों का भुगतान कैसे मिलेगा। फैक्ट्री बंद होने के महीनेभर तक कर्मचारी इसी उदेड़बुन में लगे थे।

कोई भी उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही थी। जिला प्रशासन से लेकर श्रम विभाग और कर्मचारी भविष्य निधि विभाग भी कोई मदद नहीं कर पा रहा था। उस वक्त के नेताओं से भी कोई मदद नहीं मिली तब कर्मचारियों ने अपने हक की लड़ाई शुरू की। फैक्ट्री परिसर से ही बैठकों का दौर शुरू हुआ। कर्मचारियों की भविष्य की लाठी बनने के लिए एसएंडसी कर्मचारी यूनियन ने आवाज बुलंद करनी शुरू की।

कर्मचारी नेता अशोक मिश्रा ने कर्मचारियों को हक दिलाने की बांगडोर संभाली। डीआरटी लखनऊ फिर मुंबई तक दौड़े। बॉम्बे हाईकोर्ट में हक के लिए लंबा संघर्ष किया। गुरुवार को यूनियन नेताओं के संघर्ष को मुकाम मिला। हाईकोर्ट से राज्य सरकार के पक्ष में फैसला आने के बाद भविष्य संवरने की उम्मीद एसएंडसी कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों के साथ कर्मचारियों के चेहरे पर मुस्कान ले आई है।

कर्मचारियों के साथ तमाम विधवाओं को देनदारी मिलने की उम्मीद बढ़ गई। यूनियन के महासचिव अशोक कुमार मिश्रा के नेतृत्व में कर्मचारियों ने रामपुर गार्डन क्षेत्र के अग्रसेन पार्क में मीटिंग की और अशोक मिश्रा ने अन्य कर्मचारियों को रबड़ फैक्ट्री की जमीन पर मालिकाना हक के विवाद पर फैसला आने की जानकारी दी। बताया कि 3 जुलाई को लिखित स्टेटमेंट दाखिल होने के बाद फैसला लंबित था।

जिस पर अब फैसला आया है। अशोक मिश्रा ने लम्बे समय से लड़ी जा रही लड़ाई के फैसले को मजदूरों की जीत बताया। उन्होंने कहा हम लगातार शासन और प्रशासन को मजदूरों की समस्या और उनके वैधानिक भुगतानों पर अवगत कराते रहें हैं। 23 साल से आर्थिक तंगी, भुखमरी, बेरोजगारी, बीमारी जैसी समस्याओं से जूझते हुए 600 से अधिक कर्मचारी समय से पहले मृत्यु को प्राप्त हो गये थे।

उच्च न्यायालय ने 16 जुलाई 2023 को अधिकृत मीटिंग कर सभी साक्ष्य को सही मानते हुए 1432 कर्मचारियों के भुगतानों को सुनिश्चित किया था। उसी के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार समस्त मजदूरों को भुगतान करें। इसके बाद शाम को भी कर्मचारियों ने बैठक की। बैठक में प्रमोद कुमार, शैलेन्द्र चौबे, हरीश, हैदर नबी, आरसी शर्मा, मनमोहन, शरीफ, सन्त प्रकाश शर्मा, वीके सक्सेना, प्रदीप रस्तोगी, सतेंदर सिंह आदि उपस्थित रहे।

रबर फैक्ट्री केस में भाजपा नेता आशीष ने भी खूब दिल्ली के चक्कर लगाए: रबड़ फैक्ट्री की जमीन पर मालिकाना हक के लिए भाजपा नेता एवं युवा अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के जिलाध्यक्ष आशीष अग्रवाल ने काफी दिल्ली के चक्कर लगाए थे। उन्होंने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री से भी राज्य सरकार की जमीन के वापसी प्रकरण में बांबे हाईकोर्ट के माध्यम जल्द से जल्द फैसला सुनाए जाने की मांग की थी।

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव, औद्योगिक मंत्री पीयूष गोयल आदि केंद्र के दर्जनभर से ज्यादा मंत्रियों से दिल्ली में मुलाकात कर मामले को प्रमुखता से उठाया था। मुख्यमंत्री तक प्रकरण को पहुंचाया।

केस की पैरवी के लिए महाधिवक्ता की नियुक्ति की मांग भी जोरशोर से उठाई। भाजपा नेता आशीष अग्रवाल ने कहा कि अब रबड़ फैक्ट्री की चौदह सौ एकड़ जमीन पर औद्योगिक सिडकुल की स्थापना कराने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार से मांग करने के लिए संघर्ष किया जाएगा।

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