शाहजहांपुर: फर्जी लोन प्रकरण में पुनर विवेचना का आदेश, जांच के फेर में फंसे बैंक मैनेजर
शाहजहांपुर, अमृत विचार। फर्जी लोन प्रकरण की जांच के फेर में बड़ौदा उत्तर प्रदेश बैंक के शाखा प्रबंधक फंस गए हैं। धोखाधड़ी कर एक लाख 80 हजार रुपये का लोन फर्जी आधार कार्ड से निकाले जाने के केस में डीएम उमेश प्रताप सिंह ने दोबारा विवेचना का आदेश दिया है। इससे पहले हुई विवेचना में पुलिस ने बैंक मैनेजर का नाम केस से निकाल दिया था। डीएम ने मामले में समिति से राय ली थी, जिसमें पता चला था कि विवेचना में घोर लापरवाही की गई और नियम विरुद्ध तरीके से बैंक मैनेजर का नाम केस से निकाला गया।
सेहरामऊ दक्षिणी थाने के गांव कुतुवापुर इ बरेंग निवासी महेश्वरी पत्नी ध्रुव की ओर से कमिश्नर बरेली को शिकायती पत्र दिया गया था। जिसमें महिला ने कहा कि उनकी जमीन पर फर्जी आधार कार्ड से मुन्नी देवी पत्नी लाला राम ने एक लाख 80 हजार रुपये का ऋण ले लिया है।
उन्होंने कोर्ट के आदेश पर घटना की रिपोर्ट 11 अप्रैल 2022 को दर्ज कराई। मुकदमें में मुन्नी देवी, कुलदीप पुत्र रामसागर और बैंक मैनेजर अभिषेक अवस्थी को आरोपी बनाया गया था। केस की जांच सेहरामऊ दक्षिणी में की गयी थी और धारा 420, 467, 468, 471 और 120 बी बढ़ाई गई थी। बाद में जांच क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर हो गई।
जांच में साक्ष्य व गवाह होते हुए भी धाराओं को कम कर दिया गया और बैंक मैनेजर व दो गवाह राम औतार व राजेश का नाम निकाल दिया गया। उन्होंने यह ऋण नहीं लिया। इसके बाद भी उससे वसूली का प्रयास किया जा रहा है। एक दलाल ने फर्जी खतौनी, खसरा, बारहसाला और आधार कार्ड आदि दस्तावेज बनवाए हैं और इनका प्रयोग बैंक से लोन लेते समय किया गया है।
पुलिस ने पहले धाराओं को लगाया फिर धाराओं को हटाकर तीन मुल्जिमों के नाम निकालकर 23 अगस्त 2023 को चार्जशीट न्यायालय में प्रस्तुत कर दी। महिला ने दोबारा जांच कराने की मांग कमिश्नर से की थी। कमिश्नर ने कार्रवाई के लिए डीएम उमेश प्रताप सिंह को लिखा। इसके बाद डीएम ने मामले की जांच कमेटी गठित करके कराई तो पता चला कि विवेचना में घोर लापरवाही की गई है। गलत तरीके से आरोपी बैंक मैनेजर व अन्य के नाम निकाले गए हैं।
डीएम ने एसपी को दोबारा जांच के लिए लिखा
डीएम ने मामले की दोबारा जांच कराने के लिए एसपी अशोक कुमार मीणा को लिखा है। एसपी को भेजे पत्र में डीएम ने कहा कि महेश्वरी देवी के प्रकरण में अपर जिला मजिस्ट्रेट न्यायिक व ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी से जांच आख्या मिली है। संयुक्त जांच आख्या 20 दिसंबर 2023 के अवलोकन से स्पष्ट है कि विवेचक की ओर से विवेचना करते समय घोर लापरवाही की गई। गुण-दोष के आधार पर निष्पक्ष विवेचना नहीं की गई है।
जांच आख्या के अनुसार प्रकरण में धारा- 419, 420, 467, 468, 471, 120 बी आईपीसी का अपराध साबित हो रहा है। बैंक मैनेजर अभिषेक अवस्थी, गवाह रामऔतार व राजेश की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत होती है। जिसके आधार पर पुनः विवेचना की आवश्यकता है। डीएम ने कहा कि प्रकरण की विवेचना किसी वरिष्ठ अधिकारी से कराई जाए।
एक महिला की ओर से फर्जी आधार कार्ड बनवाकर बैंक से कृषि ऋण ले लिया था। जिसकी शिकायत पर बैंक ने ऋण निरस्त कर दिया। पुलिस चार्जशीट में बैंक कर्मियों को राहत दी गई। जबकि बैंक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है, जिसको देखते हुए पुनर जांच के आदेश दिए गए हैं। इसमें दोषियों पर कार्रवाई होना तय है---राशिद अली खान, एडीएम न्यायिक।
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