बरेली: प्रकाश ने दरगाह पर गुजारे दिन, लोग कहने लगे हजरत
बरेली, अमृत विचार। बीस साल पहले संत कबीरनगर के प्रकाश घर से भटककर बरेली आ गए। काफी समय तक वह दरगाह पर रहे। लोग उन्हें हजरत के नाम से पुकारने लगे। मनोसमर्पण संस्था ने उनकी काउंसलिंग की और उनके परिवार से संपर्क किया। सोमवार को जब बड़े भाई ने उन्हें देखा तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। गले मिले तो दोनों की आंखों से आंसू छलक पड़े।
जिला संत कबीरनगर के थाना खलीलाबाद के गांव नाऊदांड निवासी प्रकाश 20 साल पहले बहन रामवती के यहां गए थे। वहीं से वह लापता हो गए। परिजनों ने काफी खोजबीन की, मगर उनका पता नहीं चल सका। डायल 112 को 31 अक्टूबर को वह एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के पास भटकते हुए मिले थे। उनकी दिमागी हालत ठीक नहीं थी। उन्हें रजऊ परसपुर स्थित मनोसमर्पण पुनर्वास केंद्र भेजा गया।
संस्था के फाउंडर एवं मनोवैज्ञानिक शैलेश शर्मा ने काउंसलिंग की तो उन्होंने अपने परिवार का नाम और पता बताया। परिवार से संपर्क कर उनके मिलने की जानकारी दी गई। सोमवार को गांव के ही मुस्तफा और उनके भाई शिवमूरत ने उन्हें लेने के लिए शहर पहुंचे। काउंसलिंग में पता चला कि प्रकाश यूनिवर्सिटी के पास एक दरगाह पर काफी समय तक रहे। वहां के लोग उन्हें हजरत कहकर पुकारने लगे। प्रकाश ने बताया कि वह भटकते हुए बरेली पहुंच गए थे।
20 साल बाद भाई से मिलकर बहुत खुश हूं: शिवमूरत
प्रकाश के बड़े भाई शिव मूरत ने बताया कि पांच भाई बहन में प्रकाश सबसे छोटे हैं। उसे खोजने की बहुत कोशिश की, मगर वह नहीं मिले। 20 साल बाद भाई से मिलकर बहुत खुश हूं। मनोवैज्ञानिक शैलेश शर्मा ने कहा कि प्रकाश की मानसिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है। प्रकाश को उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है।
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