कासगज: अपनी ही जन्मस्थली में गुमनाम हुए खुसरो, जयंती पर दो फूल के भी रहे मोहताज

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Published By Vishal Singh
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गंजडुंडवारा, अमृत विचार: कभी विरह के गीत लिखे, कभी गीत लिखे खुशहाली के, दिल्ली में जो दफन हुए, वो खुसरो थे पटियाली के। अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर खुसरो ने एटा, कासगंज और पटियाली की पहचान देश व दुनिया को कराई। हिंदी खड़ी बोली के सूफी संत विश्व विख्यात रहे, लेकिन अपने ही घर में बेगाने हैं। उनकी प्रतिमा तहसील में ही कैद है।  

खुसरो तेहरवीं व चौहदवीं सदी के प्रमुख शायर, लेखक, गायक, संगीतकार, कब्बाली सितार राग इमान जिल्फ साजगरी के जनक व तबला वाद्य यंत्र के आविष्कारक, सूफी संत हिंदी खड़ी बोली के प्रथम कवि ने यहां पहचान से देश व दुनियों को रूबरू कराया। अमीर खुसरो भारत के ऐसे पहले कवि जिन्होंने हिंदी व फारसी में एक साथ लिखा था। खुसरो 27 दिसंबर 1253 में पटियाली जन्में।

अमीर खुसरो के पिता सैफुद्दीन तुर्क सेनापति उन्हें सात वर्ष की अवस्था में पटियाली से दिल्ली ले गए। उसी दौरान उनके पिता का निधन हो गया। खुसरो का जीवन राज्याश्रय में बीता। 8 वर्ष की उम्र में अमीर खुसरो दिल्ली के प्रसिद्द सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया के शिष्य बने और वह 16-17 साल की आयु तक व अच्छे कवि व शायर बन चुके थे।

आवरदी कसे राके दो कदम अज खाकानी पेश ख्वाहिद बूद
उन्हें तू-ती-ए-हिंद, हीरामन जैसे सम्मानों से नवाजा गया। खुसरो की हिंदवी भाषा हिंदी खड़ी बोली के रूप में जानी गयी, जो हमारे संविधान की राजभाषा बनी। अमीर खुसरो की मां दौलत नाज एक हिंदू राजपूत वंशज थीं। अमीर खुसरो जब पैदा हुए थे तब एक सूफी दरवेश ने अमीर खुसरो को देखकर एक भविष्य वांणी करते हुए खुसरो के पिता से कहा कि आवरदी कसे राके दो कदम अज खाकानी पेश ख्वाहिद बूद अर्थात तुम मेरे पास एक ऐसे होनहार बच्चे को लाये हो यह खाकानी विश्व प्रसिद्द विद्वान से भी दो कदम आगे निकलेगा। 

अमीर खुसरो की प्रमुख कृतियों में तुहफा-तुस-सिगर, बाकिया नाकिया, तुगलक नामा, नुह-सिफ र आदि प्रमुख रचनाएं रहीं। सन् 1325 में अमीर खुसरो का दिल्ली में निधन हो गया। उन्हें उनके गुरु सुविख्यात सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया की मजार के करीब ही दफनाया गया।

खुसरो को अपने की घर में सम्मान नहीं मिल रहा है। यह प्रशासन की बड़ी चूक है। हमें एक पहल करनी चाहिए और खुसरों के नाम पर पटियाली का विकास करना चाहिए--- मुबीन अंसारी।

इसे एक विंडवना ही कहेंगे जब प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। हर किसी को चाहिए कि वे खुसरो के सम्मान में एक मुहिम छेड़े--- अब्दुल हफीज गांधी, राष्ट्रीय प्रवक्ता सपा।

अमरी खुसरो को अभी तक पटियाली में ही मुकाम नहीं मिला है। जबकि पूरे जिले में उनके नाम पर विकास की जरूरत दिखाई दे रही है---उदित विजयवर्गीय।

हमने कई बार प्रयास किए हैं और मांग भी उठाई है कि अमीर खुसरो के सम्मान में काम होना चाहिए, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा--- डा. राजीव गुप्ता।

जहां अमीर खुसरो जन्में थे वहां अतिक्रमण है। प्रशासन के सहयोग से उस अतिक्रमण को हटवाया जाएगा। यही हमारा प्रयास है--- नीरज मिश्रा, चेयरमैन प्रतिनिधि।

खुसरों की प्रतिमा स्थापित कराने के लिए डीएम को पत्राचार किया गया है। निरंतर प्रयास किया जा रहा है कि अमीर खुसरो के नाम पर विकास होना चाहिए--- कुलदीप सिंह, एसडीएम पटियाली।

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