मुरादाबाद : लोगों को बीमार बना रहा वाहनों का जहरीला धुआं, जिला अस्पताल में हर दिन बढ़ रहे सांस के रोगी
वाहन जनित प्रदूषण के मामले में संवेदनशील है महानगर
वाहन की फिटनेस की जांच करती परिवहन विभाग की टीम, जांच के दौरान आरआई अजय तिवारी के साथ वाहनों के चालक।
मुरादाबाद, अमृत विचार। महानगर में वाहन जनित प्रदूषण के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई का दिखावा है। पुलिस की कार्रवाई में यह प्रतिशत उल्लेख से भी बाहर है जबकि, संभागीय परिवहन विभाग ऑनलाइन प्रमाणपत्र (पीयूसीसी) को इस जिम्मेदारी का बड़ा आधार ठहरा रहा है। पुराने वाहनों की फिटनेस जानने की प्रक्रिया में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
गुरुवार को आरटीओ टीम द्वारा फिटनेस जांच का आधार पूरी तरह मैनुअल दिखा। विभाग के आंकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि चालू वर्ष में 45,000 से अधिक वाहन पंजीकृत हुए हैं जिसमें ई- वाहनों की संख्या 400 से भी कम है। परिक्षेत्र में पौने छह लाख वाहन पुराने हैं। निजी, दोपहिया, तीन पहिया, माल वाहक आदि के फिटनेस के समय अलग-अलग हैं। वैसे तो जिले में 53 प्रदूषण जांच केंद्र क्रियाशील हैं।
यहां वाहनों की प्रदूषण संबंधी जांच होती है। यहां से जारी प्रदूषण संबंधी प्रमाण पत्र वाहनों के संचालन में उपयोगी होता है। एनजीटी और अन्य एजेंसियों ने सबसे बड़ी वजह वाहन जनित प्रदूषण माना है। विभाग स्तर पर वाहनों की फिटनेस जांच की तस्वीर कई कुप्रबंधन का जन्म देने वाली हैं। टीपी नगर क्षेत्र में शाम के चार बजे तक 40 मालवाहक और 43 यात्री वाहक वाहन फिटनेस जांच के लिए खड़े थे। बताया गया कि यहां वाहनों की लंबाई, रंग, लाइट, बैठक के प्रबंध, स्पीड नियंत्रण के उपकरण आदि की छानबीन की जा रही है। लेकिन, वाहनों के माॅडल कंडीशन के विषय को लेकर विभाग के जिम्मेदार कुछ स्पष्ट नहीं बोल पाए।
गर्मी के मौसम में जिला चिकित्सालय में दो से तीन हजार मरीज उपचार के लिए आते थे। अब यह संख्या औसतन एक हजार के नजदीक आ गयी है। उन दिनों प्रतिदिन 70 से 80 सांस के मरीज आते थे। मगर अब यह संख्या डेढ़ गुना हो गयी है। ठंड के मौसम में यह रोग अधिक असरदार हो जाता है। कोहरा की वजह से दूषित हवा पर्यावरण के निचले स्तर पर ही जमी रहती है। इस दौरान यह सांस के रोगियों को अधिक परेशान करती है। कोरोना काल के बाद से सांस के मरीजों की दिक्कत बढ़ी है। महानगर में वायु प्रदूषण के कारण वाहनों का धुआं मुख्य है।-डा. राजेंद्र कुमार, चिकित्साधीक्षक जिला अस्पताल
नियमानुसार वाहनों की भौतिक स्थिति की जांच प्राविधिक अधिकारी (तकनीकी) द्वारा की जाती है। अभी कोई तकनीकी जांच नहीं होती है। सभी वाहनों के ऑनलाइन जारी प्रदूषण प्रपत्र देखकर ही फिटनेस प्रमाणपत्र जारी होता है। जल्द ही विभाग की ओर से ऑटोमेटिक मशीनें लगवाई जानी है। केंद्र पर वाहनों का चलवाकर देखा जाता है।-आन्जनेय कुमार सिंह, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन)
वाहन का धुआं मानव जीवन के लिए बड़ा खतरा है। डीजल चालित वाहनों से समस्या अधिक आती है। क्योंकि, वाहनों से धुएं का उत्सर्जन होता है। धुएं में कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, शूट पार्टिकिल (काला धुआं ) और लेड पाया जाता है। कार्बन मोनो आक्साइड हिमोग्लोबिन में दो सौ प्रतिशत गति से प्रतिक्रिया करता है। इसलिए ऐसा धुआं जीवन के लिए बड़ा खतरा है। महानगर प्रदूषण और वायु प्रदूषण के निशाने पर रहता ही है। इसलिए इसकी समस्या के निदान के लिए जरूरी प्रयास और जन जागरण की जरूरत है।-प्रो.अनामिका त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान विभाग (हिंदू कालेज)
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