पीलीभीत: फंसी गर्दन तो नेताजी नहीं आए काम, लटकी कार्रवाई की तलवार..गाज गिरना तय

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Published By Vishal Singh
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पीलीभीत, अमृत विचार। शहर में रातों रात आम के बाग के कटान के मामले में पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर और सिटी मजिस्ट्रेट से कराई गई जांच के बाद सामाजिक वानिकी और उद्यान विभाग की उजागर होते ही अब तीन अफसरों पर कार्रवाई तय है। इसी के साथ परमिशन लेने वालों पर भी एफआईआर होगी। शासन तक मामला पहुंचने के बाद खलबली मच गई है। 

बता दें कि शहर में टनकपुर हाईवे से सटे इलाके में कॉलोनी विकसित करने को 18 दिसंबर की रात 48 आम के पेड़ों को कटवा दिया गया।  दूसरे दिन उन्नीस दिसंबर को मामला सिटी मजिस्ट्रेट सुनील कुमार सिंह के संज्ञान में आने पर जेई विनियमित क्षेत्र और राजस्व कर्मियों को मौके पर भेजकर कटान रुकवा दिया गया था। कई बिंदुओं पर मामले की जांच कराई गई। कटान करने वाले सामाजिक वानिकी से 48 कलमी पेड़ों को काटने की अनुमति होने का हवाला दे रहे थे। सामाजिक वानिकी प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ द्वारा पेड़ काटने की अनुमति दी गई थी।

सिटी मजिस्ट्रेट सुनील कुमार सिंह और टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद शासन को रिपोर्ट भेजी गई थी। इस मामले में  तत्कालीन सामाजिक वानिकी डीएफओ संजीव कुमार, जिला उद्यान अधिकारी बाली शरण चौधरी और सहायक उद्यान निरीक्षक रामेश्वर दयाल पर गाज गिरना तय है, डीएम प्रवीण कुमार ने इसकी संस्तुति की थी। इस मामले में पेड़ों के कटान की अनुमति लेने वालों पर भी शिकंजा कसेगा। उन पर एफआईआर कराई जाएगी। इससे खलबली मच गई है।

राजनेताओं के दबाव में भूले थे जिम्मेदारी, मची खलबली
बता दें कि हाइवे से सटे बेशकीमती बाग में हुए कटान के बाद अफसर जांच करा रहे थे लेकिन इससे जुड़े तमाम लोग बेफिक्र थे। इसके पीछे राजनीतिक संरक्षण की चर्चाएं तेज रही थी। जनपद के अलावा बाहरी नेताओं के नाम की भी चर्चाएं बढ़ी रही थी। कटान के वक्त मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने तो मामला निपटने के दावे भी कर दिए थे। अब कार्रवाई को लेकर शोर बढ़ा तो उनको भी खुद के फंसने का डर सता रहा है।

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