कपड़ा मिल संघों ने लगाई सरकार से वित्तीय मदद की गुहार, मंदी के कारण चल रहा संकट 

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Published By Om Parkash chaubey
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मुंबई। कपड़ा मिल संघों ने गुणवत्ता नियंत्रण मुद्दों के साथ निर्यात में मंदी के कारण चल रहे संकट से निपटने में मदद के लिए सरकार से वित्तीय राहत देने की अपील की है। कपड़ा मिल संघों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अपनी एक अपील में कहा है कि यूक्रेन-रूस संघर्ष और इजराइल-हमास युद्ध जैसे बाहरी कारकों की वजह से निर्यात, खासकर कपास पर आधारित क्षेत्र में मंदी आने से उद्योग गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहा है।

मिल संगठनों ने एक बयान में कहा कि वैश्विक संघर्षों के दीर्घकालिक आर्थिक प्रभाव, कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क होने और मानव-निर्मित फाइबर (एमएमएफ) के गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों से संबंधित मुद्दों के कारण उनके क्षमता उपयोग में गिरावट आई है।

उनका क्षमता का इस्तेमाल एक साल से 50 प्रतिशत से लेकर 70 प्रतिशत तक गिर गया है। मिल संगठनों के मुताबिक, इस स्थिति ने कई कताई मिलों, खासकर छोटे एवं मझोले स्तर की मिलों को गंभीर वित्तीय तनाव में डाल दिया है, जिससे वे कर्ज चुकाने और स्थायी शुल्कों की भरपाई में असमर्थ हो गई हैं।

इन चुनौतियों को देखते हुए कपड़ा मिल संघों ने वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि वे बैंकिंग क्षेत्र को एक विशेष मामला मानकर इस उद्योग को वित्तीय सहायता उपायों का विस्तार करने की सलाह दें, और मूल कर्ज राशि के पुनर्भुगतान के लिए एक साल की मोहलत दें।

भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ (सिटी) के चेयरमैन राकेश मेहरा ने कहा, “हम वित्त मंत्री से अपील करते हैं कि कताई क्षेत्र में आए अप्रत्याशित संकट को कम करने, कई लाख लोगों की नौकरी जाने से रोकने, बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने और निर्धारित निर्यात लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हमारी स्थिति पर विचार करें।”

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