Moradabad: अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघ गणना का पहला चरण पूरा...सर्वे में लिए ये सैंपल 

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Published By Monis Khan
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मुरादाबाद, अमृत विचार। अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या, उनकी गतिविधियों और आवास क्षेत्र का सटीक आकलन करने के लिए चल रहे बाघ गणना अभियान के पहले चरण का तीन दिवसीय सर्वे पूरा हो गया है। इस चरण में वन विभाग की टीमों ने रिजर्व के कोर और बफर क्षेत्रों में गहन सर्वे कर बाघों की मौजूदगी से जुड़े महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्र किए।

सर्वे के दौरान वन विभाग के कर्मचारियों ने जंगल के विभिन्न हिस्सों में पैदल भ्रमण कर बाघों के पदचिह्न, मल (स्कैट), खरोंच के निशान, रास्तों पर बने ट्रेल्स और अन्य प्राकृतिक संकेतों को चिन्हित किया। इन सभी साक्ष्यों के सैंपल संग्रहित किए गए हैं। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार इन सैंपलों के माध्यम से बाघों की संख्या के साथ उनकी आवाजाही, क्षेत्र निर्धारण और व्यवहार का विश्लेषण किया जाएगा। एकत्र किए गए सैंपलों को जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाएगा, जहां डीएनए विश्लेषण और अन्य तकनीकी प्रक्रियाओं के जरिए आंकड़े तैयार होंगे।

वन संरक्षक रमेश चंद्र ने बताया कि अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की निगरानी और संरक्षण के लिए यह सर्वे बहुत महत्वपूर्ण है। पहले चरण में फील्ड साइन सर्वे के जरिए बाघों की उपस्थिति से जुड़े ठोस प्रमाण जुटाए गए हैं। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि बाघ किन क्षेत्रों में अधिक सक्रिय हैं और उनके आवास की स्थिति कैसी है। इन आंकड़ों के आधार पर संरक्षण रणनीति को और प्रभावी बनाया जाएगा। सर्वे पूरी तरह वैज्ञानिक पद्धति से किया गया है। तीन दिनों तक वनकर्मियों की टीमों ने तय किए गए ट्रांसेक्ट पर लगातार भ्रमण किया। इस चरण में जुटाया गया डेटा दूसरे चरण के लिए आधार का काम करेगा।

स्पष्ट तस्वीर से संरक्षण के प्रयासों को मिलेगी मजबूती
बिजनौर डीएफओ जयसिंह कुशवाहा ने बताया कि अभियान का दूसरा चरण जनवरी माह में शुरू किया जाएगा। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ की टीम कैमरा ट्रैपिंग से बाघों की पहचान, संख्या और मूवमेंट पैटर्न को लेकर डेटा जुटाएगी। बाघ गणना अभियान राष्ट्रीय स्तर पर संचालित कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देशभर में बाघों की संख्या का पता लगाना और उनके संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाना है। दोनों चरणों के सर्वे पूरे होने के बाद अमानगढ़ में बाघों की स्थिति को लेकर स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी, जिससे संरक्षण के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी।

 

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