पीलीभीत: जेसीबी चलाने से पहले नहीं ली जमीन की पड़ताल कराने की सुध, लापरवाही ने कराया बखेड़ा

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Published By Vishal Singh
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खाद्य विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा बता कर दी थी कार्रवाई, जमीन नगर पालिका की निकली

पीलीभीत, अमृत विचार। टनकपुर हाईवे पर मंदिर में कराए गए निर्माण को जेसीबी से अवैध कब्जा बताते हुए ध्वस्त करने का मामला 48 घंटे तक घंटे हंगामा, प्रदर्शन और तीखी नोकझोंक के बाद राज्य मंत्री संजय सिंह गंगवार के दखल के बाद आखिरकार  शांत हो गया।  मंदिर पर निर्माण कार्य भी रविवार से शुरू करा दिया गया है। मगर, इस पूरे घटनाक्रम के बीच प्रशासनिक अफसरों की लापरवाही भी खुलकर उजागर हो गई। जिसकी वजह से आस्था से जुड़ा मामला होने पर तनाव के हालात बन गए थे। 

प्रशासनिक अफसरों की ओर से की गई बयानबाजी से ही उनकी कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।  ये भी सवाल उठ गए हैं कि निर्माण पर बुलडोजर चलाने से पहले जमीन की हकीकत को भी परखने की सुध नहीं ली गई थी। अब मामला शांत हो गया और शासन स्तर तक शिकायत भी पहुंची है। दोषी अफसरों पर कार्रवाई की मांग की गई है, लेकिन जिम्मेदार अब चुप्पी साध गए हैं। कार्रवाई के दौरान बरती गई लापरवाही पर कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं।

बता दें कि टनकपुर हाईवे पर नेहरू पार्क के पास अयोध्यापुरम कॉलोनी  वाले मोड़ पर स्थित मंदिर में निर्माण कार्य स्थानीय लोगों के द्वारा कराया जा रहा था। पांच जनवरी की सुबह टीम के साथ पहुंचे एसडीएम सदर देवेंद्र सिंह ने जेसीबी से निर्माण को अवैध बताते हुए ध्वस्त करा दिया था।  जिसके विरोध में विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता और स्थानीय लोग सड़क पर उतर आए थे।  

पहले दिन हाईवे जाम, धरना प्रदर्शन और अधिकारियों से तीखी नोकझोंक हुई थी। दूसरे दिन शनिवार को भी दिन भर अपनी मांग और कार्रवाई के विरोध में भीड़ जुटी रही थी। शाम को नगर पालिका चेयरमैन डॉ.आस्था अग्रवाल  पहुंची थी और देर शाम राज्यमंत्री संजय सिंह गंगवार ने पहुंचकर अफसरों के इस  मामले में रवैये पर नाराजगी जताते हुए सख्त रुख अपनाया था। फिलहाल इसी के साथ मामला शांत हो गया और अब निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है।  

बता दें कि पहले दिन जब टीम कार्रवाई करने पहुंची थी तो अधिकारियों ने इस जमीन को खाद्य विभाग की बताया था। दिन भर इसे लेकर ही कार्रवाई बताई जाती रही थी। मगर दूसरे दिन उक्त जमीन नगर पालिका की निकली। जिसे चेयरमैन द्वारा धार्मिक आस्था को देखते हुए निर्माण कार्य संबंधी हरसंभव सहयोग की बात कह दी थी। अधिकारी  भी बाद में इस जमीन को नगर पालिका की होना बताते रहे थे।  

ऐसे में जिम्मेदारों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह जरूर लग गया है। तमाम लोगों की धार्मिक आस्था से जुड़ा मामला होने के बाद भी बुलडोजर चलाने से पहले ठीक से जमीन की जांच तक नहीं की गई।  ये भी पता नहीं किया गया कि आखिर जमीन खाद्य विभाग की है भी या नहीं।  सीधे जाकर  निर्माण कार्य ध्वस्त कर दिया और दो दिन तक माहौल गरमाया रहा।  

खाद्य विभाग के अफसर किस आधार पर इसे अपनी जमीन बताता रहे? कहीं न कहीं एक बड़ी लापरवाही की ओर इशारा है। मगर जिम्मेदार अब चुप्पी साध गए हैं।  यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर कार्रवाई से पूर्व ठीक से जमीन के बारे में जांच पड़ताल की गई होती तो इतना बखेड़ा ही नहीं होता। फिलहाल विवाद समाप्त होने पर स्थानीय लोगों में हर्ष है।

श्रमिक करते रहे निर्माण कार्य, भक्तों ने की पूजा  
दो दिन रहे भीड़ और पुलिस के जमावड़े के बाद रविवार को पूरे दिन मौके पर शांति बनी रही। श्रमिक निर्माण कार्य करते रहे। स्थानीय लोगों में भी आस्था से जुड़े इस स्थल पर दोबारा काम शुरू होने से खुशी दिखी। पूजा अर्चना करने के लिए भी स्थानीय महिलाएं पुरुष पहुंचते रहे।  

नगर पालिका कराएगी पीछे के नाले की सफाई
एक दिन पूर्व शनिवार शाम को चेयरमैन डॉ.आस्था अग्रवाल भी मौके पर पहुंची थी। उस वक्त मौजूद स्थानीय लोगों ने उनके समक्ष मंदिर के पीछे की तरफ स्थित नाले में जमा गंदगी को लेकर भी साफ सफाई कराने की मांग रखी थी। इसके लिए अब नगर पालिका नाले की सफाई कराएगी। इसका स्थायी समाधान कराने के लिए ये भी दिखवाया जा रहा है कि नाला आगे से खुला है या फिर बंद। इसे लेकर कर्मचारियों को चेयरमैन ने आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं।

जिस जगह पर निर्माण को लेकर विवाद चल रहा था। वह जांच कराने के बाद नगर पालिका की निकली है। जमीन खाद्य विभाग की नहीं है। उस पर नगर पालिका के स्तर से निर्माण कार्य कराया जा सकता है।  प्रशासन को उससे कोई ऐतराज नहीं है - राम सिंह गौतम, एडीएम वित्त एवं राजस्व।

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