पीलीभीत: तराई में बिगड़ रही मिट्टी की सेहत, पोषक तत्वों का बिगड़ा संतुलन

Amrit Vichar Network
Published By Vishal Singh
On

मिट्टी नमूनों की जांच में जीवांश कार्बन व फास्फोरस की पाई गई कमी

पीलीभीत, अमृत विचार। तराई के कृषि प्रधान जिले की मिट्टी की सेहत धीरे-धीरे खराब हो रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर हालात यही रहे तो सोना उगलने वाली जमीन आने वाले समय में बंजर होने के कगार पर पहुंच जाएगी।

मृदा परीक्षण के नतीजों में पोषक तत्वों की खासी कमी सामने आई है। इसी कमी के पीछे  कृषि वैज्ञानिक अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल और फसल चक्र को न अपनाना मान रहे हैं। शासन द्वारा जिले को मृदा परीक्षण को लेकर 4670 नमूनों के परीक्षण का लक्ष्य दिया गया था। कृषि विभाग के कर्मचारियों द्वारा जिले के विभिन्न क्षेत्रों से मिट्टी के नमूने लिए गए। इसमें 3500 नमूने मोबाइल एप के माध्यम से लिए गए थे।

f3f77fce-a96f-401a-b146-0dd25f1552cc
खेत में बोया गया गेहूं

मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में अब तक 1400 मिट्टी के नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है। शेष नमूनों के परीक्षण की कार्रवाई की चल रही है।  जांच में पाया गया है कि जनपद की मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी है। जीवांश कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस की खासी कमी पाई गई है। अन्य पोषक तत्वों का संतुलन भी गड़बड़ाता नजर आ रहा है।

यह आए परिणाम-
पोषक तत्व- आवश्यक मात्रा- उपलब्ध मात्रा
जीवांश कार्बन- 0.51 प्रतिशत- .21 प्रतिशत
फास्फोरस (प्रति हेक्टेयर) - 40 किग्रा-10 किग्रा

पोषक तत्वों की कमी से यह है नुकसान -
- पौधों की बढ़वार औऱ विकास में रुकावट
- उपज की गुणवत्ता में कमी
- फसल की पैदावार में कमी

ऐसे करें सुधार-  
- फसल चक्र अपनाकर जैविक खाद का करें इस्तेमाल
- मृदा परीक्षण के बाद उचित मात्रों में करें खादों का प्रयोग
- दानेदार यूरिया की जगह नैनो यूरिया का करें प्रयोग
- फसल अवशेषों को डी कंपोजर से खाद बनाकर करें प्रयोग

जैविक खाद के साथ फसल चक्र भी अपनाएं
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस ढाका के मुताबिक खेतों में रासायनिक उर्वरकों की सही मात्रा में प्रयोग न होने से पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ रहा है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है। तमाम जागरुकता अभियान एवं योजनाओं के बाद भी किसान खेतों में रासायनिक खादों का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिस कारण मिट्टी की जल क्षरण क्षमता घटने के साथ मृदा की भौतिक संरचना भी प्रभावित हो रही है।

जिले में भी जीवांश कार्बन समेत अन्य पोषक तत्वों की कमी पिछले कुछ सालों से देखने को मिल रही है। यदि हालात यही रहे तो जमीन धीरे-धीरे अन उपजाऊ होने के साथ बंजर होने लगेगी। बेहतर होगा कि किसान जैविक खाद के साथ फसल चक्र भी अपनाएं। जैविक खाद से तैयार फसल की कीमत भी रासायनिक उर्वरक से तैयार की गई फसल से अधिक होती है।

ये भी पढ़ें- पीलीभीत: पाइप लाइन तोड़ने वाली गैस कंपनी को नोटिस जारी, वसूला जाएगा जुर्माना

संबंधित समाचार