लखनऊ: सरकारी वकील के समय बर्बाद करने पर कोर्ट हुई सख्त, राज्य सरकार पर लगाया 25 हजार का हर्जाना

Amrit Vichar Network
Published By Sachin Sharma
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लखनऊ, विधि संवाददाता। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकारी वकील द्वारा कोर्ट का दस मिनट समय बर्बाद करने पर राज्य सरकार पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। न्यायालय ने कहा है कि यह धनराशि हाईकोर्ट लीगल सर्विसेज सब कमेटी में एक सप्ताह के भीतर जमा की जाए। साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि हर्जाने की धनराशि को ऐसी स्थिति उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों से वसूली जाए।

यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने राजित राम वर्मा की ओर से दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। मामले की सोमवाए को सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता ने सरकार के प्रति शपथ पत्र के जवाब में अपना प्रत्युत्तर शपथ पत्र कोर्ट में दाखिल किया जिसे रिकॉर्ड पर ले लिया गया। तत्पश्चात याची के अधिवक्ता ने अपनी बहस प्रारम्भ कर दी, याची की ओर से बहस समाप्त होने के पश्चात न्यायालय ने सरकारी वकील से पक्ष जानना चाहा। इस पर सरकारी वकील का अनुरोध था कि उन्हें अभी ही याची के प्रत्युत्तर शपथ पत्र की प्रति दी गई है लिहाजा उसे पढ़ने के लिए कुछ समय दे दिया जाए।

इस प्रकार न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यदि उन्हें समय ही चाहिए था तो बहस प्रारम्भ होने से पहले ही बता देते तो कोर्ट का दस मिनट का बहुमूल्य समय बर्बाद न होता। उक्त टिप्पणियाँ करते हुए कोर्ट ने समय बर्बाद करने के लिए राज्य सरकार पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगा दिया। वहीं मामले को एक सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का भी आदेश दिया है।

सोमवार को ही एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान इसी पीठ ने स्थायी अधिवक्ता का पूरा सहयेाग न मिलने पर सख्त रूख अपनाते हुए, प्रमुख सचिव, विधि से पूछा है ऐसे स्थायी अधिवक्ताओं की नियुक्ति किस प्रकार कर दी गयी है जिन्हें मुकदमों से सम्बंधित कानूनों और केस लॉ की जानकारी ही नहीं है। न्यायालय ने इस सम्बंध में प्रमुख सचिव, विधि को दो सप्ताह में व्यक्तिगत हलफ़नामा दाखिल करने को कहा है, साथ ही चेतावनी भी दी है कि हलफ़नामा न दाखिल होने पर प्रमुख सचिव, विधि को तलब किया जा सकता है।

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