बाराबंकी: भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई ध्वनि प्रदूषण नियंत्रित करने की योजना, यातायात कार्यालय में ही रखे रह गए 'SLM'

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Published By Sachin Sharma
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सतीश श्रीवास्तव, बाराबंकी। जिले में ध्वनि प्रदूषण नापने के लिए साउंड लेवल मीटर (SLM) खरीदा तो गया लेकिन उसका उपयोग नहीं हुआ। इस पर खर्च किए गए 83 हजार रुपए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। प्रदूषण कम करने ना के नाम पर कार्रवाई सिर्फ धर्मस्थलों के लाउडस्पीकर उतरवाने तक सीमित रही। वीआईपी गाड़ी में लगे हॉर्न , शादी विवाह व शोभायात्रा के अवसर पर बजने वाले डीजे पर प्रशासन कोई भी पाबंदी नहीं लग सका।

40 डेसिमल से ज्यादा की आवाज कानों को अच्छी नहीं लगती। 45 डेसिमल से ज्यादा की आवाज बच्चों को तथा 60 डेसिमल से ज्यादा की आवाज सभी के लिए हानिकारक होती है। 85 से 120 डेसिमल की आवाज हार्ट अटैक का कारण बन सकती है। डीजे और बंद बजे से उठने वाली ध्वनि 85 से 120 तक ही होती है। धोनी विस्तारक यंत्रों की आवाज भी 80 डेसिमल से अधिक बज रही है। वीआईपी वाहनों पर लगे हॉर्न की आवाज भी 100 डेसिमल से अधिक है। अधिकारियों और मंत्रियों के गाड़ियों पर लगे फॉर्म की आवाज भी जानलेवा हो सकती है।

इस ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए जिले में 83000 की लागत से प्रिंटर के साथ दो ध्वनि मापक संयंत्र खरीदे गए थे। मार्च 2023 में खरीदे गए इस साउंड लेवल मी का उपयोग किस लिए नहीं हो सका क्योंकि यह 2015 मॉडल थे। जो 2023 में कारगर नहीं रह गए थे। लेकिन बिना साउंड लेवल मीटर के ही पुलिस विभाग की रिपोर्ट बाकायदा तैयार होती रही। खरीदा गया साउंड लेवल मी अभी भी पुलिस लाइन में यातायात कार्यालय की शोभा बढ़ा रहा है।

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पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार सिंह से इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि पुलिस तमाम कार्य कर रही है ध्वनि प्रदूषण भी इनमें से एक है। रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी जाती है। ध्वनि प्रदूषण मापने से संबंधित मशीनों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने अनभिज्ञता व्यक्त की। यदि खराब है तो दिखवा लिया जाएगा।

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