Exclusive News: कानपुर के हैलट अस्पताल में हवा बनेगी असाध्य रोगों की दवा, इन मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत
कानपुर के हैलट अस्पताल में हवा बनेगी असाध्य रोगों की दवा।
कानपुर के हैलट अस्पताल में हवा बनेगी असाध्य रोगों की दवा। अस्पताल के सर्जरी विभाग में हाइपरबेरिक आक्सीजन थेरेपी यूनिट बनेगी।
कानपुर, (विकास कुमार)। दवा से ठीक नहीं होने वाले घाव अब हैलट अस्पताल में आसानी से सही हो सकेंगे। इसके लिए हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी यूनिट का निर्माण किया जाएगा। सांस के गंभीर रोगियों को भी इस थेरेपी से काफी राहत मिलेगी। ऑक्सीजन थेरेपी यूनिट के संबंध में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने शासन को प्रस्ताव भेजा है।
हैलट अस्पताल में प्रतिदिन बड़ी संख्या में डायबिटिक मरीज इलाज के लिए आते हैं। कुछ मरीजों के शरीर में घाव हो जाते हैं, जो दवा से ठीक नहीं हो पाते है। ऐसे में प्रभावित अंगों को काटकर मरीजों की जान बचाई जाती है। लेकिन अब हैलट में डायबिटिक व गैंगरीन से प्रभावित अंगों को काटने की नौबत नहीं आएगी। ऐसे घाव को ऑक्सीजन थेरेपी की मदद से ठीक किया जाएगा।
इसके लिए हैलट के सर्जरी विभाग में हाइपरबेरिक आक्सीजन थेरेपी यूनिट का निर्माण होगा। ऑक्सीजन थेरेपी ऐसी प्रक्रिया है, जिसकी मदद से घाव को अतिशीघ्र भरा जा सकता है। डायबिटिक व डायबिटिक फुट मरीजों के साथ इसका लाभ सांस व फेफड़े के रोगियों को भी मिलेगा। इसके साथ ही कोरोना जैसी महामारी आने पर मरीजों की संख्या बढ़ने में भी ऑक्सीजन की समस्या नहीं होगी।
रक्त व ऑक्सीजन की कमी से नहीं भरते घाव
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि डायबिटिक, डायबिटिक फुट व गैंगरीन वाले स्थान पर रक्त के साथ ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है, जिस वजह से घाव जल्दी नहीं भरते हैं। कुछ मामलों में दवा भी काम करना बंद देती है। ऑक्सीजन थेरेपी से ऐसे घाव को भरा जा सकता है। इसके लिए यूनिट में एक चेंबर बनाया जाएगा, जिसमें प्रभावित अंग को कुछ देर के लिए रखकर प्रेशर से ऑक्सीजन दी जाएगी।
श्वांस रोगियों को मिलेगी राहत
एनेस्थिसिया विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार वर्मा ने बताया यूनिट में ऑक्सीजन थेरेपी के लिए एक चैंबर होगा, जिसमें सिर्फ इतनी जगह होगी कि एक मरीज जा सकेगा। फेफड़े व सांस रोगियों को इस चेंबर में लिटाया जाएगा। इसके बाद हाइपर बेरिक ऑक्सीजन का दबाव बढ़ा दिया जाएगा, जिससे पूरे चेंबर का वातावरण ऑक्सीजन युक्त होगा। इसमें मरीज को उसकी क्षमता अनुसार आधे या एक घंटे तक रखा जा सकता है।
ऑक्सीजन लेवल 95 से 100 जरूरी
पल्स ऑक्सीमीटर यदि ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 95 से 100 के बीच दिखाए तो मरीज को घबराने की जरूरत नहीं होती है। यह लेवल 80 से 95 तक होता है तब हाइपोक्सेमिया या ब्लड टिश्यू में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, ऐसे में ऑक्सीजन देना जरूरी होता है। लेकिन यदि लेवल 80 से भी कम है तो यह इमरजेंसी केस होता है। ऐसे में तत्काल मरीज को ऑक्सीजन देने की जरूरत होती है। ऐसे मरीजों को अब हैलट में आसानी से ऑक्सीजन मिल सकेगी।
