Kanpur News: ‘सिया-राममय सब जग जानी, करहुं प्रणाम जोरिजुग पानी’... घर-घर पहुंच रही है रामचरितमानस, सुंदरकांड, हनुमानचालीसा

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में महीना भी नहीं बीता और बिक गयीं 25 हजार रामचरित मानस।

कानपुर में महीना भी नहीं बीता और बिक गयीं 25 हजार रामचरित मानस। घर-घर पहुंच रही है रामचरितमानस, सुंदरकांड, हनुमानचालीसा। बढ़ती मांग के मुकाबले गीताप्रेस गोरखपुर में उत्पादन कम हुआ।

कानपुर, (महेश शर्मा)। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा तिथि जैसे-जैसे निकट आ रही है पूरा शहर राममय होता दिखने लगा है। सबसे बड़ा परिवर्तन यह कि हिंदुत्व की अलख ने इस कदर जोर पकड़ा है कि घर-घर स्थापित पूजागृहों में रामचरित मानस, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड की पवित्र पुस्तकें दिखने लगी है। गीता प्रेस गोरखपुर कानपुर सेंटर बिरहाना रोड से लगभग सवा करोड़ से डेढ़ करोड़ के बीच इन पुस्तकों की बिक्री हुई है। प्रबंधक गिरधारीलाल चौधरी बताते हैं कि मांग और उत्पादन में भारी अंतर आने लगा है फिर भी मुख्यालय (गोरखपुर) सप्लाई दे रहा है। 

खबर तो यहां तक है कि गीताप्रेस के मुद्रक एवं प्रकाशक प्रमुख बिक्री केंद्रो को मांग के अनुसार वांछित सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं। राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का असर यह हुआ कि जनवरी माह 2024 में बिक्री का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। यह प्रत्याशित भी था। मांग लगातार बढ़ती जा रही है। कानपुर में गीताप्रेस के दो बड़े स्टाल हैं। जहां से ये पवित्र पुस्तकें सप्लाई की जाती हैं।

एक तो बिरहाना रोड पर और दूसरा स्टेशन पर है। गोरखपुर से यहीं पर पुस्तकों की सप्लाई भेजी जाती है। महानगर व इर्दगिर्द की विक्रेताओं को सप्लाई भी यहीं से होती है। उत्तर प्रदेश में गीताप्रेस के तीन बड़े सप्लाई केंद्र हैं। गोरखपुर, वाराणसी (काशी) और कानपुर। कानपुर में यूं तो मंदिरों के आसपास की दुकानों ये पुस्तकें मिल जाती हैं पर थोक बाजारों में लगभग 25 विक्रेता हैं।

गीताप्रेस कानपुर केंद्र के प्रबंधक गिरधारीलाल चौधरी बताते हैं कि अयोध्या में मंदिर निर्माण और रामलला की मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तिथि जैसे-जैसे करीब आ रही है। तुलसीकृत रामचरित मानस, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा की मांग बेतहाशा बढ़ी है। वह कहते हैं कि एक महीने औसतन 25 हजार रामचरित मानस लोगों के घरों में पहुंच रही हैं।

रामचरित मानस 70 रुपये से 1600 रुपये तक की उपलब्ध हैं। जिसकी जितनी समायी होती है खरीद रहा है। पर सत्य यह है कि हर हिंदू परिवार में ये पुस्तकें मिलेंगी। पहले उतना नहीं था। सबसे ज्यादा बिक्री 100 से 400 रुपये वाली मानस की हो रही है। वाल्मीकि रामायण बहुत कम लोग खरीदते हैं। प्रामाणिकता की कसौटी पर भले ही कुछ लोग वाल्मीकि रामायण को ऊपर रखते हों पर बिक्री कम है। संस्कृत श्लोक, अर्थ है पर मांग कम है। 

गिरधारी लाल आगे बताते हैं कि सुंदरकांड पांच रुपये से 150 रुपये तक की पुस्तक है। सबसे ज्यादा बिक रही है। हनुमान चालीसा तो दो रुपये 40 रुपये तक की उपलब्ध है। यह लोग भारी संख्या में खरीद रहे हैं। उन्होंने माना कि उत्पादन के मुकाबले मांग ज्यादा है। लोगं भारी संख्या में पुस्तकें खरीदकर बांट रहे हैं। अब तो लोग धार्मिक अनुष्ठानों या कर्मकांडों के दौरान गीता, रामायण, सुंदरकांड, व हनुमान चालीसा वितरित करते हैं।

राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के माहौल में तो भारी संख्या में लोग खरीदकर बांट रहे हैं। सेंट्रल स्टेशन वाले गीताप्रेस स्टाल के पीयूष दीक्षित बताते हैं कि सबसे ज्यादा बिक्री सुंदरकांड की हो रही है। हां, रामचरितमानस की पवित्र पुस्तक की बिक्री थोड़ा कम है फिर पांच से दस तक रोज बिक जाती हैं। लेकिन सुंदरकांड का गुटका से लेकर सभी प्रकार के संस्करणों की बिक्री सबसे ज्यादा होती है।

पीयूष बताते हैं कि अभी शनिवार वाला स्टॉक रविवार को समाप्त हो गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि हमें इन पुस्तकों की कोई कमी नहीं पड़ी। जितना मांगते हैं मिल जाता है। वह कहते हैं कि वे लोग बिरहाना रोड से स्टाक मंगाते हैं। 

गीताप्रेस के मजबूत संरक्षक मोदी

गीताप्रेस कानपुर के प्रबंधक गिरधारी लाल चौधरी कहते हैं कि यह सच है कि गोरखपुर में जैसे ही प्रतियां छपती हैं, उन्हें मांग के कारण तुरंत भेज दिया जाता है। सच पूछिए तो गीताप्रेस के सबसे मजबूत सरंक्षक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं। पूरा देश राममय हो चुका है।

इस बीच भगवान राम और रामायण से संबंधित सामग्रियों और ग्रंथों में भारी उछाल देखा गया है। राम से संबंधित ग्रंथों की मांग इतनी अधिक हो गई है कि हिंदू धर्मग्रंथों के प्रमुख प्रकाशक, गोरखपुर में गीता प्रेस के पास अब प्रतियां खत्म हो गई हैं और मांगों को पूरा करना मुश्किल हो रहा है।

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