Special Story : रामपुर में बढ़ा रोजगार का संकट...नहीं बचा कोई गन्ना क्रेशर, सभी हुए बंद
जनपद में है 12 लोगों के पास गन्ना क्रेशर के लाइसेंस, एक गन्ना क्रेशर पर करीब 100 लोगों को मिलता है रोजगार
सुहेल जैदी, अमृत विचार। जिले में तमाम गन्ना क्रेशर बंद हो गए हैं, जिसके चलते खांडसारी उद्योग हाशिए पर पहुंच गया है। कोल्हुओं की तादाद भी तेजी से घटती जा रही है। मजदूर नहीं मिलने के कारण एक क्रेशर भी नहीं चल पा रहा है। गुड़ उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की कोई पुख्ता योजना भी नहीं है। खांडसारी उद्योग की सूची में कभी रामपुर नंबर वन था। लेकिन, धीरे-धीरे सब कुछ खत्म होता जा रहा है। एक क्रेशर से करीब 100 लोगों को दिनों-रात रोजगार मिलता था। क्रेशर बंद होने से बेरोजगारी बढ़ी है।
रामपुर की तहसील शाहबाद, स्वार, मिलक, टांडा में कई इकाइयां थीं। गन्ना क्रेशर पर राब, गुड़ और कच्ची खांड तैयार की जाती थी। दढ़ियाल और शाहबाद गन्ना कोल्हू का हब माना जाता था। लेकिन, इसके बाद क्रेशर बंद होते गए और कारोबार चौपट गया। उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लाइसेंस के लिए एक मुश्त समाधान योजना शुरू की गई लेकिन, यह भी बेअसर रही। इस योजना के तहत क्रेशर का सिर्फ एक बार लाइसेंस लेना पड़ता है। इसके बाद न नवीनीकरण का झंझट और न ही फीस देनी पड़ती है। योजना के तहत तीन इकाइयों का लाइसेंस बनाया गया लेकिन, कुछ समय बाद ही दो इकाइयां बंद हो गईं।
जिले में फिलहाल कोई गन्ना क्रेशर नहीं चल रहा है। असिस्टेंट शुगर कमिश्नर ने बताया कि जनपद रामपुर में कुल छह लाइसेंसकृत खांडसारी इकाइयां हैं। जिनमें पांच पुरानी और एक नवीन लाइसेंसकृत इकाई है। नवीन लाइसेंसकृत इकाई धर्मवीर सिंह गुड़ उद्योग ग्राम मानकपुर बंजरिया पोस्ट सैदनगर को वर्ष 2018 में दिया गया था लेकिन, इस वर्ष क्रेशर नहीं चलाया गया है। जिले में लगभग 78 संचालित खड़े कोल्हू हैं।
दढ़ियाल में बंद होते जा रहे कोल्हू
दढ़ियाल में सबसे ज्यादा कोल्हू थे और यह गुड़ का हब था। गुड़ कोल्हुओं की संख्या 60 से अधिक थी। इसके अलावा शाहबाद में भी 20 से ज्यादा कोल्हू थे। लेकिन, धीरे-धीरे कोल्हू बंद हो रहे हैं। इसके अलावा शाहबाद और दढ़ियाल के निकट चीनी मिलों का लगना है।
गन्ना क्रेशर बंद होने के मुख्य कारण
- गन्ना क्रेशरों को सस्ते दाम पर गन्ना नहीं मिलना
- चीनी मिलों से किसानों को समय से पर्ची और भुगतान मिलना
- गन्ना उपज का रकबा हर साल कम होना
- टांडा और दढ़ियाल क्षेत्र में चीनी मिलों का लगना
गन्ना किसानों को चीनी मिलों से समय से पर्चियां और भुगतान मिल रहा है। चीनी मिलों पर किसानों को गन्ने का भाव भी क्रेशर के सापेक्ष अधिक मिलता है। क्रेशर पर सबसे बड़ी समस्या लेबर की आ रही है। लेबर टिक कर काम करना नहीं चाहती, जिसके कारण इकाई का लगातार चला पाना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, बरेली रीजन में इस समय 17 क्रेशर संचालित हैं। क्रेशर स्वामियों को गन्ना खरीद का परमिट चीनी आयुक्त द्वारा दिया जाता है। खंडसारी इकाई चीनी मिल से साढ़े सात किमी की दूरी से बाहर लगाई जा सकती है। गन्ना क्रेशर के लिए लाइसेंस ऑनलाइन बनवाया जा सकता है। लाइसेंस शुल्क दस से पंद्रह हजार रुपये है।-मनीष शुक्ला, असिस्टेंट शुगर कमिश्नर बरेली
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