Exclusive News: गंगा में टनल निर्माण की तरफ बढ़े कदम… गुड़गांव की कंपनी करेगी तैयार, शासन को भेजा जाएगा प्रस्ताव
कानपुर में गंगा में टनल निर्माण की तरफ बढ़े कदम।
कानपुर में गंगा में टनल निर्माण की तरफ कदम बढ़े। गुड़गांव की कंपनी तैयार करेगी दो किलोमीटर लंबी टनल फिजिबिलिटी रिपोर्ट की।
कानपुर, (अभिनव मिश्र)। ट्रांसगंगा सिटी से वीआईपी रोड तक गंगा नदी पर पुल बनाने के बजाय टनल बनाने की योजना पर सेतु निगम एक कदम और आगे बढ़ गया है। निगम ने गंगा में टनल निर्माण के लिए गुड़गांव की कसल्टेंट कंपनी को चयनित कर लिया है। पांच सदस्यीय कंसल्टेंट टीम अगले हफ्ते शहर आकर टनल निर्माण के लिए स्थल चयन का सर्वेक्षण करेगी।
उप्र सेतु निर्माण निगम सर्वे रिपोर्ट मंडलायुक्त और डीएम को सौंपेगा। इसके बाद गंगा में करीब दो किलोमीटर लंबी टनल बनाने की योजना पर मुहर लगेगी और विस्तृत प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाएगा। वहां से हरी झंडी मिलने पर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
कानपुर शहर से ट्रांस गंगा सिटी तक सीधा पहुंच मार्ग देने के लिए सरसैया घाट से गंगा बैराज मार्ग पर ट्रांसगंगा सिटी तक पुल निर्माण की योजना बनी थी। लेकिन इसमें तमाम बाधाएं आने के बाद गंगा नदी में टनल बनाने की योजना तैयार की गई है। टनल की कुल लंबाई दो से ढाई किलोमीटर होगी। गंगा नदी में टनल 15 मीटर नीचे गहराई पर बनेगी।
टनल का दो किलोमीटर हिस्सा गंगा के पानी में रहेगा। शहर में इस टनल को वीआईपी रोड पर टेफ्को के पास निकालने की योजना है। फिलहाल टनल बनाने की योजना पर जिला प्रशासन गंभीर नजर आ रहा है। इसी कारण टनल निर्माण के लिए सेतु निगम तैयारी करने में जुटा है। सेतु निगम अधिकारियों के मुताबिक शासन की मंशा है कि कम लगात और उचित व्यवस्था में टनल का निर्माण किया जाए।
टनल की फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए गुड़गांव की कंसल्टेंट कंपनी को चयनित किया गया है। कंसल्टेंट कंपनी की पांच सदस्यीय टीम शहर आकर सर्वे करेगी। टीम की प्राथमिकता गंगा नदी में उस हिस्से को तलाशने की है, जहां धारा की चौड़ाई सबसे कम हो।
10 वर्षों से लटकी है योजना
सरसैया घाट से ट्रांसगंगा सिटी तक 275 करोड़ रुपये की लागत से पुल निर्माण की योजना वर्ष 2013 में तैयार की गई थी। लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने पुल निर्माण से हाथ खींच लिए थे, जिससे योजना अधर में लटक गई थी। डीएम विशाख जी अय्यर ने सीडीओ की अध्यक्षता में समिति का गठन कर पुल निर्माण में तेजी लाने को कहा। इस पर बाबा घाट के पास निरीक्षण हुआ। लेकिन यहां संकरी जगह होने से पुल का घुमाव संभव नहीं हो पा रहा था। इसी के बाद अन्य विकल्प तलाशे गए।
पुल के तीन विकल्प देखे गए थे
प्रथम विकल्प : सरसैया घाट से ट्रांसगंगा सिटी तक फोरलेन पुल लेकिन चौराहे पर जाम की समस्या देखते हुए इसे रद किया गया।
दूसरा विकल्प : बाबा घाट से पुल बनना था, लेकिन बाबा घाट चौराहे पर कई बहुमंजिला इमारतों का अधिग्रहण करना पड़ता। इसमें मुआवजा अधिक देने से लागत बढ़ जाती।
तीसरा विकल्प: टैफ्को की भूमि से पुल बनाने का विकल्प देखा गया, लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा फैक्ट्री की भूमि का विवादित होना आई। भूमि का विवाद कोर्ट में लंबित है।
