हैरत: 33 सालों से निरंतर प्रज्जवलित है रामलला से आई ज्योति; कई स्थानों पर गई लेकिन इसी मंदिर में हुई स्थापित...जानें..
कानपुर के मंदिर में रामलला से आई ज्योति 33 सालों से निरंतर प्रज्जवलित है।
कानपुर के मंदिर में रामलला से आई ज्योति 33 सालों से निरंतर प्रज्जवलित है। शहर का यह एकलौता मंदिर है, जहां अयोध्या से रामलला की लाई गई ज्योति 33 साल से प्रज्ज्वलित है।
कानपुर, अमृत विचार। ‘मुन्ना दादा, इस ज्योति को संभालो, किसी तरह बचते-बचाते लाए हैं। मंदिर में प्रज्जवलित कर दो। हम चलते हैं, अब रामलला की ज्योति की जिम्मेदारी आपकी है।’ संकट मोचन हनुमान मंदिर (मौनी घाट) के पुजारी राजेंद्र कुमार तिवारी बताते हैं कि वर्ष 1990 में कुछ इसी तरह रामलला की ज्योति यहां आई थी। शहर का यह पहला और एकलौता मंदिर है, जहां अयोध्या से रामलला की लाई गई ज्योति 33 साल से प्रज्ज्वलित है।
गंगा के किनारे मौनी घाट टीले पर संकट मोचन हनुमान मंदिर है। पुजारी राजेंद्र कुमार ने बताया कि उनके बचपन की बात है। टीले पर मूर्ति स्थापित कर उनके दादा स्व. मन्ना प्रसाद तिवारी ने बजरंग बली की सेवा शुरू की थी। उन्हें याद है कि 1990 में ठंड तेजी पकड़ रही थी। एक दिन शाम 6 बजे के आसपास तीन-चार लोग आए।

मंदिर में दादा के पास पहुंचे और बांस की टोकरी देकर कहा कि इसे संभालो। यह अयोध्या रामलला की ज्योति है। किसी तरह यहां तक लाए हैं। इसे मंदिर में स्थापित कर दो। हमारे पास ज्यादा समय नहीं है, हम चलते हैं। इसके बाद वह लोग चले गए। कुछ देर में यह बात फैल गई। पहले लोगों में चर्चा हुई फिर फोर्स आ पहुंची।
मंदिर में दादा से पूछताछ की। भोर पहर तक फोर्स ने मंदिर के अंदर किसी को जाने नहीं दिया। दो दिन पूछताछ के बाद दादा को पुलिस उठा ले गई। पता चला नवाबगंज थाने में हैं। वहां से उन्हें फतेहगढ़ जेल भेजा गया। 12 दिन बाद दादा वहां से छूटकर घर आए। इस बीच मंदिर परिसर में पुलिस का पहरा बना रहा। लेकिन वो दिन है और आज का दिन ज्योति निरंतर जल रही है। लोग मनौती मांगते हैं। मुराद पूरी होती है तो ज्योति जलाते हैं।
लोगों ने ज्योति वापस कर दी थी
पुजारी राजेंद्र कुमार के अनुसार रामलला से आई ज्योति को कई स्थानों पर पहुंचाया गया। लेकिन लोगों ने वापस कर दिया। आखिर में ज्योति यहां पहुंची तो दादा ने उसे स्थापित कर प्रज्ज्वलित कर दिया। तब से उसी स्थान, उसी चौकी पर ज्योति जल रही है। पुजारी के अनुसार विजय नारायण सेंगर, ज्ञानचंद्र अग्रवाल, डा. संकटा प्रसाद ज्योति लाने वालों में शामिल थे।
पहले ज्योति की फिर मंदिर में होती पूजा
मंदिर में सेवा देने वाले उद्देश्य तिवारी ने बताया कि ज्योति निरंतर प्रज्जवलित है। ज्योति की प्रतिदिन पूजा होती है। इसके बाद मंदिर की पूजा शुरू होती है।
लोग घर ले जाते हैं ज्योति
मंदिर में सुबह-शाम पूजा करने वाले निखिल श्रीवास्तव ने बताया कि रामलला की ज्योति लोग अपने घरों में ले जाते हैं। जो लोग गृह प्रवेश कराते हैं या भवन में कोई बाधा होती है तो यहां छोटी ज्योति लाते है। उसमें ज्योति से ज्योति ले जाकर अपने घरों में स्थापित करते हैं।
