Exclusive: अर्जुन अवार्ड प्राप्त भारत और दिल्ली टीम की कप्तान नसरीन शेख से अमृत विचार ने की खास बातचीत... बोली- खो-खो को माटी से मैट पर ले जाने का सपना हो रहा साकार

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
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राष्ट्रीय खो-खो महिला लीग दिल्ली ने जीती है।

अर्जुन अवार्ड प्राप्त भारतीय महिला खो खो टीम की कप्तान और राष्ट्रीय खो खो महिला लीग की विजेता दिल्ली टीम की कप्तान नसरीन शेख ने अमृत विचार संवाददाता पवन तिवारी से एक्सक्लूसिव बातचीत की।

बांदा, (पवन तिवारी)। अर्जुन अवार्ड प्राप्त भारतीय महिला खो-खो टीम की कैप्टन और अतर्रा के तथागत ज्ञानस्थली सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आयोजित राष्ट्रीय खो-खो महिला लीग की विजेता दिल्ली टीम की कप्तान नसरीन शेख ने ‘अमृत विचार’ से अपनी एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि खो-खो पूरी तरह से भारतीय होने के साथ ही माटी का खेल है, इसलिए इसे प्रमोट किया जाना चाहिए।

खोखो

खो-खो को माटी से मैट पर ले जाने का सपना देखा था वह अब साकार होने जा रहा है। वह चाहती हैं कि उन्हें ओलंपिक में भी खेलने का मौका मिले और यह खेल वर्ल्ड कप तक जाए। बुंदेलखंड की बेटियां भी माटी के इस खेल से जुडें, खेलें और प्रमोट करें।Champions

दिल्ली टीम की कप्तान नसरीन शेख ने कहा कि अर्जुन अवार्ड की सूची में यह गेम जा रहा है। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि खिलाड़ी इसके लिए कितनी मेहनत करते हैं और कितना संघर्ष कर रहे हैं। यह खेल वर्ल्ड कप तक जाए, यही हमारा सपना है। उन्होंने बताया कि वह अभी तक 40 राष्ट्रीय और 6 अंतर्राष्ट्रीय खेल में प्रतिभाग कर चुकी हैं। उनकी कप्तानी में भारत ने कई गोल्ड मेडल जीते हैं।

वह चाहेंगी कि उन्हें ओलंपिक में भी मौका मिले। कहा कि यहां की बेटियों ने खो-खो का टूर्नामेंट पूरी दिलचस्पी के साथ देखा और इंज्वाय किया। वह बुंदेलखंड की बालिकाओं को भी संदेश देना चाहेंगी कि इस माटी के खेले से जुड़ें, खेलें और प्रमोट करें। जब उनसे यह पूछा गया कि आपने खो-खो को ही क्यों कैरियर के रूप में चुना तो उन्होंने कहा कि इस खेल में किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं है। यह अपने भीतर के हुनर का गेम है।

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उन्होंने मेहनत की और आज खो-खो टीम की कैप्टन हैं। खो-खो की अपेक्षा युवा क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल और वालीबॉल जैसे खेलों में अधिक रुचि ले रहे हैं। इस पर उन्होंने कहा कि वह अपने देश के खेल मंत्री से अनुरोध किया कि उन्हें अर्जुन पुरस्कार मिला है, इसे बरकरार रखें। यह पहली सीढ़ी है और हम इसके लिए बहुत मेहनत करते हैं। एक खिलाड़ी का सपना होता है कि उसे अर्जुन अवार्ड मिले। खो-खो में रुचि लेने के लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करना नहीं भूलीं।

उन्होंने कहा कि वह यहां पूरी तैयारी के साथ आई थीं कि वह यहां से ट्रॉफी लेकर ही जाएंगी। उन्होंने तथागत विद्यालय की ओर से खिलाड़ियों को मुहैया कराई गई सुविधाओं को भी तहेदिल से सराहा। यहां आने से पहले लग रहा था कि पता नहीं यहां आयोजन कैसा होगा। लेकिन वह यहां से खुश होकर जा रही हैं, क्योंकि आयोजकों ने अतर्रा जैसे कस्बे में भी मैट पर खो-खो टूर्नामेंट का आयोजन करवाकर एक मिथक को तोड़ा है।

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सभी के सहयोग से संभव हो पाया सफल आयोजन : चेयरमैन 

अतर्रा के तथागत ज्ञानस्थली में संपन्न राष्ट्रीय खो-खो लीग प्रतियोगिता के सफल आयोजन के बाद तथागत ज्ञानस्थली सीनियर सेकेंडरी स्कूल के चेयरमैन शिवशरण कुशवाहा ने कहा कि जब राष्ट्रीय खो-खो लीग प्रतियोगिता आयोजन करवाने का मौका मिला तो मन में शंका थी कि यह बेहतर कैसे हो पाएगा। 18 प्रदेशों से खिलाड़ियों को यहां आना था। इसके अलावा रेफरी व कोच अलग से थे। लग रहा था कि इस तरह की भीषण ठंड में नहाने को गर्म पानी और भोजन आदि की व्यवस्था कैसे दे पाएंगे, लेकिन क्षेत्र की जनता, हमारे शिक्षक और स्टाफ के सहयोग से सभी के सहयोग से यह संभव हुआ है। उन्होंने इस सफलता के लिए सभी को बधाई भी दी।

यह खेल जल्द सभी के दिलों में राज करेगा : अध्यक्ष 

भारतीय खो-खो फेडरेशन के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने भेजे गए अपने संदेश में कहा था कि जिस तरह से यह माटी का खेल आज मैट में खेला जा रहा है वह दिन अब दूर नहीं जब यह खेल सभी के दिलों में राज करेगा। उन्होंने विजेता टीम के साथ ही सभी टीमों को बधाई बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने बांदा के अतर्रा कस्बे में पहली बार शानदार ढंग से राष्ट्रीय प्रतियोगिता संपन्न कराने के लिए तथागत ज्ञानस्थली सीनियर सेकेंडरी स्कूल के चेयरमैन शिवशरण कुशवाहा और उनकी टीम का भी धन्यवाद ज्ञापित किया।

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