पीतल की नक्काशी ने दिलाया देश का सर्वोच्च सम्मान, मुरादाबाद के बाबूराम को मिला पद्मश्री

पीतल की नक्काशी ने दिलाया देश का सर्वोच्च सम्मान, मुरादाबाद के बाबूराम को मिला पद्मश्री

अब्दुल वाजिद, मुरादाबाद। दस्तकारों की बेहतरीन नक्काशी की बदौलत पूरी दुनिया में पीतल नगरी मुरादाबाद का अलग रुतबा है। यहां के दस्तकार पीतल और अन्य धातु पर बेहतरीन नक्काशी उकेर उसे तराशते और सवारते हैं। जिसके बाद वह तैयार होकर विदेशों में निर्यात किए जाते हैं।

इसी नक्काशी की बदौलत मुरादाबाद के शिल्प गुरु दिलशाद हुसैन को भारत सरकार ने साल 2023 में पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया था। जिसके बाद एक बार फिर मुरादाबाद के रहने वाले बाबूराम यादव के नाम का चयन पद्मश्री के लिए हुआ है। 

बीबू

मुरादाबाद के नागफनी इलाके की तंग गलियों में रहने वाले 74 वर्षीय बाबूराम यादव को ये एहसास भी न था की उनका चयन पद्मश्री के लिए हो जाएगा। बाबूराम यादव साल 1962 से पीतल के बर्तनों पर बेहतरीन नक्काशी कर उसे तराशते रहे हैं। बाबूराम यादव का पद्मश्री अवार्ड के लिए चयन मरोड़ी आर्ट की वजह से हुआ है। 

बाबूराम यादव के परिवार में 9 सदस्य हैं
बाबूराम यादव के परिवार में तीन बेटे हैं, जिनकी शादियां हो चुकी हैं। परिवार में उनकी 70 वर्षीय पत्नी मुन्नी यादव, बड़ा बेटा अशोक यादव, चंद्र प्रकाश यादव और हरिओम यादव हैं। जबकि दो पौत्र हिमाशु और गौरव यादव, तीन पोत्री प्रिया, हिमानी और सुनाक्षी हैं।

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पद्मश्री अवार्ड के लिए चयन होने के बाद परिवार में खुशी का माहौल
बाबूराम यादव के पद्मश्री अवार्ड का चयन होने के बाद से उनके घर में खुशी का माहौल है साथ ही लोगों की बधाईयों का सिलसिला लगातार जारी है। परिवार में सब लोग बेहद खुश हैं और एक दूसरे को मिठाइयां खिलाकर बधाई दे रहे हैं। 

ग्रह मंत्रालय से आया कॉल
बाबूराम यादव बताते हैं की शाम के समय उनके मोबाइल पर गृह मंत्रालय से कॉल आई और कहा कि आपके नाम का चयन पद्मश्री अवार्ड के लिए हुआ है। तब से घर में खुशी का माहौल है। बधाइयां देने वालों का तांता लगा हुआ है। 

1962 से कर रहे नक्काशी
बाबूराम यादव बताते हैं साल 1962 से उन्होंने पीतल पर नक्काशी का काम शुरू कर दिया था। पीतल और अन्य धातु पर पीतल पर नक्काशी का काम अपने गुरु अमर सिंह से सीखा था। जो आज तक करते आ रहे हैं।

स्टेट, नेशनल और शिल्पगुरु अवार्ड से हो चुके हैं सम्मानित
बाबूराम यादव बताते हैं की सबसे पहले साल 1985 में उन्हें स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया गया। जबकि साल 1992 में नेशनल अवार्ड से सम्मानित होने के 22 साल बाद साल 2014 में शिल्पगुरु अवार्ड से सम्मानित किया गया अब पद्मश्री के लिए उनके नाम का चयन हुआ है। 

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मरोड़ी आर्ट की बदौलत हुआ पद्मश्री के लिए चयन
बाबूराम यादव बताते हैं उनका पद्मश्री अवार्ड के लिए चयन मरोड़ी आर्ट की वजह से हुआ है। बाबूराम पीतल के बर्तन पर बेहतरीन तरीके से बारीकी के साथ नक्काशी करते हैं जो उनके अलावा शायद ही कोई करता हो। 

शिल्पगुरु दिलशाद भी साल 2023 में पद्मश्री से हो चुके हैं सम्मानित
बाबूराम यादव बताते हैं कि शिल्पगुरू दिलशाद हुसैन के बाद उन्हें पद्मश्री के लिए चयनित किया गया है। इससे आर्टीजंस में खुशी का माहौल है। सभी आर्टिजंस खुश हैं। उन्होंने बताया कुछ समय पहले पद्मश्री के लिए आवेदन किया था। अब उनका नाम पद्मश्री के लिए चयन हुआ है तो उन्हें बहुत खुशी है। उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद भी व्यक्त किया है।

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