पीलीभीत: अब खुली हवा में नहीं, कानपुर प्राणि उद्यान में सलाखों के पीछे रहेगी बिगड़ैल बाघिन

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Published By Vishal Singh
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डीएफओ की देखरेख में शनिवार सुबह बाघिन को कानपुर किया रवाना, वन अफसरों व कर्मचारियों ने ली राहत की सांस

पीलीभीत, अमृत विचार। रेस्क्यू की गई बिगड़ैल बाघिन अब नया ठिकाना जंगल की खुली हवा  नहीं, बल्कि कानपुर प्राणी उद्यान होगा। जहां उसे सलाखों के पीछे कैद रखा जाएगा। उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद शनिवार सुबह सामाजिक वानिकी प्रभाग के डीएफओ की देखरेख में बाघिन को पीटीआर मुख्यालय से कानपुर के लिए रवाना किया गया। बाघिन की रवानगी के बाद वन अफसरों एवं कर्मचारियों ने राहत की सांस ली है।

कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांवों में दो माह तक आतंक मचाने वाली बाघिन को 26 दिसंबर 2023 को गांव अटकोना से ट्रैंक्यूलाइज कर रेस्क्यू किया गया था। उस दौरान बाघिन के स्वास्थ्य को लेकर कई परीक्षण करने के बाद रेडियो कॉलर लगाकर पीलीभीत टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में छोड़ा गया था। इसके बाद बाघिन ने पुन: रिहायशी इलाकों में दस्तक देना शुरू कर दिया था।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) द्वारा बिगड़ैल बाघिन को पकड़ने के लिए मिली अनुमति के बाद 17 जनवरी 2024 को नगर पंचायत पकड़िया नौगवा के आबादी इलाके से 150 मीटर दूरी पिंजड़ा लगाया गया था। 21 जनवरी को बाघिन लगाए गए पिंजड़े में कैद को गई थी। बाघिन को रेस्क्यू कर पीटीआर मुख्यालय लाया गया था। उस दौरान बाघिन के बीमार होने की भी बातें सामने आ रही थी।

हालांकि इस मामले में वन अफसर चुप्पी साधे रहे। अगले दिन आईवीआरआई के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. एएम पावड़े ने बाघिन का परीक्षण किया था। जांच के दौरान बाघिन के गले में रेडियो कॉलर की वजह से जख्म होने की बात सामने आई थी। वहीं प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) ने भी बाघिन के स्वास्थ्य परीक्षण को लेकर तीन सदस्यीय चिकित्सकों की टीम का गठन किया था।

टीम ने शामिल लखनऊ प्राणि उद्यान के पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आरके सिंह, दुधवा टाइगर रिजर्व के डॉ. दयाशंकर एवं पीटीआर के डॉ. दक्ष गंगवार ने बाघिन को दूसरे पिंजड़े में शिफ्ट उसके गले में हुए जख्म का इलाज करने के साथ अन्य जांचें भी की। जांच के दौरान ही बाघिन का ब्लड सैंपल लेकर भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली भेजा गया है।  

दो दिन पूर्व पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने आईवीआरआई से प्राप्त जांच रिपोर्ट का खुलासा करते हुए बाघिन के स्वस्थ होने की जानकारी दी थी। उन्होंने दावा किया था कि बाघिन की ब्लड सैंपल रिपोर्ट नॉर्मल पाई गई है। वन अफसरों ने बाघिन की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर प्रधान मुख्य वन संरक्षक को भेजी। प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने रेस्क्यू की गई बाघिन को कानपुर प्राणि उद्यान भेजने के निर्देश दिए गए थे।

उधर शनिवार सुबह सामाजिक वानिकी प्रभाग के डीएफओ आरके सिंह की देखरेख में बाघिन को पीटीआर मुख्यालय से कानपुर के लिए रवाना किया गया। डीएफओ के साथ टीम में पीटीआर के पशु चिकित्सक डॉ. दक्ष गंगवार, सामाजिक वानिकी प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी अंजनी कुमार श्रीवास्तव आदि शामिल रहे। वन अफसरों के मुताबिक देर शाम तक बाघिन कानपुर प्राणी उद्यान पहुंच जाएगी।

पखवाड़ा भर तक वन महकमे के लिए सिरदर्द बनी रही बाघिन
जंगल छोड़कर रिहायशी इलाकों में घूम रही बाघिन पखवाड़ा भर तक वन महकमे के लिए सिरदर्द बनी  रही। आबादी क्षेत्र में घूम रही बाघिन की मॉनिटरिंग को पीटीआर और सामाजिक वानिकी प्रभाग की संयुक्त टीमें लगाई गई थी। वहीं बाघिन के गिरते स्वास्थ्य को लेकर भी वन अफसर खासे चिंतित थे। मामला शासन स्तर तक पहुंचने के बाद स्थानीय वन अफसर बाघिन पर नजर गड़ाए हुए थे। सभी को डर था कि कहीं बाघिन के साथ कोई अनहोनी न हो जाए। डॉक्टरों की टीमें भी पीटीआर मुख्यालय में डेरा जमाए रही थी।

बाघिन की जांच रिपोर्ट नॉर्मल पाई गई। उच्चाधिकारियों द्वारा बाघिन को कानपुर प्राणि उद्यान भेजने के लिए निर्देश दिए गए थे। शनिवार सुबह डीएफओ सामाजिक वानिकी की देखरेख में बाघिन को कानपुर के लिए रवाना किया गया है। - नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर, पीलीभीत टाइगर रिजर्व

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