प्रयागराज का माघ मेला: गंगा पूजन के बाद अखाड़े के संतों ने शुरू की पंचकोसी परिक्रमा
प्रयागराज। मगघ मेले में गुरुवार को गंगा पूजन और संगम स्नान के बाद संतों ने पंचकोशी परिक्रमा प्रारंभ की। बड़ी संख्या में संगम घाट पर सुबह संतों की टोली एकजुट होकर पंचकोसी परिक्रमा के लिए निकली। 5 दिनों तक चलने वाली पंचकोसी परिक्रमा की सफलता को लेकर संतों ने मां गंगा का पूजन किया और उनसे आशीर्वाद मांगा।
पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत गुरुवार को संतों ने गंगा पूजन के साथ की। जूना अखाड़े के संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरी गिरी महाराज ने यात्रा का शुरु कराई। पंचकोसी यात्रा के दौरान गंगा पूजन में जूना अखाड़ा पए सभापति महंत प्रेम गिरी और राम महंत नारायण गिरि ने भी गंगा पूजन किया।
पंचकोसी परिक्रमा में सभी महंत अक्षयवट धाम पहुंचे। इसके बाद वहां से यात्रा बड़े हनुमान मंदिर पहुंची और दर्शन व आशीष लेने के बाद मौजगिरि आश्रम पहुंच गये। यह यात्रा पांच दिनों तक चलती रहेगी।
पंचकोसी परिक्रमा से होती है मोक्ष का प्राप्ति
जूना अखाडा के महामंत्री हरि गिरि का कहना है कि तीर्थराज प्रयागराज में पंचकोशी परिक्रमा में जरूर शामिल होना चाहिए। यह विशेष फलदायी होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पंचकोशी परिक्रमा से तीर्थराज और सभी देवताओं सिद्धों और नागों के दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है।
तीर्थयात्रियों को संगम स्नान के बाद पंचकोसी परिक्रमा करना चाहिए, ऐसा विधान पुराणो में बताया गया है। जो पांच योजन व बीस कोस तक है। संगम व और गंगा-यमुना में 6 से ज्यादा घाट बने है। खास बात यह है कि प्रयागराज में तीन वेदियां बनी है। जो अंतर्वेदी, मध्यवेदी और बहिर्वेदी हैं। इन वेदियों में अनेक तीर्थ, उपतीर्थ, कुंड और आश्रम शामिल हैं।

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