World Cancer Day 2024: हौसले से जीती कैंसर की जंग, दूसरों के लिए बने मिसाल ... पढ़िए घातक बीमारी को मात देने वाले अकाउंटेंट की स्टोरी
कानपुर में वन विभाग में अकाउंटेंट रहे राम उजागर ने बीमारी पता चलने पर नहीं खोया।
कानपुर में वन विभाग में अकाउंटेंट रहे राम उजागर ने बीमारी पता चलने पर हौसला नहीं खोया। हौसले से कैंसर की जंग जीती। दूसरों के लिए मिसाल भी बने।
कानपुर, (विकास कुमार)। मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। जी हां, मजबूत संकल्प लेकर इच्छा शक्ति, हौसले और जज्बे से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को भी मात दी जा सकती है, वर्ना इस बीमारी का खौफ उसे पल-पल और तिल-तिल मारता रहता है। अधिकांश मरीज कैंसर का पता चलने पर अपनी जिंदगी का सफर खत्म मान लेते हैं, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है।
इसी बात की मिसाल हैं राम उजागर सिंह। उन्हें जब वर्ष 2011 में ब्लड कैंसर होने का पता चला तो दहशत में धैर्य और हौसला नहीं खोया। इलाज के साथ गौमूत्र सेवन और योग के जरिए कैंसर से लड़ने का फैसला लिया। डॉक्टरों ने अधिकतम आठ साल जीवन बताया था, लेकिन राम उजागर 13 साल बाद भी पूरी तरह स्वस्थ जीवन जीने के साथ दूसरे कैंसर पीड़ितों को जीने का हौसला दे रहे हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद भी वे खुद को व्यस्त रखने और दूसरों को प्ररेणा देने के लिए स्वेच्छा से वन विभाग में इसी पद पर सेवा दे रहे हैं।
कानपुर में विनायकपुर निवासी राम उजागर सिंह वन विभाग में अकाउंटेंट पद से वर्ष 2016 में सेवानिवृत्त हुए थे। वर्ष 2011 में उनको ब्लड कैंसर होने का पता चला तो परिवार परेशान हो उठा। लेकिन राम उजागर ने पहले खुद को संभाला पिर परिवार को समझाया। कई डॉक्टरों को दिखाया। इसी दौरान एक डॉक्टर ने अधिकतम आठ साल जीवन होने की बात कही।
लेकिन राम उजागर ने हिम्मत नहीं हारी। सर्वोदय नगर स्थित रिजेंसी अस्पताल में डॉ.गौरव श्रीवास्तव से इलाज कराया। बोन मैरो जांच में 64 प्रतिशत कैंसर की पुष्टि हुई। नियमित दवा, इलाज व जांच के साथ उन्होंने गौमूत्र पीना और योग करना शुरू किया। आज उनका शरीर कैंसर मुक्त हो चुका है। गौमूत्र, योग व दवा से उन्होंने न सिर्फ मौत को मात दी, बल्कि अब वह अन्य कैंसर रोगियों को भी जीने की प्रेरणा देते हैं।
इस दौरान उनके चेहरे का आत्मविश्वास देखने लायक होता है। सेवानिवृत्त होने के बाद खुद को व्यस्त रखने के लिए वह स्वेच्छा से वन विभाग में सेवा भी दे रहे हैं।
दूसरों को दिखा रहे जीने की राह
राम उजागर सिंह ने बताया कि कैंसर की बीमारी से ठीक होने के बाद उन्होंने फैसला लिया कि वह कैंसर पीड़ितों का उत्साहवर्धन करेंगे। जहां भी उन्हें कैंसर मरीज की जानकारी मिलती है, वह उनके पास जाते हैं और जीने की राह दिखाते हैं। वह बताते हैं कि हिम्मत और जीने की चाहत ऐसी थी कि उनको कीमोथेरेपी की जरूरत ही नहीं पड़ी। अब कैंसर की एबीएल बीसीआर जांच हर छह माह में करानी होती है। सैंपल मुंबई भेजे जाते हैं, जिसमें अभी तक सब कुछ ठीक है।
ये भी पढ़ें-World Cancer Day 2024: कैंसर से कई ने मानी हार तो कुछ ने लड़कर जीती जिंदगानी, अब लोगों को दे रहे प्रेरणा
