Muradabadi Zaiqa: मुरादाबाद ही नहीं दुबई-कतर और सऊदी अरब तक मुरादाबादी बिरयानी के शौकीन...जानिए क्यों है इतनी खास

Muradabadi Zaiqa: मुरादाबाद ही नहीं दुबई-कतर और सऊदी अरब तक मुरादाबादी बिरयानी के शौकीन...जानिए क्यों है इतनी खास

(अब्दुल वाजिद) मुरादाबाद, अमृत विचार। बिरयानी बनाने के सभी के अपने अपने तौर तरीके होते हैं। यूं तो बिरयानी बनाने के कई तरीके हैं लेकिन, मुरादाबादी बिरयानी में कुछ खास है। तभी तो मुरादाबादी बिरयानी का नाम सुनते ही नॉनवेज के शौकीन लोगों के मुंह में पानी आने लगता है। मुरादाबादी बिरयानी की अपनी अलग खासियत है।

लेकिन, क्या आप जानते हैं की मुरादाबादी बिरयानी की शुरुआत किसने और कब की?
दरअसल, जानकार बताते हैं कि साल 1930 के आसपास मुरादाबाद के हाजी अब्दुल गफ्फार ने मुरादाबादी बिरयानी की शुरुआत की थी। ये ऐसा दौर था जब बहुत ही कम लोग नॉनवेज के साथ मिर्च, मसाले, दूध, दही से मिश्रित बिरयानी बनाने की विधि को जानते थे। हाजी अब्दुल गफ्फार मुरादाबाद में मशहूर खानसामा जहीर आलम के पिता थे। जाहिर आलम के नाम से ही मशहूर हुई आलम बिरयानी आज मुरादाबाद ही नही आसपास के जिलों के अलावा देश के कई प्रदेशों में अपनी अलग पहचान रखती है। दिल्ली और पंजाब के बासमती चांवल, नीबू का रस, प्याज़, हरी मिर्च, अदरक, लहसुन, ज़ीरा, लौंग, काली मिर्च, बादयान फूल और नमक और तेल से तैयार होने वाली लज़ीज़ आलम बिरयानी की खुशबू दुबई, कतर, ओमान और सऊदी अरब तक महकती है। 

आलम बिरयानी के स्वामी जाहिर आलम की माने तो उनका ये पुश्तैनी काम है। लगभग 100 साल पहले उनके पिता हाजी अब्दुल गफ्फार ने मुरादाबाद में बिरयानी की शुरुआत की थी। जिसके बाद उनकी इस विरासत को वे आजतक बरकरार रखे हुए हैं। उन्होंने बताया की उनके यहां उम्दा मसालों से बिरयानी तैयार की जाती है। वे बिरयानी बनाने में कोई समझौता नहीं करते। खड़े (साबुत) मसालों से बिरयानी तैयार की जाती है। बिरयानी बनाने का 100 साल पुराना फार्मूला है जिससे वो बिरयानी बनाते हैं। 

उन्होंने बताया उनके नाम से मुरादाबाद और उसके आसपास के जिलों में ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में दुकानें संचालित हैं। वे बताते है कि मुरादाबादी आलम बिरयानी के शौकीन मुरादाबाद में नहीं बल्कि देश विदेश जैसे सऊदी अरब, क़तर, दुबई, ओमान, कतर जैसे देशों में भी हैं।

मुरादाबाद में 100 साल पहले हुई बिरयानी की शुरुआत
आलम बिरयानी के संचालक जाहिर आलम बताते हैं कि लगभग सौ साल पहले उनके पिता हाजी अब्दुल गफ्फार ने मुरादाबाद में बिरयानी की शुरुआत की, हालांकि 35 साल पहले उनकी ये बिरयानी आलम बिरयानी के नाम से मशहूर हुई है। 

देश के कई राज्यों में हैं मुरादाबादी आलम बिरयानी नाम से दुकानें
जाहिर आलम बताते हैं की मुरादाबाद में उनकी सिर्फ तीन ही ब्रांच हैं। उन्होंने कहा ईश्वर ने उनकी बिरयानी में वो खासियत दी है देश के कई राज्यों में उनके नाम से दुकानें संचालित हो रही हैं। लोग उनके नाम से फायदा उठा रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया की आलम बिरयानी के शौकीन मुरादाबाद के आसपास के जिलों के अलावा दिल्ली, मुंबई, अजमेर, लखनऊ, कानपुर के अलावा कई राज्यों में हैं। 

इन मसालों से तैयार की जाती मुरादाबादी बिरयानी
जाहिर आलम ने बताया कि 100 साल पहले उनके पिता जिस विधि से बिरयानी तैयार करते थे आज भी वही तरीका वो इस्तेमाल करते हैं। क्वालिटी से कोई समझौता नहीं करते। खड़े मसाले जैसे- लौंग, काली मिर्च, जायफल, जावित्री, ज़ीरा, के अलावा दूध, दही, अदरक, लहसुन, प्याज़, नीबु का रस, सौंफ, धनिया, का इस्तेमाल किया जाता है जिससे बिरयानी लज़ीज़ और ज़ायकेदार होती है।

सऊदी अरब से लेकर दुबई तक मुरादाबादी बिरयानी के शौकीन..
जाहिर आलम के मुताबिक हज और उमरा के दौरान हाजी पर जाने वाले आजमीने हज और उमराह करने के लिए मुरादाबाद और आसपास के जिलों से जाने वाले भी आलम बिरयानी ले जाते हैं। इसके अलावा दुबई और क़तर वगैरह से आने वाले बिरयानी के शौकीन भी इसे यहां से पैकिंग करवा कर ले जाते हैं।

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