मुरादाबाद: 133 साल पुरानी बाबूराम की दुकान की जलेबी और मूंग की दाल आपको बना देगी दीवाना, एक बार खाएंगे बार बार आएंगे

मुरादाबाद: 133 साल पुरानी बाबूराम की दुकान की जलेबी और मूंग की दाल आपको बना देगी दीवाना, एक बार खाएंगे बार बार आएंगे

अब्दुल वाजिद/मुरादाबाद, अमृत विचार। मुरादाबाद के कारीगरों के हाथों से बने लज़ीज़ और ज़ायकेदार पकवान आसपास आपको कहीं नहीं मिलेंगे। यहां आपको बहुत ही स्वादिष्ट वेज और नॉन वेज पकवान मिल जाएंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं की मुरादाबाद की मूंग की दाल और जलेबी भी बहुत स्वादिष्ट होती है।

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जी हां अगर आप खाने पीने के शौकीन हैं और सफर कर मुरादाबाद के रास्ते अपने मुकाम तक जा रहे हैं य फिर मुरादाबाद के आसपास के जिले में रहते हैं और सुबह सवेरे देसी घी से बनी गरमागरम जलेबी और मूंग की दाल से नाश्ता करना चाहते हैं तो आपको मुरादाबाद रेलवे स्टेशन से महज एक किलो मीटर की दूरी तय कर अमरोहा गेट स्थित बाबू राम मिष्ठान भंडार पर जाना होगा।

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1891 में शुरू हुए बाबूराम मिष्ठान भंडार को आज 133 साल हो चुके हैं। यहां देसी घी से बनी मिठाइयां लोगों को आकर्षित तो करती ही हैं साथ ही उसकी शुद्धता और स्वाद आपको यहां के मिष्ठान खाने पर मजबूर कर देगा। 133 साल इस पुरानी दुकान पर आपको गरमागरम जलेबी, समोसा के साथ पड़ोस में ही लगे 50 साल पुराने मूंग की दाल के ठेले पर मूंग की दाल का गज़ब स्वाद चखने को मिलेगा। लेकिन, शर्त ये है उसके लिए आपको दोपहर 12 बजे से पहले यहां आना पड़ेगा।

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यहां सुबह के वक्त दूर दराज से लोग मूंग की दाल और जलेबी खाने आते हैं। हालांकि यहां देसी घी से बनी अन्य मिठाइयां भी बहुत स्वादिष्ट होती हैं। बाबूराम मिष्ठान भंडार पर स्वादिष्ट जलेबी के अलावा देसी घी से बनी इमरती, गाजर का हलवा, मूंग की दाल का हलवा और खांडवी भी बहुत जायकेदार होती है। 

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इसके साथ ही अमरोहा गेट स्थित पीतल बाज़ार में मूर्तियाँ और पूजा के बर्तन खरीदने के लिए लोग दुनिया भर से आते हैं। पीतल के अलावा यहाँ के पकवान भी बहुत प्रसिद्ध हैं। यहाँ की मूंग की दाल और जलेबी के मुरादाबाद के लोग ही कायल नहीं बल्कि विदेशी मेहमान भी इसके स्वाद के दीवाने हैं।

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उत्तर भारत के लज़ीज़ व्यंजनों में मुरादाबादी दाल की भी अपनी अहमियत है। यहां की दाल जलेबी जितनी खाने में जायकेदार होती है उतनी ही पौष्टिक भी है। यही वजह है की मुरादाबाद की बर्थ डे पार्टी हो या विवाह कार्यक्रम मूंग की दाल के बगैर अधूरे माने जाते हैं आम तौर पर इसे नाश्ते या स्टार्टर के तौर पर सर्व किया जाता है।

मुरादाबाद में मूंग की दाल की इतनी मांग है की 300 से ज्यादा ठेले और दुकानों पर मूंग की दाल आपको बिकती हुई मिल जाएगी इसे पीतल के परात में धीमी आंच पर रखा जाता है और धीमी आँच पर तैयार होने वाली खुरचन दाल के साथ वैसे ही स्वाद देती है जैसे लस्सी के साथ मलाई. इस दाल में मक्खन , भुना जीरा , अदरक , काला नमक , चाट मसाला , धनिया, भुनी मिर्च, हरी मिर्च और नीबू डाला जाता है और दाल के साथ में गर्म गर्म जलेबी इसके जायके को चार गुना बढ़ा देती है।

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133 साल पुरानी बाबूराम की दुकान
साल 1891 में शुरू हुई बाबूराम मिष्ठान भंडार अमरोहा गेट बर्तन बाजार में स्थित है। यहां की देसी घी से निर्मित मिठाइयों की दूर दूर तक डिमांड है। दूर दराज़ से लोग यहां से मिठाइयां खरीदकर आसपास के जिलों में ले जाते हैं। 

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सुबह 6 से दोपहर 11 बजे तक मिलती है स्पेशल जलेबी और मूंग की दाल
133 साल पुरानी बाबूराम मिष्ठान भंडार पर देसी घी से बनी मिठाइयों के अलावा सुबह सवेरे गरमागरम जलेबी भी मिलती है। अधिकतर लोग नाश्ते के वक्त देसी घी से बनी स्वादिष्ट जलेबी खाते हैं तो कुछ लोग जलेबी और मूंग की दाल भी खाना पसंद करते हैं। यहां की बनी जलेबी और मूंग की दाल का कॉम्बिनेशन बहुत स्वादिष्ट होता है। अगर आपको यहां की स्वादिष्ट जलेबी और मूंग की दाल खानी है तो आपको दोपहर 11 बजे से पहले आना होगा।

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बाबूराम मिष्ठान भंडार का बटर वाला तरबूज और अंडा भी बहुत मशहूर है
बाबूराम मिष्ठान भंडार पर देसी घी से निर्मित मिठाइयां तो मिलती ही हैं साथ ही सुबह नाश्ते के समय मूंग की दाल और जलेबी के अलावा समोसा, ढोकला, खांडवी, गाजर का हलवा, मूंग की दाल का हलवा नाश्ते में तैयार मिलता है जबकि नवरतन लड्डू, बालू शाही, मूंग दाल का रस गुल्ला, मिल्क केक, मलाई ग्लोरी, मलाई रोल, सोहन पापड़ी, बटर तरबूज, बटर अंडा और मक्खन समोसे जैसे स्वादिष्ट मिलते हैं।

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जिगर के शहर मुरादाबाद की पहचान विश्वभर में पीतल नगरी के नाम से भी है
मशहूर शायर और ग़ज़ल के शहंशाह जिगर के शहर मुरादाबाद को दुनिया भर में पीतल पर की जाने वाली नक्काशी और उसकी चमक के लिए भी जाना जाता है। यहां की पहचान दुनिया भर में पीतल नगरी के नाम से है। लेकिन यहां के स्वादिष्ट पकवान भी देश विदेश में मुरादाबाद की पहचान में चार चांद लगाते हैं।

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