Amrit vichar impact : बाराबंकी में लेखपालों ने खाली किए किराए के कमरे, चस्पा हुई नाम और मोबाइल नंबर की सूची
अमृत विचार की खबर के बाद हरकत में आए प्रशासन की सख्ती के बाद दिखा बदलाव
कवेन्द्र नाथ पांडेय/ बाराबंकी, अमृत विचार। बाराबंकी में डीएम आवास के सामने लेखपाल वाली गली में किराए के कमरों में दफ्तर खोल लेखपाल तहसील चला रहे थे। इसके चलते आईएसओ का दर्जा हासिल करने वाली नवाबगंज तहसील में आमजनता के लिए लेखपाल आसानी से सुलभ नहीं हो पाते थे। आवंटित कमरों में सन्नाटा और चस्पा की गई नाम व मोबाइल नंबर वाली सूची तक के न होने से लोगों को निराश होकर लौटना पड़ा था। इस आशय का समाचार आठ फरवरी के अंक में अमृत विचार में प्रमुखता के साथ बाराबंकी में अब लेखपाल वाली गली, किराए के कमरें चला रहे तहसील शीर्षक से प्रकाशित की थी।
खबर का संज्ञान लेकर हरकत में आए प्रशासन ने जहां तहसील में नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक के नाम, क्षेत्र व मोबाइल नंबर की सूची चस्पा कराई। वहीं डीएम आवास के सामने किराए पर कमरा लेकर दफ्तर चलाने वाले लेखपालों पर सख्ती की तो किराए के कमरे खाली कर लेखपाल तहसील में आवंटित कमरों में बैठने लगे।

बाराबंकी की नवाबगंज तहसील को वर्ष 2019 में आईएसओ का दर्जा हासिल हुआ। इसके लिए तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम अजय कुमार द्विवेदी आईएएस ने दिन रात की मेहनत कर तहसील की सूरत बदली। बाहर तहसील का बोर्ड और फौव्वारा तो अंदर पूछताछ केंद्र, सभागार, कर्मचारियों की बायोमैट्रिक अटेंडेंस,लेखपाल और राजस्व निरीक्षक के बैठने के कक्ष, कुर्सी के सामने नेम प्लेट और लेखपाल, राजस्व निरीक्षक, अमीन, नायब तहसीलदार के नाम, मोबाइल नंबर और सर्किल का नाम वाली सूची कई स्थानों पर लगवाई थी। ताकि तहसील आने वाली आमजनता को कोई दिक्कत ना हो।
यह सब देख कर यहां पहुंचे आई एसओ के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के के गोगिया आईएएस एसडीएम अजय द्विवेदी की सराहना करते हुए कहा कि बाराबंकी की नवाबगंज तहसील अन्य तहसीलों के लिए नजीर बनेगी। मगर, अजय द्विवेदी के तबादले के बाद तीन वर्ष में ही आईएसओ के मानक धरासाई हो गए। यहां लगी लेखपाल और राजस्व निरीक्षक के नाम और मोबाइल नंबर वाली सूची गायब हो गई। बायोमेट्रिक उपस्थित बंद हुई तो अधिकांश लेखपालों ने आवंटित कमरों में बैठना बंद कर दिया। इसके बाद डीएम आवास के सामने किराए के कमरों में अपना दफ्तर बनाकर लेखपाल तहसील के काम मुंशियो से करा रहे थे। मगर, खबर प्रकाशित होने के बाद लेखपालों ने कमरे खाली किए तो तहसील में उनकी सुलभता देखने को मिल रही है। वहीं नाम व मोबाइल नंबर की सूची से आम जनता को सहूलियम मिलती दिख रही है।
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