Kanpur: सिद्धनाथ मंदिर कॉरिडोर का निर्माण शुरू; बिजली के तार होंगे अंडरग्राउंड, मिलेगी पार्किंग की सुविधा

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Published By Deepak Shukla
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विधानसभा अध्यक्ष व महापौर ने पूजन कर की शुरुआत, दो चरणों में पूरा किया जाएगा काम

कानपुर, अमृत विचार। द्वितीय काशी के नाम से प्रसिद्ध सिद्धनाथ मंदिर जल्द ही कॉरिडोर के रूप में दिखेगा। शनिवार को जाजमऊ स्थित सिद्धनाथ मंदिर कॉरिडोर के निर्माण कार्य का पूजन के साथ शिलान्यास हो गया। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, महापौर प्रमिला पांडेय और नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन ने सिद्धनाथ बाबा का पूजन और आरती कर निर्माण कार्य की शुरुआत कराई। 

सिद्धनाथ मंदिर 2

नगर निगम अवस्थापना निधि से पहले चरण में लगभग पांच करोड़ रुपये से मंदिर के सुंदरीकरण के साथ पार्किंग और आसपास का विकास कार्य कराया जाएगा। दूसरे चरण में भी 4 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे फोरलेन सड़क का निर्माण कराया जाएगा। आनंदेश्वर मंदिर कॉरिडोर के बाद अब सिद्धनाथ मंदिर कॉरिडोर जाजमऊ का भी निर्माण कराने की तैयारी की गई है। 

अभी रास्ता चौड़ा करने के साथ ही मंदिर परिसर में सौ चार पहिया वाहन खड़े करने के लिए पार्किंग की व्यवस्था की जा रही है ताकि सड़क पर वाहन न खड़े हों। नगर आयुक्त ने बताया कि सिद्धनाथ मंदिर का भव्य कॉरिडोर डिजाइन पहले से तैयार है। कॉरिडोर निर्माण के तहत मंदिर से जुड़े मार्गों की मरम्मत, प्रवेश द्वारों का सुंदरीकरण के अलावा मंदिर परिसर में जो बिजली के तार लटक रहे हैं, उन्हें अंडरग्राउंड किया जाएगा। इस तरह से कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा, जिससे बिना किसी रुकावट के लोग मंदिर जाकर दर्शन कर सकें और गंगा जी के भी दर्शन कर सकें।

त्रेतायुग का मंदिर का इतिहास

प्राचीन सिद्धनाथ मंदिर भक्तों में द्वितीय काशी के नाम से चर्चित है। मोक्षदायिनी मां गंगा के पावन तट पर स्थित सिद्धनाथ मंदिर का इतिहास त्रेतायुग का है। मान्यता है कि राजा ययाति द्वारा कराई गई खोदाई में सिद्धनाथ मंदिर के शिवलिंग की प्राप्ति हुई थी। भक्त बताते हैं कि प्राचीन काल में यहां लगातार 100 यज्ञ पूरे होने के बाद इस स्थल को काशी का दर्जा मिल जाता, लेकिन 100वें यज्ञ के दौरान एक कौवे ने हवन कुंड में हड्डी डाल दी थी। 99 यज्ञ पूरे होने के चलते यह स्थल द्वितीय काशी के रूप में पहचाना जाने लगा।

यह है मंदिर की विशेषता

सिद्धनाथ बाबा को जाजमऊ के कोतवाल के रूप में पूजा जाता है। भक्त गंगा जल से महादेव का जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। श्रावण मास में मंदिर परिसर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। भक्त बेल पत्र और दूध-दही महादेव पर अर्पित करते हैं। यहां स्थापित शिवलिंग की लंबाई नापने के लिए दो बार खोदाई भी हो चुकी है, लेकिन शिवलिंग के अंतिम छोर का पता नहीं चल सका।

जागेश्वर और वनखंडेश्वर बनेंगे कॉरिडोर  

जागेश्वर कॉरीडोर में चिड़ियाघर रोड की तरफ भव्य गेट बनेगा। मैनावती मार्ग का भी सुंदरीकरण होगा। मंदिर की सीढि़यों की मरम्मत करने व टाइल्स लगाने के साथ ही पूजा घर के पास पूजन सामग्री की दुकानें बनेंगी। इस प्राचीन मंदिर से सिग्नेचर सिटी की तरफ जाने वाले मार्ग का निर्माण होगा और नालियां बनेंगी। इन कार्यों की अनुमानित लागत दो करोड़ रुपये है। 

वहीं, पीरोड के पास स्थित वनखंडेश्वर मंदिर कॉरीडोर विकसित करके भक्तों का आवागमन सुगम किया जाएगा। सड़क के दोनों तरफ अक्रिमण हटाया जाएगा। सड़क चौड़ी करते हुए फुटपाथ पर पत्थर लगेंगे। सड़क व फुटपाथ के बीच इस तरह से नाली बनाई जाएगी कि वहां वाहन खड़े हो सकें। आकर्षक लाइटें लगेंगी। इसकी अनुमानित लागत एक करोड़ रुपये है। इन दोनों ही मंदिरों को कॉरिडोर बनाने पर भी अधिकारी आगे बढ़े हैं।

सौभाग्य है कि हम बाबा का दर्शन कर रहे हैं। सिद्धनाथ मंदिर के कॉरिडोर बनाने के कार्यों का आज शिलान्यास किया गया है। लगभग पांच करोड़ रुपये से पहले चरण में काम होगा। हम इन कार्यों को आगे भी बढ़ाएंगे। मैं, नगर निगम के नगर आयुक्त और महापौर प्रमिला पांडेय को शुभकामनाएं देता हूं। - सतीश महाना, विधानसभा अध्यक्ष

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