बाराबंकी: प्रसिद्द महादेवा मंदिर में दर्शन को दूर-दूर से आ रहे भक्त, जगह-जगह दिख रहे कांवड़ियों के जत्थे
बाराबंकी, अमृत विचार। कांधे पर कांवड़, पांव में घुंघरु, जुबां पर भगवान शिव शंभू का नाम यही है सच्चे भक्तों की पहचान। मस्तक पर तिलक और केसरिया वेश में कांवड़िए अपने गंतव्य की ओर बढ़ते चले जा रहे हैं। रामनगर के प्रतिद्ध लोधेश्वर महादेवा मंदिर में दर्शन करने के लिए दूर-दराज जिलों से पैदल चलकर शहर में कावड़ियों का सैलाब उमड़ा हुआ है। भगवान शिव का गुणगान करते हुए भोले के भक्त सड़कों से गुजर रहे हैं। रथ के समान ट्रैक्टर ट्रॉली को सजाकर उस पर रखे डीजे पर बज रहे भक्ति गीत पूरे क्षेत्र को शिवमय मना रही है। सबसे खास बात यह है कि कांवड़ियों के गुजर रहे रेला आगे-आगे भगवा रंग के झंड़ों के बीच तिरंगा भी लहरा रहा है।
जिले मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर रामनगर क्षेत्र के प्रसिद्ध लोधेश्वर महादेवा में शुरु हुए फाल्गुनी मेला के साथ 8 मार्च को महाशिवरात्रि से पहले उत्तर प्रदेश ही नहीं अन्य प्रदेशों से कांवड़िए हजारों मील पैदल जलकर बाबा का जलाभिषेक करने को यहां पहुंच रहे हैं। इस बार भी कांवडि़यों में युवाओं के साथ बुजुर्ग, महिला और बच्चों की संख्या भी सर्वाधिक है। शहर के रास्ते कावंड़िये बाबा की नगरी पहुंच रहे हैं। शहर में हर दस मिनट पर भक्तों का जत्था गुजर रहा है। डीजे पर बज रहे भक्तिगीत और कांवड़ियों के पैरों में बंधे घुंघरु की आवाज से पूरा तन-मन आनंदित हो जा रहा है। प्रतिदिन शहर के रास्ते हजारों कांवड़िये यहां से गुजर कर बाबा के दर्शन को आतुर दिख रहे हैं। कोई कांवड़ियां उन्नाव से पैदल गंगाजल लेकर आ रहा है तो कोई कानपुर और जालौन से। कोई आगरा से चला आ रहा है तो कोई हजारों मील दूर से। बीते 22 जनवरी को राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद राममय हुआ शहर और जिला अब शिवमय हो चुका है। गुजर रहे जत्थों के बीच भंगवा रंग में झंड़ा, बैनर लिए कांवड़िये जय भोले का उदघोष कर रहे हैं, यही नहीं लंबा और ऊंचा तिरंगा भी हाथ में लेकर देशभक्ति की अलग भी कांवड़िये जगा रहे हैं।

विश्राम कर रहे उन्नाव जिले के जालिम खेड़ा गांव के निवासी शत्रोहन ने जय भोले का जयकारा लगाने के बाद बताया कि वह जाजमऊ कानपुर से गंगाजल भरकर पैदल लोधेश्वर धाम पहुंच रहे हैं। उनकी यह तीसरी बार पैदल यात्रा है। पैदल लंबा सफर तय करने के सवाल पर कहा कि बाबा की भक्ति और उनके आर्शीवाद से थकान का एहसास ही नहीं होता।
मुरवतपुर तहसील हसनगंज जिला उन्नाव के रहने वाले सुमित कुमार देवांश ने बताया कि वह 25 फरवरी को गंगाजल भरकर निकले थे। जो 27 तारीख को महादेव की नगरी पहुंचे थे। अब वापस लौट रहे हैं। वह भी कई सालों से बाबा के दर्शन कर जलाभिषेक करने यहां पैदल आते हैं। दर्शन के बाद मन को बहुत आनंद प्राप्त होता है। बस बाबा आर्शीवाद बनाए रखे।
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