प्रयागराज: संग्रहालय में रखी ताड़पत्र से बनी 1000 साल पुरानी पांडुलिपियों को खा गये दीमक, किसी को ना होश ना खबर!

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Published By Sachin Sharma
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद संग्रहालय में रखी प्राचीनतम साहित्यिक और धार्मिक ग्रंथों की पांच सौ से एक हजार साल दुर्लभ ताड़पत्र से बनी दुर्लभ पांडुलिपियां सड़कर खराब हो गयी है। ताड़पत्रों में दीमक लग चुके हैं। उस ताड़पत्र को देखकर अब यह अंदाजा नही लगाया जा सकता है कि यह किस कालखंड के है। 

इलाहाबाद संग्रहालय में तमाम ग्रंथ, साहित्यिक, धार्मिक और शहीदों की यादों से संजोए संग्रह रखे गये है। वहां रखी ताड़पत्र की हजारों साल पुरानी पांडुलिपियां सड़कर खराब हो गयी हैं। इसकी जानकारी पर संग्रहालय के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। कमरे में ताड़पत्रों की दुर्लभ पांडुलिपियां एक बॉक्स में रखी हुई हैं, जिसमें ज्यादातर हिस्से को दीमक खा चुके हैं।

ताड़पत्र में लिखे गये शब्द पाली या उड़िया भाषाओं में अंकित हैं। समिति ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि फारसी का महाग्रंथ शाहनामा भी नष्ट हुआ है। इन पांडुलिपियों में फिरदौसी कृत फारसी का महाग्रंथ शाहनामा भी शामिल है।  यह रचना ईरान पर अरबी फतह के बाद सन् 1010 में फिरदौसी ने लिखी थी। इसमें सन 636 के पूर्व के शासकों का चरित लिखा गया है।

हालांकि पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से ताड़पत्रों का लेखन सामग्री के रूप में इस्तेमाल किए जाने के प्रमाण मिल चुके हैं। जानकारी यह भी मिली है कि इन पांडुलिपियों को स्ट्रांग रूम के डबल लॉक में रखवाने की बजाए जमीन पर छोड़ दिया गया था। जिससे यह खराब हो गयी है। जानकारी मिलने के बाद इस मामले में पांच सदस्यीय जांच समिति बनाई गई।

वहीं इस मामले पर जानकारी देते हुए इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक राजेश प्रसाद ने बताया कि संग्रहालय में बहुत राजनीति चल रही है। उन्हें पांडुलिपियों के खराब होने या ताड़पत्रों में दीमक लगने की जानकारी नहीं दी गई है। इसके बारे में पता लगाया जाएगा।

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