अयोध्या: आठ साल में भी परवान नहीं चढ़ी खेत-तालाब योजना, जिले के 11 ब्लाकों की 835 पंचायतों में मिले महज 350 तालाब

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Published By Sachin Sharma
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अयोध्या, अमृत विचार। जल संचयन और मत्स्य पालन के उद्देश्य से 2016 में शुरु की गई खेत तालाब योजना आठ साल बाद भी सिरे नहीं चढ़ सकी। आठ वर्षों के दौरान जिले में इस योजना का प्रचार-प्रसार न होना संकट बन गया। वर्तमान में स्थिति यह है कि जिले के सभी 11 ब्लाकों की 835 पंचायतों में अब तक इस योजना में केवल 350 तालाब खुदे हैं। जबकि प्रत्येक पंचायतों में 10 तालाब खोदे जाने थे।

जल संचयन के उद्देश्य के साथ खेत तालाब योजना केन्द्र और प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2016 में लागू हुई थी। इसके तहत तालाब का निर्माण कर एकत्रित होने वाले पानी से फसलों की सिंचाई, मत्स्य पालन से आमदनी में इजाफा किया जाना प्रस्तावित था। वर्ष 2016 में शुरू हुई इस योजना के लाभार्थियों को तीन किस्तों में धनराशि प्रदान की जानी थी। जिसमें पहली किस्त 57,100, दूसरी और तीसरी 28500 बतौर अनुदान के रूप में मिलनी थी।

योजना के तहत इस धनराशि से कृषक खुद की परती पड़ी या अन्य भूमि पर ग्राम पंचायत समिति के अनुमोदन से तालाब का निर्माण करा सकता है। इसके अतिरिक्त धनराशि उसे खुद व्यय करनी पड़ेगी। जिले में स्थिति यह है कि जिला स्तर से लेकर ब्लाक और पंचायत स्तर तक किसानों को जागरूक ही नहीं किया गया। अब जब केन्द्र सरकार से ब्यौरा मांगा गया तो जांच के बाद हकीकत सामने आई।

जिले की 835 पंचायतों में केवल 350 तालाब पाए गए हैं। जबकि इसकी मानीटरिंग की जिम्मेदारी खंड विकास अधिकारियों को सौंपी गई थी। पूराबाजार, मिल्कीपुर, सोहावल, हैरिंग्टनगंज, बीकापुर, मवई, रुदौली, मया बाजार आदि में स्थिति शून्य पाई गई है।

खेत तालाब योजना लाभार्थियों के आवेदन पर निर्भर है। इसे लेकर कृषकों की ओर से रुचि नहीं दिखाई गई, स्वैच्छिक योजना के तहत दबाव भी नहीं दिया जा सकता है।

                                                                                दीपक कुमार, जिला समन्वयक, पंचायतीराज विभाग

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