पीलीभीत: मेडिकल कॉलेज में नहीं मिल पा रहीं दवाएं, मरीज हो रहे परेशान

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Published By Vikas Babu
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पीलीभीत, अमृत विचार: संयुक्त चिकित्सालय से मेडिकल कॉलेज का दर्जा मिलने के बाद भी जिले में स्वास्थ्य सेवाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। डॉक्टर ओपीडी में जो दवाएं लिख रहे हैं, वह भी पूरी तरह से उन्हें काउंटर पर नहीं मिल रही है। अगर चार दवाएं  लिखी गई तो दो बाहर से खरीदनी पड़ रही है।  बीते डेढ़ माह से मेडिकल कॉलेज में दर्द निवारक ट्यूब और खांसी के सिरप के अलावा अन्य दवाएं नहीं हैं। 

मौसम में बदलाव के बाद से मेडिकल कॉलेज के साथ निजी अस्पतालों में सर्दी के साथ बुखार औैर जोड़ों के दर्द के मरीज बढ़ने लगे हैं। इन दिनों अस्थि रोग विभाग और जरनल मेडिसिन में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी हैं। औसतन रोजाना 250 के करीब मरीज पहुंच रहे हैं। इसके अलावा कॉलेज में सर्दी, जुकाम और खांसी के मरीज भी बड़ी संख्या में पहुंच कर इलाज करा रहे हैं। 

बुधवार को मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में 1245 के करीब रही। इनमें करीब  210 मरीज अस्थि रोग और 260 मरीज सर्दी, खांसी, जुकाम बुखार के शामिल रहे। कमर दर्द, जोड़ो का दर्द, कंधे का दर्द, सर्वाइकल आदि की समस्या तेजी से बढ़ रही है। इसके अलावा  वहीं कॉलेज की ओपीडी में जनरल फिजीशियन, चेस्ट फिजीशियन, बाल रोग विशेषज्ञ और नाक, कान और गला सर्जन के पास भी मरीजों की भीड़ रहती है। 

यहां मरीज इलाज कराने के लिए लाइन में लगाकर अपना पर्चा बनवाने के बाद ओपीडी में पहुंचते हैं। जहां डॉक्टरों की ओर से पर्चे पर दवा लिखकर दी जा रही है। मगर मेडिकल कॉलेज में दवा काउंटर पर दवा न होने के कारण मरीजों को भटकना पड़ रहा है। इन दिनों सबसे अधिक दर्द में प्रयोग होने वाले डाईक्लोफेनिक जैल  ट्यूब और खांसी में प्रयोग किए जाने वाले कफ सिरप की डिमांड अधिक है। जो बीते डेढ़ माह से मेडिकल कॉलेज में दवा काउंटर पर उपलब्ध नहीं है। 

इनके अलावा स्किन और ईएनटी से संबधित दवाओं का भी स्टॉक उपलब्ध नहीं है।  ऐसे में मरीजों को मेडिकल से दवा खरीदने को मजबूर हैं। मरीज शिवम वर्मा ने बताया कि मरीजों को आधा अधूरा उपचार मिल पा रहा है। मेडिकल कॉलेज के सीएमएस डॉ संजीव सक्सेना ने  जानकारी देते हुए बताया कि दवाओं की मांग की गई है जल्द ही दवा उपल्ब्ध हो जाएंगी।

स्टोर में दवाएं काउंटर पर मना
कई मरीजों से दवा काउंटर पर दवा न होने की बात कही गई। इस दौरान दर्द का ट्यूब, सीएमसी आंखों का ड्रॉप, सिट्राजिन टेबलेट की काउंटर पर मना कर दी गई। जबकि ड्रग स्टोर में ये सभी दवाएं उपलब्ध थीं। स्टोर संचालक ने बताया उनके पास मांग पत्र नहीं आया। जिन दवाओं का मांग पत्र आता है, वो दवा दी जाती हैं। फिलहाल कुछ भी जो मरीजों को ही परेशानी उठानी पड़ रही है।  

दर्जा बदला, दवाओं का पैटर्न आज भी जिला अस्पताल का
जिला संयुक्त चिकित्सालय को मेडिकल कॉलेज में तब्दील कर दिया गया है। तय मानक के अनुरुप जिला अस्पताल में 287 कैटगरी की दवाएं आती है। जबकि सीएचसी में 215 और पीएचसी पर 63 से 90 कैटगरी की दवाएं उपलब्ध होने का मानक है। मगर, मेडिकल  कॉलेज में 735 कैटगरी की दवाओं का मानक होता है। जो जिले में अभी तक लागू नहीं हो सका। 

मेडिकल कॉलेज बनने के बाद भी जिला अस्पताल में आने वाली दवाओं के पैटर्न पर काम चल रहा है। अभी तक कॉलेज की ओर से दवाओं का इंडेड जारी नहीं किया गया है। अफसरों का कहना है कि लखनऊ डीजीएमयू ने मेडिकल कॉलेज में भेजी जाने वाली दवाओं की सूची मांगी है। जल्द ही नए सिरे से संचालन किया जाएगा।

कुछ दवाओं की कमी बनी हुई है। जिनकी डिमांड  भेज दी गई है। साथ ही मेडिकल कॉलेज बनने के बाद अब डीजीएमयू की ओर से दवाओं की सूची मांगी गई है। क्योंकि अभी तक जिला अस्पताल में आने वाली दवाओं से काम चल रहा था। अब दवाओं का इंडेड आने के बाद मेडिकल कॉलेज की दवाएं बांटी जाएंगी। इधर, बदलते मौसम के चलते जोड़ों के दर्द की समस्या अधिक सामने आ रही हैं, इसलिए मरीज बचाव जरुर करें--- डॉ. संजीव सक्सेना, सीएमएस पुरुष अस्पताल।

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