पीलीभीत: गोद लेने के बाद स्कूलों में झांकने नहीं गए जनप्रतिनिधि-अफसर, स्थिति बदहाल
कागजों में सिमट गया शासन का अभियान, नहीं हुआ स्कूलों में सुधार
पीलीभीत, अमृत विचार। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा और भवन की तस्वीर सुधारने के लिए शासन के निर्देश पर जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अफसरों ने सकूल गोद तो लिए लेकिन असर नहीं दिख सका है। ये मुहिम सिर्फ कागजों में सिमटकर रह गई है। अभी भी कई स्कूलों में स्थिति बदहाल हैं। कहीं गंदगी के ढेर लगे हैं तो कहीं शौचालय और क्लास रूम जर्जर है। बच्चों को बेहतर शिक्षा हासिल नहीं हो पा रही है।
जिले में परिषदीय विद्यालयों की संख्या 1503 हैं। जिसमें 294 कंपोजिट, 932 प्राथमिक और 277 उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित होते हैं। इनमें नगरीय क्षेत्र में 18 स्कूलों का संचालन जहां करीब पौने दो लाख बच्चे अध्ययनरत हैं। विभाग का दावा है कि शासन के निर्देश पर जिले भर के 125 विद्यालयों को गोद लिया गया था। जिसमें जनपद स्तरीय अफसरों ने 102, जनप्रतिनिधियों ने 15 और मंडल स्तरीय अधिकारियों ने आठ विद्यालयों को गोद लिया।
बताते हैं कि आनन-फानन में प्रक्रिया को पूरा कर शासन को रिपोर्ट भेज दी, जिसके चलते कई जिम्मेदारों को यह नहीं पता चला कि उन्होंने कोई स्कूल भी गोद लिया है। जितने भी स्कूलों को गोद लिया गया है, उनकी स्थिति दयनीय है। अमृत विचार की टीम ने गोद लिए गए कुछ स्कूलों की हकीकत परखने के लिए शनिवार को पड़ताल की तो कई स्कूल जर्जर हाल में मिले। जबकि शासन परिषदीय विद्यालयों पर भारी भरकम बजट खर्च कर रही है। कायाकल्प के द्वारा भी इन स्कूलों में काम कराने के दावे हुए। नतीजतन जिस मंशा के तहत स्कूल गोद दिए गए थे, उतना काम नहीं हो सका।
पुत्रवधू के स्कूल को लिया गोद, फिर भी कई काम अधूरे
बरखेड़ा ब्लॉक में ब्लॉक प्रमुख रामदेवी गंगवार ने पूर्व माध्यमिक विद्यालय गाजीपुर कुंडा को गोद लिया है। जिसमें उनकी पुत्र वधू मीना गंगवार पत्नी कमलेश गंगवार इंचार्ज अध्यापक के तौर पर कार्यरत हैं। इस स्कूल में कोई अन्य शिक्षक कार्यरत नहीं है। दो अनुदेशक काम कर रहे हैं। इस स्कूल में कक्षा छह में 66, कक्षा सात में 45 और कक्षा आठ में 25 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। विद्यालय में विज्ञान व गणित एवं अंग्रेजी विषय के शिक्षक होना चाहिए जो नहीं है। इसके अतिरिक्त प्रधानाध्यापक भी होना चाहिए। लेकिन वर्ष 2020 से पद रिक्त चल रहा है।

बच्चों के खेलने के लिए मैदान तक नहीं है और न ही दिव्यांग बच्चों के लिए शौचालय की कोई व्यवस्था है। साथ ही अब विद्यालय का भवन भी जर्जर होने लगा है। वर्तमान में एक कमरा जर्जर पड़ा हुआ है। विद्यालय में चार कमरे ठीक हालत में है, जबकि पांचवा कक्ष जर्जर है। विद्यालय का प्रांगण नीचा होने के कारण बरसात में जल भराव की समस्या बनी रहती है। अभी तक स्कूल के प्रागंण का पटान नहीं कराया गया है।
बताते हैं कि दो साल पहले एक अन्य जनप्रतिनिधि ने विद्यालय में विज्ञान लैब के लिए करीब सात लाख रुपए देने की घोषणा की थी लेकिन अब तक नहीं दे पाए। इधर, ब्लॉक प्रमुख रामदेवी गंगवार का कहना है कि विद्यालय गोद लेने के बाद विद्यालय में ग्राम पंचायत द्वारा लगभग140 मीटर चाहरदीवारी का निर्माण कराया गया है। विद्यालय में जल्द ही मिट्टी से पटान कराकर समतल किया जाएगा। ताकि जलभराव की समस्या न होने पाए। इसे लेकर प्रक्रिया चल रही है।
बमरौली के कंपोजिट विद्यालय को गोद लेने के बाद भूल गए मंडी सचिव
शिक्षा के स्तर की गुणवत्ता परखने एवं जरूरी आवश्यकताओं की पूर्ति कराने के बाबत जिन अधिकारियों ने विद्यालयों को गोद लिया है। उन्होंने गोद लेने के बाद जिम्मेदारी का निर्वाहन करना तो दूर की बात, विद्यालय में एक बार भी आने की भी जरूरत नहीं उठाई। ऐसा ही हाल बिलसंडा ब्लॉक के गांव बमरौली स्थित कंपोजिट विद्यालय का है। इसे बीसलपुर मंडी समिति के सचिव को गोद दिया गया था, लेकिन बताते हैं कि उन्होंने एक बार भी विद्यालय पहुंचने की भी जरूरत नहीं समझी।

यही वजह रही की प्रधानाध्यापक को भी यह पता नहीं कि उनके विद्यालय को किस अधिकारी ने गोद लिया है। प्रधानाध्यापक संजय गुप्ता ने बताया कि उनके विद्यालय में 356 बच्चे शिक्षारत हैं ,इनमें प्राथमिक विद्यालय में 210 और 146 बच्चे जूनियर हाई स्कूल में दर्ज हैं । उन्होंने बताया कि प्राथमिक विद्यालय में तीन शिक्षक और एक शिक्षामित्र की तैनाती है। इसके अलावा जूनियर हाई स्कूल में शिक्षक गोपेश शर्मा के एआरपी का दायित्व निभाने की वजह से विद्यालय में एक भी शिक्षक नहीं है, बल्कि तीन अनुदेशकों से ही काम चलाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बावजूद इसके विभागीय अधिकारी अनदेखी कर रहे हैं। रही बात सुविधाओं की तो यहां आज भी बच्चे जमीन में बैठकर ही पढ़ाई कर रहे हैं। इसके अलावा खेल का मैदान भी ठीक नहीं है। जो काम कायाकल्प के तहत कराए गए वहीं हुए। उसके अतिरिक्त कोई सुधार नहीं हुआ है। इधर, मंडी सचिव बीसलपुर नाजिम का कहना है कि उन्हें स्कूल के आसपास मील का लाइसेंस नहीं देने के लिए कहा गया था। बाकी गोद दिया है। ऐसा कुछ जानकारी में नहीं है।
टूटी पड़ी हैंडवॉश की टंकियां, खिड़की दरवाजे भी टूटे
अमरिया ब्लॉक के कैंचूटांडा गांव में स्थित कंपोजिट विद्यालय को अमरिया पशु चिकित्साधिकारी ने गोद लिया था। लेकिन गोद लेने के बाद साहब आज तक स्कूल में झांकने तक नहीं पहुंचे। इस विद्यालय के कैंपस में ही ग्राम पंचायत सचिवालय का संचालन होता है। जिस वजह से गेट पर ताला नहीं डाला जाता है। ऐसे में स्कूल बंद होने के बाद खुराफाती तत्वों और चोरों के द्वारा हैंडवॉशिंग की टंकियां तक तोड़कर गायब कर दी गई है। इतना ही नहीं खिड़की दरवाजे भी टूट पड़े हैं।

इस स्कूल भेदभाव देखने को मिला। जहां कक्षा एक से पांच तक के बच्चे दरी पर बैठकर पढ़ाई करते मिले। तो वहीं कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को फर्नीचर उपलब्ध कराया हुआ है। साथ ही खेल का मैदान आदि व्यवस्थाएं भी जर्जर पड़ी हुई है। जिनको कोई देखने वाला नहीं है। अफसर सिर्फ कागजों में स्कूलों का निरीक्षण कर अपनी रस्मअदायगी कर ले रहे हैं। जिस कारण बेसिक शिक्षा के स्कूल का उद्वार नहीं हो पा रहा है। साथ ही स्कूलों में पढ़ाई भी ठीक ठाक से होती नहीं है। पशु चिकित्साधिकारी अमरिया को कई बार कॉल की गई, मगर कॉल रिसीव न होने के चलते बात नहीं हो सकी।
जमीन पर बैठकर पढ़ते मिले देश का भविष्य
पूरनपुर ब्लॉक के गांव खमरिया पट्टी के प्राथमिक विद्यालय को बीडीओ अरुण कुमार सिंह ने गोद लिया है। इस स्कूल में कक्षा एक से पांच तक में 162 बच्चे पंजीकृत है। स्कूल में इंचार्ज अध्यापक का शिवांगी, पूनम सहित तीन शिक्षका और शिक्षामित्र कुसुम तैनात हैं। शनिवार को इंचार्ज अध्यापिका शिवांगी विभागीय प्रशिक्षण में शामिल होने के लिए गई थी। स्कूल में साफ सफाई की व्यवस्था भी पहले से बेहतर है। हालांकि विद्यालय के बच्चे अभी भी पट्टी पर बैठकर पढ़ने को मजबूर है।

विभाग की ओर से बच्चों को बैठने के लिए अभी तक पर्याप्त रुप से फर्नीचर की व्यवस्था नहीं कराई गई है। ठंड के दिनों में भी बच्चे टाइल्स पर बिछी पट्टी पर बैठते रहे। इंचार्ज अध्यापिका शिवांगी ने बताया कि सभी पंजीकृत बच्चे स्कूल पहुंच रहे हैं। स्कूल में सुविधाएं तो ठीक ठाक मिली। मगर बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर नहीं मिल सका है। इधर, खंड विकास अधिकारी अरुण कुमार सिंह ने बताया कि समय-समय पर स्कूल का निरीक्षण किया जाता है।
पिछले निरीक्षण में शिक्षकों को प्रत्येक कक्षा से 10 मॉडल बच्चे तैयार करने के लिए कहा गया है जिससे कि वह लोगों को स्कूल में नामांकन के लिए जागरुक कर सकें। फर्नीचर की व्यवस्था बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से कराई जानी है। अभी काफी स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर नहीं है। स्कूल में शिक्षण कार्य ठीक है। उसे और बेहतर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
जिन अफसरों और जनप्रतिनिधियों ने स्कूल गोद लिए हैं। उनकों वहां का निरीक्षण कर वहां की व्यवस्थाओं का सुधार करना है। निरीक्षण आख्या मिलने पर स्कूलों में जाकर देखा भी जाता है। साथ ही सुधार में कराया जा रहा है। कई स्कूलों में फर्नीचर नहीं है। जिसकी खरीद चल रही है। जल्द ही सभी विद्यालयों में फर्नीचर मुहैया कराने के लिए प्रयासरत हैं। जनप्रतिनिधियों के द्वारा भी स्कूलों का विकास कराया जा रहा है - अमित कुमार सिंह बीएसए।
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