पीलीभीत: शासन ने बीडीओ पर गिराई गाज, सचिव को अभी भी बचा रहे जिम्मेदार, जानिए पूरा मामला

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Published By Vishal Singh
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पीलीभीत,अमृत विचार। प्रधानमंत्री आवास योजना में घपलेबाजी पर बरखेड़ा बीडीओ को तो शासन ने निलंबित कर दिया, लेकिन पात्र को अपात्र बनाने के दोषी सचिव का अफसर बचाव करते  नजर आ रहे हैं।  इस मामले में जांच के बाद पीडी ने दोषी सचिव को निलंबन करते करते हुए विभागीय कार्रवाई का अनुरोध किया था, मगर सचिव पर मात्र विभागीय कार्रवाई कर मामले को टरका दिया गया।

बरखेड़ा ब्लाक के गांव मूढ़ासेमनगर उर्फ पंडरी के ग्रामीण द्वारा आवास आवंटन को लेकर शिकायत की गई थी। परियोजना निदेशक शैलेन व्यास ने मामले की जांच बरखेड़ा बीडीओ प्रेम सिंह को सौंपी थी। जांच के बाद बीडीओ ने जो आख्या रिपोर्ट प्रस्तुत की, उसमें उन्होंने सचिव राजकुमार के कृत्य को छिपाते हुए शिकायत को गलत बताया था।

इस पर शिकायतकर्ता ने बीडीओ की आख्या रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए मामले की जांच किसी अन्य अधिकारी से कराने की मांग की थी। मामले की क्रास जांच कराई गई तो बीडीओ की आख्या रिपोर्ट गलत पाई गई। परियोजना निदेशक ने 24 जनवरी को डीपीआरओ को पत्र लिखकर सचिव राजकुमार को निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई करने का अनुरोध किया था।

पत्र में कहा कि सचिव राजकुमार द्वारा पात्र लाभार्थियों को आवास से वंचित करने एवं अपात्र लाभार्थी को आवास दिलाने का कृत्य न केवल प्रधानमंत्री आवास योजना के दिशा निर्देशों के विपरीत हे बल्कि जनहित की योजनाओं में गंभीर लापरवाही किए जाने को भी स्पष्ट करता है।

इस मामले में सीडीओ धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने 16 फरवरी को शासन को पत्र भेजकर बीडीओ प्रेम सिंह के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की थी। इधर एक दिन पूर्व शासन ने बीडीओ को तो निलंबित कर दिया, लेकिन दोषी सचिव का निलंबन न कर मात्र विभागीय कार्रवाई कर उसे बचाने का एक बार फिर प्रयास किया जा रहा है।

हालांकि अफसरों का कहना है कि उसी दौरान सचिव को कारण बताओ नोटिस भेजा गया था। उसके बाद सचिव को प्रतिकूल प्रविष्टि देने के साथ वेतन वृद्धि रोकने की कार्रवाई की गई थी। फिलहाल पात्र को अपात्र और अपात्र को पात्र बनाने वाले सचिव पर अफसरों की मेहरबानी चर्चा का विषय बना हुआ है।

जांच में दोषी पाए जाने पर सचिव राजकुमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उसके बाद सचिव को प्रतिकूल प्रवृष्टि देने के साथ एक वेतनवृद्धि रोकने की कार्रवाई की गई थी। इसमें अब निलंबन की आवश्यकता प्रतीत नहीं हो रही है। - सतीश कुमार, डीपीआरओ

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