शाहजहांपुर: वादे आज भी अधूरे...चुनाव आते ही याद आए मुद्दे, नेता जी गांव-गांव पहुंच कर मांग रहे वोट

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
On

शाहजहांपुर, अमृत विचार: चुनावी मौसम में एक बार फिर किसान और किसानों के मुद्दे याद आने लगे हैं। नेता गांव-गांव पहुंच कर वोट मांग रहे हैं और किसानों की समस्याओं का हल करने का दावा भी कर रहे हैं। एक बार फिर किसानों की समस्याओं को लेकर होमवर्क किया जा रहा है। सभी नेता अपने-अपने हिसाब से किसान हितैषी होने की बात कहते हुए वोट मांग रहे हैं। 

दूसरी ओर किसानों के प्रमुख सात मुद्दे जिले में चुनाव दर चुनाव बने हुए हैं। बेसहारा पशुओं से छुटकारा नहीं मिल सका है, फसलों का एमएसपी आज भी हजारों किसानों को नहीं मिल पाता, धान खरीद से बिचौलियों का सफाया नहीं हो सका, गन्ने का मूल्य आज भी मांग के अनुरूप नहीं है, किसान कर्ज मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। इसी तरह डिफाल्टर किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है, नहरों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है और गांवों की सड़कें आज भी टूटी-फूटी हैं, बेहतर सड़कों का वादा अधूरा है। 

सभी पार्टियां किसान हितैषी होने का दावा करती हैं और किसानों की दुर्दशा में सुधार का वादा भी करती हैं। दावों और वादों का यह खेल दशकों से चला आ रहा है। ज्यादातर पार्टियां कहती हैं कि किसानों की समस्याओं का जल्द निदान किया जाएगा, लेकिन यह निदान आज तक नहीं हो पाया है। किसानों की प्रमुख समस्याएं लगातार बनी हुई हैं और जटिल हो रही हैं। 

सवाल उठ रहा है कि अगर सभी पार्टियां किसात हितैषी हैं तो किसान आत्महत्या करने को मजबूर क्यों हो रहे हैं। क्यों किसानों की यह शिकायत रहती है कि वह फसल की लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं। यह सवाल भी तभी से खड़ा है जब से राजनीतिक पार्टियों ने किसान हितैषी होने का दावा किया है। किसानों का कहना है कि एमएसपी पर खरीद आज भी नहीं हो पा रही है। किसान और गरीब हो रहा है। 

हर बार किसानों को अपने पाले में करने के लिए वादे किए जाते हैं, लेकिन यह वादे हकीकत में नहीं बदल पा रहे हैं। किसानों पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। हर साल फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान होता है, लेकिन आज भी उचित मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। किसान बार-बार सरकारों की ओर इस उम्मीद से देखते हैं कि शायद इस बार उनकी समस्या का हल हो जाए, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका है। खेती आज भी घाटे का सौदा मानी जाती है। खेती करने वाले किसान लगातार प्रयास करने के बाद भी गरीबी से नहीं उबर पा रहे हैं। 

जिले के किसानों की प्रमुख समस्याएं
-बेसहारा पशुओं से छुटकारा नहीं मिल सका
-फसलों का एमएसपी आज भी हजारों किसानों को नहीं मिल पाता
-धान खरीद से बिचौलियों का सफाया नहीं हो सका
-गन्ने का मूल्य आज भी मांग के अनुरूप नहीं हो पाया है
-किसान कर्ज मुक्त नहीं हो पा रहा है, डिफाल्टरों की संख्या लगातार बढ़ रही है
-नहरों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है
-गांवों की सड़कें आज भी टूटी-फूटी हैं, बेहतर सड़कों का वादा अधूरा है

किसान नेताओं की बात
एमएसपी का लाभ आज भी तमाम किसानों को नहीं मिल पा रहा है। धान की सरकारी खरीद में बिचौलियों की घुसपैठ है। लगातार यह समस्या बनी हुई है, लेकिन इसका हल नहीं निकल पा रहा है। सरकार को इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है---महेंद्र सिंह, किसान नेता।

छुट्टा पशुओं की समस्या जिले में लगातार बनी हुई है। सरकार की ओर से प्रयास भी किए जा रहे हैं, लेकिन सड़कों से पशु नहीं हट पा रहे हैं। कई चुनावों में इस समस्या से मुक्ति दिलाने का वादा किया जा चुका है, लेकिन समस्या का हल नहीं हो सका है---सचिन मिश्रा, किसान नेता।

यह भी पढ़ें- शाहजहांपुर: वोटर कार्ड नहीं तो आधार, बैंक पासबुक और ड्राइविंग लाइसेंस से डाल सकेंगे वोट

संबंधित समाचार