वाचर की मौत का मामला: परिजनों का अंतिम संस्कार से इंकार, छह लाख नगद और बेटे के लिए नौकरी की मांग

सिहुरा बीट के सरायं जंगल में आग बुझाते वक्त कृष्णपाल की हो गई थी मौत

वाचर की मौत का मामला: परिजनों का अंतिम संस्कार से इंकार, छह लाख नगद और बेटे के लिए नौकरी की मांग

खुटार, अमृत विचार। लौहगांपुर के सिहुरा बीट के सरायं जंगल में आग बुझाते वक्त गांव महुआ पिमई निवासी वाचर कृष्णपाल (62) की मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम के बाद रविवार दोपहर बाद शव घर पहुंचा तो परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। भनक लगते ही पुलिस और वन विभाग के अधिकारी अपनी टीमों के साथ मौके पर पहुंचे और परिजनों से बात की।

मृतक की पत्नी सत्यवती देवी का कहना था कि छह लाख रुपये नगद और बेटे छत्रवीर को नौकरी की मांग को पूरा करो। इसके बाद ही अंतिम संस्कार होगा। करीब पांच घंटे की कोशिश के बाद परिजन एक लाख की नगदी दिए जाने व नौकरी के आश्वासन पर अंतिम संस्कार को राजी हुए। अब मंगलवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

खुटार पूरनपुर रोड पर सिहुरा बीट वन चौकी (कंपार्टमेंट नंबर दो) के सरायं जंगल में गांव महुआ पिमई के कृष्णपाल करीब 25 वर्षों से वाचर बतौर काम कर रहे थे। 30 मार्च को सिहुरा बीट जंगल में आग लग गई थी। उस वक्त कृष्णपाल घर पर खाना खा रहे थे। दोपहर में जंगल में आग लग जाने की सूचना पाकर कृष्णपाल पहुंच गए। जहां संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। 30 मार्च की शाम चार बजे वन विभाग और पुलिस के साथ ही परिजनों को इस बात की खबर हो पाई थी।

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घटनास्थल पर पहुंचकर अधिकारियों ने जांच पड़ताल की थी। इसके बाद पुलिस में शव पोस्टमार्टम भेज दिया था। रविवार दोपहर करीब पांच बजे पोस्टमार्टम के बाद कृष्णपाल का शव घर पहुंचा। लेकिन उनकी पत्नी सत्यवती देवी ने अंतिम संस्कार करने से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इससे पहले वन विभाग अधिकारी छह लाख रुपये नगद के साथ ही बेटे छत्रवीर को नौकरी पर रखें। यह मांग पूरी होने के बाद ही पति का अंतिम संस्कार होगा।

सूचना पर पहुंचे थानाध्यक्ष संजय कुमार और रेंजर मनोज कुमार श्रीवास्तव अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को समझाते रहे। लेकिन अधिकारियों की एक बात भी नहीं सुनी और मांग पर अड़े रहे। रविवार रात करीब नौ बजे तक अधिकारी परिजनों को मानने की कोशिश करते रहे। बाद में परिजन एक लाख रुपये की नगदी और नौकरी के आश्वासन पर अंतिम संस्कार को राजी हुए। घटना के बाद से कृष्णपाल की पत्नी सत्यवती, पुत्र छत्रवीर, देव सिंह का रो-रोकर बुरा हाल है।

चंदा करके दी जाएगी आर्थिक सहायता
वाचर कृष्णपाल की मौत के बाद परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। रेंजर मनोज श्रीवास्तव ने कहा है कि कृष्णपाल के बेटे सत्यवीर को नौकरी दिलाने के लिए अधिकारियों से बात करेंगे। साथ ही आर्थिक सहायता की मदद दी जाएगी। विभाग के लोगों से चंदा कर पीड़ित परिवार को हर संभव मदद दिलाने का भरोसा दिया है। 

नौकरी से होता था जीवन यापन
कृष्णपाल वन विभाग में वाचर के पद पर कार्यरत थे। उनकी पत्नी सत्यवती, दो पुत्र छत्रवीर और देव सिंह की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी। कृष्णपाल भूमिहीन थे। नौकरी के सहारे ही परिवार का जीवन यापन हो पाता था। लेकिन 30 मार्च को सिहुरा बीट के सरायं जंगल में आग बुझाते वक्त उनकी मौत हो गई। जिससे घर का खर्च चल पाना मुश्किल है। 

हाईवे पर शव रखकर जाम करने की कोशिश
खुटार। पोस्टमार्टम के बाद कृष्णपाल का शव घर पहुंचा तो अपनी मांग को पूरा करने के लिए परिजनों ने खुटार पूरनपुर मार्ग पर जाम करने का प्रयास किया। सूचना मिलते ही पुलिस के पैरों तले जमीन खिसक गई। आनन फानन में पुलिस कृष्णपाल के घर पहुंची और परिजनों को समझाया। इसके बाद हाईवे पर शव रखकर जाम नहीं लगाने की बात मानकर मांग पूरा करने पर अड़ गए। रविवार देर रात आश्वसन पर शांत हुए।

परिजनों से बात की गई लेकिन परिजन बेटे की नौकरी और पैसों की डिमांड करते रहे। बाद में कुछ नगदी तत्काल दिए जाने व नौकरी के लिए अधिकारियों बात नौकरी दिए जाने के आश्वासन पर परिजन मान गए है-संजय कुमार , थानाध्यक्ष खुटार।

गांव पहुंचकर परिजनों से बात की गई है। परिजन अपनी जिद पर अड़े हुए थे। अधिकारियों को मामले की जानकारी दी गई। इसके बाद देर रात परिजनों को मना लिया गया है- मनोज श्रीवास्तव,  रेंजर खुटार।

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