कासगंज: भीमसेन मंदिर पर लगा परंपरागत सांस्कृतिक मेला, श्रद्धालुओं ने की पूजा अर्चना...जमकर हुई खरीदारी

कासगंज: भीमसेन मंदिर पर लगा परंपरागत सांस्कृतिक मेला, श्रद्धालुओं ने की पूजा अर्चना...जमकर हुई खरीदारी

कासगंज, अमृत विचार: चैत्र मास में बसौड़ा पूजन के बाद पड़ने वाला मंगलवार नदरई गांव के लिए काफी चहल-पहल भरा और उल्लास का वातावरण लिए होता है। इस दिन यहां भीमसेन मंदिर पर मेला लगता है, क्षेत्र के हजारों लोग मंदिर में पहुंच पूजा-अर्चना कर मनोकामना पूर्ण होने की मनौती मांगते है और मेले का लुत्फ उठाते है।

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समीपवर्ती ग्राम नदरई में मंगलवार को परम्परागत रूप से लगने वाला नदरई मेला भीमसेन मंदिर पर सम्पन्न हुआ। झूले बच्चों के लिये विशेष आकर्षण का केन्द्र रहे। मान्यता के अनुसार, लोग छोटे बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराते है। नदरई स्थित सरसोता में स्नान करने से गर्मी में उत्पन्न होने वाली बीमारियों से बचाव होता है, ऐसा माना जाता है। 

उल्लेखनीय है, ब्रिटिश काल के शासन में भीमसेन नामक सैनिक महान योद्धा के रूप में जाने जाते थे। पराक्रम और युद्घ कौशल को देखते हुए तत्कालीन ब्रिटिश शासकों ने इस मंदिर में रखा अष्ट धातु का 84 मन का घंटा पुरस्कार स्वरूप भीमसेन को भेंट कर दिया था। बताया जाता है, उक्त घंटे को भीमसेन पीठ पर रखकर नदरई लाए थे, तभी से नदरई ही नहीं बल्कि समीपवर्ती क्षेत्र के लिए अष्ठधातु से निर्मित 84 मन का यह घंटा श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। 

भीमसेन मंदिर में माता ललिता देवी की प्रतिमा के समक्ष नतमस्तक हो मांगी मनौती पूर्ण होती है, यह मान्यता है। नदरई में लगने वाले मेले में शहर के अतिरिक्त समीपवर्ती ग्रामों से हजारों की संख्या में महिला, पुरुष और बच्चे मेला देखने आते है।

झूले पर पर झूले बच्चे, बड़ों ने लिया चाट पकौड़ी का स्वाद
मेले में बड़ी संख्या में बच्चों के लिए झूले, खेल-खिलौने व चाट पकौड़ी दुकाने सजी थी। ग्रामीण परिवेश की सौंदर्य प्रासाधन की भी दर्जनों दुकानें मेले में लगाई गई थी। इन दुकानों पर खरीददारों की भीड़ दिखाई दी। महिलाओं ने सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री खरीदी। बच्चों ने झूले का आनंद लिया तो बड़ों ने चाट पकाड़ी का आनंद लिया।

ललिता देवी की पूजा कर कराया मुर्गा का उतारा
नदरई स्थित भीमसेन मंदिर में माता ललिता देवी की प्रतिमा लगी है। मान्यता के अनुसार माता ललिता देवी की पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होती है और रोगों से मुक्ति मिली है। इसी मान्यता के चलते महिल एवं पुरुषों ने माता ललिता देवी की पूजा की। इसके बाद बच्चों का मुर्गा का उतारा कराया।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम
मेले में सुरक्षा को लेकर इंस्पेक्टर रामवकील सिंह एवं नदरई चौकी इंचार्ज नरेश कुमार ने  पुलिस बल के साथ मेले में निरीक्षण कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे। मंदिर परिसर से लेकर हाइवे पर पुलिस पीएसी की तैनात रही।

झाल के पुल पर लगी दर्शकों की भीड़
नदरई मेले के बाद लोग ब्रिटिशकालीन झाल के पुल को देखने के लिए पहुंचे। ब्रिटिशकालीन यह पुल अपने अपने आप में अद्भुत है। ऊपर नहर और नीचे काली नदी और बीच में कोठरियां बनी हुई है। इन कोठरियों को चोर कोठरी कहा जाता है। मेले देखने पहुंचे लोगों ने झाल के पुल की भी रौनक बढ़ाई झाल के पुल पर भी मेले जैसा दृश्य था। यहां भी चाट पकौड़ी की दुकान सजी थी।

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