Bareilly News: सिर बकरा-बकरी के...शरीर इंसान का, 'नैगमेष और नैगमेषी' को देखकर रह जाएंगे दंग!

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Published By Moazzam Beg
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बरेली, अमृत विचार। जिले में स्थित आंवला तहसील के रामनगर गांव में अहिच्छत्र के प्राचीन किला के अवशेष मौजूद हैं। दो नदियों अरिल और पिलिया के बीच एक समद्विबाहु त्रिभुज के आकार में बना यह प्राचीन गढ़ लगभग छह किलोमीटर परिधि में फैला हुआ है। 

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इस क्षेत्र में कई खूबसूरत गुप्तकालीन टेराकोटा की मूर्तियां बरामद हुई हैं। जिमें से नैगमेष पुरुष और नैगमेषी स्त्री की भी मूर्तियां शामिल हैं। जिन्हें अब रुहेलखंड यूनिवर्सिटी परिसर में बने पांचाल संग्रहालय की अहिच्छत्र गैलरी में रखा गया है। जहां ये मूर्तियां संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहीं है। वहीं इन मूर्तियों को देखने के लिए कई दूर-दूर से छात्र- छात्राएं और लोग संग्रहालय पहुंच रहे हैं। 

इस मूर्ति की खासियत बताते हुए पांचाल संग्रहालय के रिसर्च एसोसिएट डॉ. हेंमत मनीषी शुक्ला ने बताया कि ये हमारी अहिच्छत्र गैलरी है, जिसका डिजिटलाइजेशन होने के बाद एलीडी पैनल और ओलियोग्राफिक फैन के माध्यम से सारी विथिकाओं और मूर्तियों को यहां पर लगाया गया है। 

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इसमें में गुप्त काल की अजमुखी नैगमेष टेराकोटा मूर्ति और नैगमेषी मृणमूर्ति बेहद विलक्षण और दुर्लभ हैं। जिसका मुंह बकरे का और बाकी शरीर पुरुष का है, इसी तरह अजमुखी नैगमेषी मीर्ति का मुंह बकरी का और बाकी शरीर स्त्री का है। उन्होंने बताया कि इनको भगवान विष्णु का अवतार भी माना गया है। इसके साथ ही इनकी धार्मिक और पौराणिक मान्यता भी है। साथ ही जैन धर्म में भी इसकी बड़ी मान्यता है। वहीं इन मूर्तियों को 2014 में दान दिया गया था।

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