विशेष धाराओं में सहकारी समिति के कर्मचारियों के खिलाफ चल सकता है मुकदमा: हाईकोर्ट

विशेष धाराओं में सहकारी समिति के कर्मचारियों के खिलाफ चल सकता है मुकदमा: हाईकोर्ट

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ गबन और धोखाधड़ी के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सहकारी समिति के कर्मचारी और अधिकारी आईपीसी की धारा 21 के अनुसार लोक सेवक नहीं है, इसलिए उन पर आईपीसी की धारा 409 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, लेकिन वे धारा 406 के तहत विश्वास के उल्लंघन के लिए निश्चित रूप से दंड के पात्र हैं। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकल पीठ ने बृजपाल सिंह की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया।

हालांकि याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि समिति और उसके कर्मचारी या अधिकारी के बीच किसी भी विवाद को उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम, 1965 की धारा 70 के तहत मध्यस्थता के माध्यम से हल किया जा सकता है। इसके अलावा याची की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि एसीजेएम, आगरा को सहकारी समिति के घोटाले के संबंध में अपराधों की सुनवाई करने का कोई अधिकार नहीं है। इस पर कोर्ट ने इस संबंध में जिला न्यायाधीश, एटा से रिपोर्ट मांगी थी।

रिपोर्ट में बताया गया कि उक्त एसीजेएम, एटा में दूसरे सबसे वरिष्ठ एसीजेएम है, इसलिए उन्हें शासनादेश के अनुसार सहकारी समितियों में घोटाले से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई करने का अधिकार है। अंत में कोर्ट ने सभी तथ्यों की जांच कर निष्कर्ष निकाला कि आरोपी के खिलाफ चलने वाली संपूर्ण आपराधिक कार्यवाही को खारिज नहीं किया जा सकता है। मामले के अनुसार याची साधन सहकारी समिति लिमिटेड नवर ब्लॉक, अलीगंज, एटा में सचिव के पद पर कार्यरत था। उस पर उर्वरक के स्टॉक में हेरा फेरी करने, विश्वास तोड़ने के साथ-साथ समिति के दस्तावेज में जालसाजी करने और समिति को लाखों का नुकसान पहुंचाने का गंभीर आरोप है। याची व सह अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एटा के नया गांव थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

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