Unnao News: चारों बच्चों के शवों को कब्रिस्तान में किया गया दफन; अपने लाल को याद करके झोपड़ी में ही रोती रही राजबाबू की मां

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Published By Deepak Shukla
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उन्नाव, अमृत विचार। शनिवार गंगा नहाने के दौरान चार बच्चों की मौत होने से घर मे मातम छा गया। घटना की जानकारी पर आसपास रहने वालों की भी आंखे भर आयी। वहीं दो सगे भाई सलमान और नियाज के बच्चे गंगा नहाने के दौरान काल के गाल में समा गये। घटना के बाद परिवार में कोहराम मच गया। एक साथ शाम को चारों बच्चों के शव को कानपुर दादा मियां कब्रिस्तान में दफन करा दिया गया। जिससे ईद के त्योहार की खुशियां काफूर हो गयी और बच्चों के माता-पिता रो रो कर बेसुध हो गये।

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बता दें रातीराम पुरवा में रहने वाला रियाज कानपुर में टेंट का काम करता था, जबकि उसका भाई सलमान मजदूरी करता है। गुरुवार को ईद के त्योहार पर दोनों परिवार ने बच्चों के लिये नये कपड़े से लेकर घर की सामग्री की खरीदारी की थी और दो दिनों तक परिवार के साथ मिलकर ईद मनायी। शनिवार सलमान का सात वर्षीय बेटा राजबाबू उसकी बहन नाजिया बानो (11), नियाज अहमद का बेटा मो. मुनाजिर उर्फ समीर (10), रियाज अहमद उर्फ आमिर (8) की गंगा में डूबने से मौत हो गयी। 

एक साथ परिवार के चार बच्चों की असामयिक मौत होने पर परिवार पर दुखो का पहाड़ टूट गया। जिसने भी चारों बच्चों की गंगा में डूबने की खबर सुनी, उसके कदम गंगातट की ओर मुड़ गये। जिससे तट पर सैकड़ों लोगों की भीड़ एकत्र हो गयी। हर कोई दोनों भाइयों को ढांढस बंधाता नजर आया। 

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चार बच्चों की मौत पर परिवार पूरी तरह से टूट गया और घर में रखे बच्चों के नये कपड़ों को देख सभी फफक कर रोते हुये यही कहते रहे कि काश! आज का दिन उनकी जिंदगी में न आया होता तो यह सब न देखना पड़ता। माता-पिता की चित्कार सुन वहां मौजूद सभी लोगों की आंखे भर आयी। 

ईद न होती तो बच जाती समीर और आमिर की जान

नियाज के बेटे आमिर और समीर लखनऊ इंदिरा नगर में रहने वाली नानी जैनतुल के पास रहकर पढ़ाई करते थे। ईद पर्व को लेकर वह अपने माता-पिता के साथ खुशियां मनाने आये थे, ईद का त्योहार न होता तो दोनों बच्चों की जान बच जाती।

एक घर के बुझे दो चिराग

शनिवार को गंगा नहाने के दौरान नियाज अहमद और उसकी पत्नी शमीरून पर दुखों का पहाड़ टूट गया। नियाज के दोनों बेटों की गंगा में डूबने से मौत हो गयी। इस दुखद घटना से एक परिवार के दो चिराग बुझ गये। अब पांच साल की बेटी जैनब ही उनका सहारा है।

दादा मियां कब्रिस्तान में पसरा मातम

शाम के समय चारों बच्चों के शव को कानपुर दादा मियां कब्रिस्तान ले जाया गया। जहां एक साथ चारों बच्चों की कब्र खोदी गयी और चारों को एक साथ सुपुर्द ए खाक किया गया। यह देख पूरे कब्रिस्तान में मातम छा गया और हर किसी की आंख भर आयी।

नाव से जाल डालकर निकाले गये शव

बच्चों के डूबने के बाद परिवार के लोग मछली पकड़ने वाला जाल लेकर पहुंचे। जहां नाव के सहारे जाल डाला गया। जिसके बाद एक के बाद चारों बच्चों को बेसुध हालत में बाहर निकाला गया।

झोपड़ी में रोती रही राजबाबू की मां

गंगा में डूबने से राजबाबू की मौत हो गयी। जिस पर उसकी मां अफसरून का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। वहीं अफसरून का कुछ दिन पहले गिरने से पैर फैक्चर हो गया था, जिससे वह अपने लाल को देखने के लिये झोपड़ी के बाहर तक नहीं निकल सकी और उसकी याद में बिलखती रही।

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