कासगंज: ब्रह्मलीन हो गए श्री वराह मंदिर के महंत रामचंद्र गिरी महाराज, काफी समय से चल रहे थे बीमार

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Published By Moazzam Beg
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सोरोंजी, अमृत विचार। श्री वराह मंदिर के महंत एवं महामंडलेश्वर स्वामी रामचंद्र गिरी महाराज ब्रह्मलीन हो गए हैं। बीते लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। काशी में उनका उपचार चल रहा था। बीते दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका हाल जाना था। अब उन्होंने अंतिम सांस ली है। सोमवार दोपहर को जल समाधि कार्यक्रम होगा। उनके ब्राह्लीन हो जाने से तीर्थ नगरी के लोगों में शोक की लहर है।

श्री-श्री 1008 रामचंद्र गिरी महाराज काफी समय से काशीमठ में रह रहे थे। भगवान श्री वराह मंदिर के महंत थे। समय-समय पर वराह मंदिर भी पहुंचते रहे। काशी के महामंडलेश्वर भी थे। पिछले महीने जब उनका स्वास्थ्य खराब हुआ तो उन्हें उपचार के लिए भर्ती कराया गया। अब जब वे ब्रह्मलीन हो गए हैं तो संत समाज में शोक है। संत समाज का कहना है कि यह अपूर्णीय क्षति है। उनके सानिध्य में तमाम फूल खिले और समाज को खुशबू मिली। उनका संपूर्ण जीवन संघर्ष में बीता। 

महामंडलेश्वर आशुतोषानंद महाराज ने कहा कि  गुरुदेव काशी के  दिव्य पुरुषों में एक थे। उनका जन्म गुजरात के बड़ोदरा शहर में हुआ था। उन्होंने गुजरात पुलिस के रूप में भी सेवा प्रदान किया। 

मन में प्रबल भक्ति भावना के संकल्प के साथ ही स्वामी भगवान बुद्ध तथा श्री गुरु गोविंद सिंह की धरती बिहार पहुंचे तथा उन्होंने वहां मोक्ष दायिनी गंगा के पवित्र तट पर विश्वास के प्रति वट वृक्ष के नीचे 12 वर्षों तक समस्या की। लोगों को गीता का उपदेश देते रहे। उसके बाद वे काशी आ गए। उनकी संत सेवा भावना से प्रभावित होकर वर्तमान महामंडलेश्वर ने आश्रम उनको सौंप दिया। उनके जाने से मन को काफी कष्ट हुआ है। उनका सानिध्य हम सबको मिलता रहे।

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