बाराबंकी: सपाइयों के गढ़ में पहली बार EVM में नहीं दिखेगी साइकिल

बाराबंकी: सपाइयों के गढ़ में पहली बार EVM में नहीं दिखेगी साइकिल

समाजवादियों का गढ़ रहा जिला, कभी जीती थी सभी विधानसभा सीटें

इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के खाते में गई है सीट

जन्मे रामसेवक यादव और बेनी प्रसाद जैसे दिग्गज सपा नेता 

बाराबंकी, अमृत विचार। समाजवादियों का गढ़ कहे जाने वाले बाराबंकी जिले के किसी भी चुनाव में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि EVM में साइकिल चुनाव निशान ही नहीं दिखेगा। कभी जिले की छह विधानसभा सीटों को जीतने वाली समाजवादी पार्टी ने इस बार इंडिया गठबंधन के तहत बाराबंकी लोकसभा सीट कांग्रेस पार्टी के खाते में दी है। ऐसे में यह पहली बार होगा, जब EVM में सपा का चुनाव निशान साइकिल नहीं होगा। हालांकि प्रत्यक्ष रुप से सपा अपने चुनाव चिन्ह के साथ मैदान में नहीं है, लेकिन पार्टी के नेता, कार्यकर्ता इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी तनुज पुनिया के लिए वोट मांगते नजर आ रहे हैं।

रामनगरी अयोध्या और प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटी बाराबंकी जिला है। जहां वर्षों तक सपाईयों का वर्चस्व रहा। सपा के कर्णधार व कद्​दावर नेताओं में शुमार रहे रामसेवक यादव दूसरे लोकसभा चुनाव में 1957 में भले ही निर्दल के रुप में चुनाव जीते थे, लेकिन उन्होंने बाद में सपा को बुलंदियों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।

1996 और 1999 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र के लोगों ने रामसागर रावत को सांसद चुना। वहीं कई लोकसभा चुनाव में रनर के रुप में भी सपा के प्रत्याशी रहे। जिनका जीत-हार का अंदर ज्यादा नहीं रहा। परिणाम जो भी रहा हो, सपा हर चुनाव में कोई न कोई प्रत्याशी जरुर उतारती रही है। इससे इतर बात करें तो इस बार इंडिया गठबंधन के तहत जिले में सपा का प्रत्याशी ही नहीं है।

भले ही इंडिया गठबंधन के तहत सपा ने प्रदेश भर में अपने 63 प्रत्याशी उतारे हों लेकिन कभी सपाइयों का गढ़ कहे जाने वाली बाराबंकी सीट पर इस बार सपा प्रत्याशी नहीं है। गठबंधन के तहत कांग्रेस प्रत्याशी तनुज पुनिया भाजपा प्रत्याशी राजरानी रावत के सामने चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव का यह पहला मौका है जब सपा सीधे चुनावी मैदान में नहीं है। यानी 20 मई को होने वाले मतदान के दिन EVM में सपा का चुनाव चिन्ह साइकिल नहीं दिखेगा।

2019 में बसपा से गठबंधन में रामसागर थे रनर

पिछले लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी रामसागर रावत रनर रहे थे। इस चुनाव में बसपा से सपा का गठबंधन था। जिसमें यह सीट सपा के खाते में गई थी। उस चुनाव में गठबंधन प्रत्याशी रामसागर रावत भाजपा के उपेंद्र रावत से 1,10,140 वोटों से पराजित हुए थे। जबकि कांग्रेस नंबर तीन की पार्टी बनी थी। कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत तक जब्त हो गई थी। लेकिन इस बार सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर यह सीट उसे देकर अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को चौंकाया है।

कभी सपा ने जीती थी सभी विधानसभा सीटें

सपाइयों का गढ़ कहे जानी वाली बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2012 के विधानसभा चुनाव में जिले की रामनगर, जैदपुर, हैदरगढ़, कुर्सी, बाराबंकी और दरियाबाद सीट पर साइकिल ने कब्जा जमाया था। जबकि वर्तमान समय में बाराबंकी सीट पर धर्मराज सिंह उर्फ सुरेश यादव मोदी-याेगी लहर में भी लगातार तीसरी बार विधायक बने। जबकि रामनगर और जैदपुर सीट पर भी अभी सपा का ही कब्जा है।