Bareilly News: अफसरों की मेहरबानी...59 साल से चरागाह की जमीन पर हो रही थी खेती, जांच में हुआ खुलासा

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Published By Moazzam Beg
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अनुपम सिंह, बरेली, अमृत विचार। नवाबगंज तहसील क्षेत्र के ढेलाटांड गांव में 59 बरसों से चरागाह की 17 बीघा जमीन पर कब्जा कर खेती करने का खुलासा हुआ है। मामले की जांच में राजस्व विभाग और चकबंदी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई है। 

जिला बंदोबस्त अधिकारी ने जांच रिपोर्ट के आधार पर अपनी कोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए अवैध कब्जे को निरस्त कर दिया है। जिला बंदोबस्त अधिकारी ने चकबंदी आयुक्त को मामले की रिपोर्ट भेज दी है। इस मामले में लापरवाही बरतने वालों पर आयुक्त के स्तर से कार्रवाई की जाएगी।

जिला बंदाेबस्त अधिकारी पवन सिंह की कोर्ट ने आदेश दिया कि 1965 में राजस्व अधिकारियों ने साठगांठ कर चारागाह की करोड़ों की कीमत की करीब 17 बीघा जमीन का ढेलाटांडा गांव निवासी बांधूराम के नाम पट्टा कर दिया, जबकि नियम है कि चरागाह की जमीन न पट्टा की जा सकती है और न किसी के नाम। पट्टा कराने के बाद बांधूराम ने पट्टे की जमीन अपने नाम कराने की कोशिश की। इसके लिए एसडीएम कोर्ट में गए। 

कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दी मगर फर्जी पट्टा फिर भी निरस्त नहीं हो सका। वर्ष 1997 में गांव में चकबंदी हुई तो बांधूराम ने चकबंदी कोर्ट में वाद दायर किया। बताते हैं कि मामला विचाराधीन होने के दौरान बांधूराम की मौत हो गई। आरोप है कि इस बीच चकबंदी अधिकारी नंदराम मौर्य ने फर्जी पट्टा होने के बाद भी बांधूराम के पुत्रों जगदीश, नरेंद्र, लालता प्रसाद, गया प्रसाद के नाम जमीन दर्ज करते हुए वरासत भी कर दी थी।
इनसेट

डीएम से शिकायत के बाद शुरू हुई जांच
पिछले महीने संपूर्ण समाधान दिवस में जिलाधिकारी रविंद्र कुमार से इस मामले की शिकायत की गई थी। उन्होंने जिला बंदोबस्त अधिकारी को जांच सौंपी। इसके बाद जिला शासकीय अधिवक्ता की ओर से जिला बंदोबस्त अधिकारी की कोर्ट में मामले को लेकर अपील कराई गई। इस पर अलग-अलग तारीखों में सुनवाई की गई। कोर्ट ने कब्जे को निरस्त करते हुए जमीन को चरागाह में फिर से वापस कर दी है।

मीरगंज में चार सौ बीघा जमीन पर किया गया था अवैध कब्जा
मीरगंज तहसील के मोहम्मदगंज में भी पट्टे और ग्राम समाज की चार सौ बीघा जमीन पर साठगांठ से अवैध कब्जा करा दिया गया था। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार के आदेश पर कमेटी की जांच में एसीओ चकबंदी सुनील कुमार, चकबंदी लेखपाल रामवीर सिंह दोषी पाए गए थे। इसके बाद बंदोबस्त अधिकारी की तहरीर पर मीरगंज थाने में एसीओ और लेखपाल के खिलाफ सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी, धाेखाधड़ी, साजिश आदि की धाराओं में रिपोर्ट भी दर्ज की गई थी।

1997 में चकबंदी के दौरान बांधूराम के पुत्रों के नाम चरागाह की जमीन करने और वरासत करने वाले चकबंदी अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। कब्जे से मुक्त कराई जमीन चरागाह के नाम वापस हो गई है। तहसील प्रशासन को रिपोर्ट भेज दी है।-पवन सिंह, जिला बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी

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