पीलीभीत: बारिश में जलभराव से जूझने को रहें तैयार...टेंडर की अब आई याद, 21 दिन में कैसे होगी 38 नालों की सफाई!
पीलीभीत, अमृत विचार। मानसून आने में सिर्फ 30 दिन शेष रह गए हैं। अभी तक शहर में नाला सफाई और नालों का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। इसके पीछे जिम्मेदारों की उदासीनता वजह बनी हुई है। चुनाव से पहले नाला सफाई का टेंडर न कराकर स्वयं ही सफाई कराने का दावा किया जाता रहा और अब जिम्मेदार अपनी ही रणनीति को कायम नहीं रख पाए। अव्यवस्था के आगे उनकी नीति धड़ाम हो गई है। जिस वजह से उन्हें अब शहर के नालों की सफाई कराने के लिए टेंडर की याद आई है। ऐसे में चुनाव आयोग की अनुमति के बाद शहर के 38 नालों का टेंडर निकाला जा रहा है। मगर सवाल ये है कि कम समय में 38 नालों की सफाई कैसे संभव होगी।
बारिश में हर साल शहर के प्रमुख इलाकों में रहने वाली बड़ी आबादी बाढ़ जैसा संकट झेलती है। बरसात से पहले नगरपालिका की ओर से बातों और वादों का मौसम आता है। जबकि हर बार दावे नालों की तली झाड़ सफाई के किए जाते हैं। फिर जब बरसात शुरू होती है तो ये दावे भी बरसात की बाढ़ में डूब जाते हैं। बीते कई सालों से नाला सफाई होने के बाद भी शहर का आधा हिस्सा बाढ़ में डूब जाता है। शहर में छोटे बड़े मिलाकर 38 नाले निकलते हैं। इन छह नालों में तीन नालों का पानी देवहा नदी में गिरने वाले नाले में जाता है। जिसकी सफाई का जिम्मा नगर पालिका पर है।
हर बार की तरह से इस बार भी मानसून आने से पहले नगरपालिका की ओर से नालों की सफाई कराने की रणनीति बनाई गई थी। नगरपालिका की ओर से दावा किया गया था कि स्वयं ही अपने संसाधनों से नाला सफाई कराएंगे। कुछ नालों की नगरपालिका की ओर से नाला सफाई कराई भी गई, लेकिन लापरवाही के चलते कूड़े का उठान न होने और देखरेख के अभाव में तली झाड़ सफाई नहीं हो सकी।
जिसके बाद नगर पालिका प्रशासन लोकसभा चुनाव में व्यस्त हो गया और शहर में होने वाली नालों की सफाई को भूल गया, जोकि हर बार फजीहत कराते हैं। मई के 16 दिन बीत चुके हैं। 15 जून से मानसून की दस्तक होती है, जिसमें सिर्फ 30 दिन शेष रह गए हैं। नगरपालिका की ओर से अब अपने ही दावे से पीछे हटते हुए नाला सफाई का टेंडर निकालने की प्रक्रिया अपनाई गई है। नगरपालिका की ओर से शहर के 38 नालों की सफाई कराई जाएगी।
नगरपालिका की ओर से पोर्टल पर निविदा अपलोड कर दी गई है। जिसके खुलने की नियत तिथि 24 मई तय की गई है। यानी की 25 मई को टेंडर की पूरी प्रक्रिया फाइनल हो सकेगी। जिसके बाद टेंडर लेने वाली फर्म नालों की सफाई शुरु करेगी। जिसके बाद नाला सफाई कराने वाली कार्यदायी संस्था के लिए मात्र 21 दिन ही मिलेंगे। जिसमें 38 नालों की तली झाड़ सफाई करना संभव नहीं होगा। अभी हाल में ही शनिवार को 50 मिनट की बारिश में शहर की सड़कें जलमग्न हो गई थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मानसून सीजन में क्या होगा?
सफाई में रोड़ा बनेगें निर्माणधीन नाले
नाला सफाई का लेटलतीफ टेंडर होने के अलावा कार्यदायी संस्था को शहर में हो रहे नाला निर्माण भी सफाई में रोड़ा बनेगा। क्योंकि जगह-जगह रेता बजरी और मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं। जो नाला सफाई में बाधा बनेगें। इधर, मानसून से पहले 9 करोड़ की लागत से बनाए जा रहे 22 नालों का निर्माण भी 40 फीसदी पूरा नहीं हो सका है। इधर शहर का स्ट्रक्चर ऊंचा नीचा होने के कारण पानी भरने की समस्या अधिक रहती है। जो मानसून में मुसीबत बनेगा।
निर्वाचन आयोग की अनुमति के बाद निकला टेंडर
नाला सफाई कराने के लिए पूरे प्रदेश में नगरपालिका और नगर निगम की ओर से नाला सफाई कराने का टेंडर कराने के लिए अनुमति मांगी जा रही थी। जिसके बाद निर्वाचन आयोग की ओर से अनुमति दी है। जिसके बाद संयुक्त सचिव कल्याण बनर्जी की ओर से नगरपालिका में पत्र भेजा गया था। जिसमें शासन द्वारा मांगी गई अनुमति शर्तो के साथ प्रदान की गई है। मानसून को देखते हुए नाला सफाई जनहित से जुड़ा कार्य होने के कारण टेंडर निकालने की अनुमति दी है। साथ ही यह स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस अनुमति को किसी राजनीतिक दल या किसी तरह के राजनीतिक लाभ नहीं लिया जाएगा। जिसके बाद टेंडर अपलोड किया गया है। जिसमें संस्था नामित कराई जाएगी।
इन नालों का होगा टेंडर
वैसे तो शहर में कुल 38 नाले है। जिनकी सफाई करना मानसून में अनिवार्य होता है। जिसमें देवहा नदी से काला मंदिर होते हुए विशाल टॉकीज, पीडब्ल्यूडी से होते हुए गंदा नाला, लोटन महाराज चौराहा, रमा गार्डन वाला नाला, नकटादाना चौराहा से गीता कॉलोनी वाला नाला, ऑफिसर कॉलोनी से होते हुए देवहा नदी को जाने वाले नौ नाले समेत 38 नाले शामिल हैं।
