देश के संरक्षित वन क्षेत्रों में पीलीभीत बाघ मित्र मॉडल की गूंज, अमानगढ़ टाइगर रिजर्व समेत पांच सेंचुरी में हो चुका है लागू
सुनील यादव/पीलीभीत, अमृत विचार। बाघों की सुरक्षा एवं निगरानी में पीलीभीत टाइगर रिजर्व का बाघ मित्र मॉडल खासा मुफीद साबित होता नजर आ रहा है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ व पीटीआर के सहयोग से पीटीआर में बाघ मित्र मॉडल को मिली सफलता के बाद अब इसे अमानगढ़ टाइगर रिजर्व समेत पांच वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में लागू किया जा चुका है। इस मॉडल को काफी सराहना मिल रही है। अब जल्द ही पीटआर के बाघमित्र उत्तराखंड के नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में जाकर वहां के वालंटियर्स को ट्रेनिंग देने के साथ उन्हें प्रोत्साहित भी करेंगे।
जनपद के जंगल को जून 2014 में टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया था। टाइगर रिजर्व बनने के बाद मानव-वन्यजीव संघर्ष के लगातार मामले सामने आ रहे हैं। साल दर साल बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को देखते हुए इसकी रोकथाम के प्रयास शुरू किए गए। पीलीभीत टाइगर रिजर्व एवं विश्व प्रकृति निधि (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने बाघ मित्र योजना बनाते हुए जंगल सीमा से सटे इलाकों में रहने वाले कुछ जागरूक युवाओं को टीम में शामिल किया। विशेषज्ञों द्वारा इन युवाओं को बाघ एवं तेंदुए के पदचिन्ह और उनके व्यवहार के प्रति प्रशिक्षित किया गया।
वर्ष 2020 आते-आते सभी वालंटियर्स ने अपनी जिम्मेदारी भलीभांति संभाल ली और अपने-अपने क्षेत्रों में दिए गए दायित्वों को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। बाघ मित्र प्रोजेक्ट को खासी सफलता मिली। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नरेश कुमार के मुताबिक शुरुआत में पीटीआर क्षेत्र में बाघ मित्रों की संख्या 60 रखी गई थी, जो अब बढ़कर 120 हो गई है। बाघ मित्रों की सक्रियता का ही परिणाम है कि जंगल सीमा से सटे लोग अब बाघ या तेंदुआ दिखने पर हिंसक होने के बजाय इन वन्य जीवों के व्यवहार को समझने लगे हैं। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में कमी देखी जा रही है।
अमानगढ़ समेत पांच वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में हो चुका है लागू
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के बाघ मित्र प्रोजेक्ट ने सफलता की ऐसी कहानी गढ़ी कि इसकी गूंज देश के अन्य टाइगर रिर्जवों तक जा पहुंची। पीलीभीत के बाघ मित्र प्रोजेक्ट को इस कदर सराहना मिली कि बाघ-तेंदुओं की सुरक्षा एवं निगरानी के मायने से मुफीद पाते हुए इसे
दक्षिणी खीरी वन प्रभाग, उत्तरी खीरी वन प्रभाग (दुधवा टाइगर रिजर्व का बफर एरिया), कर्तनिया घाट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में लागू किया जा चुका है। अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में अभी 30 बाघ मित्र तैयार किए गए हैं। बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में भी इस मॉडल से प्रोत्साहित होकर जंगल वालंटियर्स रखे गए हैं। इन सभी को भी पीटीआर के बाघ मित्रों द्वारा प्रशिक्षित किया गया है।
इसके बाद ही इन संरक्षित वन क्षेत्रों में बाघ मित्र प्रोजेक्ट लागू किया गया था। इसके अलावा राजस्थान के रणथंभौर से आई टीम भी पीटीआर के बाघ मित्रों से वन्यजीव मैनेजमेंट सीख चुकी है। अभी हाल में तंजानियां एवं केन्या से आए वन अफसर भी यहां आकर मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने में मददगार बन रहे बाघ मित्रों से संबधित प्रोजेक्ट का अध्ययन कर चुके हैं।
अब नंधौर वाइल्डलाइफ सेंचुरी के वालंटियर्स को भी सिखाएंगे गुर
बाघों की निगरानी एवं उनकी सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे पीलीभीत के बाघ मित्र अब उत्तराखंड की नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के जंगल वालंटियर्स को भी अपने काम करने के तौर-तरीकों से रूबरू कराएंगें। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नरेश कुमार ने बताया कि अब पीलीभीत के बाघ मित्र जल्द ही नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी जाएंगें। इसको लेकर सेंचुरी के अधिकारियों से वार्ता हुई है। पीलीभीत के बाघ मित्र नंधौर सेंचुरी के विलेज वालंटियर प्रोटेक्शन फोर्स को वन्यजीव और इंसानी टकराव रोकने के फंडे सिखाएंगे।
विश्व प्रकृति निधि एवं पीलीभीत टाइगर रिजर्व के प्रयास से तैयार किया गया बाघ मित्र प्रोजेक्ट बाघों की सुरक्षा एवं निगरानी में खासा मददगार साबित हो रहा है। बाघ मित्र प्रोजेक्ट के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए इसके अन्य संरक्षित वन क्षेत्रों में लागू किया गया है। प्रयास किया जा रहा है कि इसे और भी बेहतर बनाया जाए- डॉ. मुदित गुप्ता, वरिष्ठ समन्वयक, तराई आर्कलैंड स्केप।
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