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लोकसभा चुनाव 2024: सोनू सिंह सपा में तो कमला यादव ने भाजपा में दिखाई आस्था
2019 के लोकसभा चुनाव में कमला बनी थी सोनू की जीत में रोड़ा
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अजय कुमार पांडेय, सुलतानपुर, अमृत विचार। जैसे जैसे मतदान तिथि नजदीक आती जा रही है वैसे वैसे सियासी पारा भी चढ़ने लगा है। चुनाव में जीत हासिल करने के लिए उम्मीदवार जोड़ तोड़ की राजनीत शुरु कर दी है। मंगलवार को जिले के बाहुबली नेता कहे जाने वाले पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू ने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से मिल पार्टी के प्रति आस्था जताई है। वहीं, बुधवार को चंद्र भद्र सिंह सोनू की धुर विरोधी मानी जानें वाली कमला यादव मेनका संजय गांधी से मिल भाजपा में आस्था जताई है।
दोनों धुर विरोधियों के दल बदल से सुलतानपुर का सियासी पारा चढ़ गया है। चुनावी रणनीतिकारों की मानें तो सोनू के सपा में जानें से जितना सपा का फायदा हुआ है, उतना ही कमला यादव के भाजपा में जानें से भगवा को मजबूती मिलेगी। बताते चलें 2019 के लोकसभा चुनाव सपा बसपा का गठबंधन था, जिसमें सुलतानपुर सीट बसपा के खाते में आई थी। चंद्रभद्र सिंह सोनू को बसपा ने अपना उम्मीदवार बनाया था, तो कमला यादव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से लोक सभा चुनाव लड़ा था। इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार मेनका संजय गांधी 4,59,196 मत पाकर करीब 14 हजार मतों से जीत दर्ज की थीं।
वहीं इस बार के लोक सभा चुनाव में बसपा अकेले दम पर चुनाव लड़ रही है तो सपा कांग्रेस व अन्य दलों के गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। फिलहाल चंद्रभद्र सिंह सोनू सपा के लिए तो कमला यादव भाजपा के लिए कितना मुफीद साबित होंगी यह तो चार जून को ही पता चल पाएगा।
तीन बार विधायक रह चुके हैं सोनू
इसौली के कद्दावर नेता पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू 15 साल बाद समाजवादी पार्टी में लौट आए हैं। पिता की हत्या के बाद 2002 में चंद्रभद्र ने सपा के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव जीता। 2007 में फिर सपा के टिकट पर लड़ा और जीत हासिल की। किंतु उस समय प्रदेश में बसपा सरकार थी और सोनू सिंह ने 2009 में सपा और विधानसभा की सदस्यता दोनों छोड़ दी। उप चुनाव में वे बसपा के सिंबल पर मैदान में उतरे और जीत हासिल की। इसके बाद वे कई चुनाव लड़े लेकिन नजदीकी मुकाबालों में पराजय ही हाथ लगी।
पांच साल केवल मेरे पीछे पड़ी रहीः सोनू
सपा कार्यालय में प्रेसवार्ता में चंद्रभद्र सिंह सोनू ने कहा कि पांच साल वरुण गांधी सांसद रहे और पांच साल मेनका गांधी रही। इन 10 सालों में कोई काम नहीं हुआ। बीते पांच साल से मेनका जी केवल मेरे पीछे ही पड़ी रही। अब प्रधानों को धमकाया जा रहा है कि चुनाव बाद देख लेंगे, इस तरह कोई समर्थन थोड़ी देगा। उन्होंने कहा कि चुनाव हारने के बाद न तो मैंने जिला छोड़ न ही अपनो को। पूरे जिले में मेरे अपने लोग है। सब गठबंधन को समर्थन देंगे अब। बीते चुनाव में कांग्रेस के करीब 45 हजार वोट भी इस बार गठबंधन में आ रहा है। निषाद वोट और मेरे व्यक्तिगत वोट भी मिलेंगे। इसलिए सपा चुनाव जीत रही है।
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