Gonda fortuner accident: गम और गुस्से में निंदूरा गांव, घरों में नहीं जले चूल्हे, पिता बोले-हादसे में मेरी दुनिया उजड़ गई  

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Published By Jagat Mishra
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परिवार बदहवास, हादसे के दूसरे दिन भी परिजनों की चीत्कार से टूटता रहा सन्नाटा

उमानाथ तिवारी/ गोंडा, अमृत विचार। करनैलगंज कोतवाली क्षेत्र में बुधवार को हुए सड़क हादसे के बाद घटना के दूसरे दिन भी निंदूरा गांव सन्नाटे में डूबा रहा। एक ही परिवार के दो युवकों को खोने के दुख से परिजन बदहवाश रहे। रह रह कर महिलाओं की चीत्कार से सन्नाटा टूटता रहा। गांव के लोग परिजनों को ढाढस बंधा रहे थे लेकिन परिजनों की सिसकारियां रुक हे नहीं रही हैं। गुरुवार को पूरा गांव गम और गुस्से में रहा। किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। हर शख्स इस हादसे के दोषियों को कोसता दिखा। 

कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे व भाजपा प्रत्याशी करण भूषण सिंह के काफिले में शामिल पुलिस स्कॉर्ट लिखी फार्च्यूनर कार से कुचलकर बुधवार को निंदूरा गांव के रहने वाले रेहान (17) व शहजाद (24) की मौत हो गयी थी। हादसा निंदूरा गांव से करीब पांच किमी दूर छितईपुरवा गांव के समीप उस वक्त हुआ था जब रेहान और शहजाद दवा लेने के लिए करनैलगंज बाजार जा रहे थे। पोस्टमार्टम के बाद बुधवार की शाम को ही दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। घटना के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को निंदूरा गांव में मातमी संन्नाटा पसरा रहा। पूरे गांव गम और गुस्से में दिखाई दिया। इस दर्दनाक घटना के बाद गांव के किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। शहजाद के पिता आजाद खान घर के बाहर बदहवाश हालत में बैठे थे। बेटों को खोने के गम में महिलाएं करुण क्रंदन कर रही थी। गांव के दूसरे लोग उन्हे यह कहकर दिलासा देते कि होनी को यही मंजूर था तो कुछ देर के लिए माहौल में सन्नाटा छा जाता लेकिन कुछ ही क्षण के बाद फिर वहीं रोने चिल्लाने की आवाज से माहौल गमगीन हो जाता। गांव के हर व्यक्ति हादसे के लिए करन भूषण के काफिले को दोषी ठहरा रहा था। सबके जबान पर बस एक की बात थी कि अगर काफिले में शामिल लोग अपने वाहनों को धीमी रफ्तार से चलाते तो यह हादसा नहीं होता।

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मृतक शहजाद के पिता आजाद खां ने कहा शहजाद घर का बड़ा बेटा होने के साथ परिवार का कमाऊ सदस्य था। अन्य दो बेटे अमजद (16) व आसिर (12) अभी छोटे हैं। उसकी पांच बहनें मोनी, मंतसा, नगमा, साईना, जैनब भी हैं। शहजाद पर भाइयों के साथ पांच बहनों की भी जिम्मेदारी थी। वह सउदी अरब में रहकर नौकरी कर रहा था। मंगलवार को ही वह सउदी अरब से अपने गांव लौटा था। बुधवार की सुबह जब वह रेहान को लेकर निकला थे कहकर गया था कि अभी दवा लेकर थोड़ी देर में लौट आयेगा लेकिन क्या पता था कि शहजाद अब कभी नहीं लौटेगा। आजाद खां ने कहा कि उन्हे न्याय चाहिए। हादसे में उनकी तो दुनिया ही उजड़ गयी लेकिन इसके लिए जो लोग भी जिम्मेदार हैं उनपर प्रभावी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि फिर किसी परिवार को अपना बेटा या भाई न खोना पड़े। 

परिवार का एकलौता चिराग था रेहान
हादसे में जान गंवाने वाला रेहान आजाद खां के भाई जावेद उर्फ अजमेरी का बेटा था। अजमेरी भी सउदी अरब में रहते हैं। रेहान अपने मां बाप की एकलौता बेटा था। रेहान की चार बहनें शिफा, इंशा, जिया व सिजरा हैं। रेहान अभी नौवीं कक्षा में पढ़ रहा था। रेहान की मौत ने उसकी मां और बहनों को बदहवास कर दिया है। वह पागलों की तरह अपने घर के चिराग को तलाश रही हैं। हर आने जाने वाले से रेहान का पता पूछ रही हैं। उनकी हालत देख हर किसी की आंख भर जा रही है‌। 

सांत्वना देने पहुंच रहे जन प्रतिनिधि, बंधा रहे ढाढस
हादसे के बाद राजनैतिक दलों के जन प्रतिनिधि निंदूरा गांव पहुंच रहे हैं और शोक संतप्त परिजनों को ढाढस बंधा रहे हैं। गुरुवार को कैसरगंज सपा प्रत्याशी भगतराम मिश्र ने पीडित परिवार से मुलाकात की और उन्हे सांत्वना दी। सपा नेता ने पीडित परिवारों को 50-50, लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग प्रदेश सरकार से की है‌। वहीं कांग्रेस नेता त्रिलोकीनाथ तिवारी ने भी पीड़ित परिवार से मिलकर उन्हे ढाढस बंधाया।

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