प्रयागराज : दस्तावेज फर्जी पाए जाने पर ही बयाना राशि जब्त की जा सकती है
अमृत विचार, प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खनन पट्टे के लिए जमा की गई बयाना राशि को जब्त करना गलत मानते हुए कहा कि खनन पट्टे के लिए जमा की गई बयाना राशि तभी जब्त की जा सकती है, जब जांच के दौरान किसी व्यक्ति के दस्तावेज झूठे या फर्जी पाए जाएं। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने मेसर्स प्रज्ञासन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड की याचिका को स्वीकार करते हुए विपक्षियों को 90 लाख रुपए की बयाना राशि वापस करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि शासनादेश दिनांक 9 अक्टूबर 2017 के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य में किसी भी व्यक्ति को 50 हेक्टेयर से अधिक कुल क्षेत्रफल के लिए दो से अधिक खनन पट्टे नहीं दिए जा सकते हैं। उक्त शर्त का उल्लंघन होने पर अंतिम पट्टा निरस्त कर दिया जाता है और उसके लिए जमा की गई बयाना राशि जब्त कर ली जाती है।
अगर आवेदक को दो या दो से अधिक खनन पट्टों के लिए दो आशय पत्र जारी किए गए हैं या उनके क्षेत्रफल 50 हेक्टेयर से अधिक हैं तो उसे किसी भी खनन क्षेत्र को चुनने का अधिकार होगा और शेष के लिए जमा की गई राशि सत्यापन के बाद वापस कर दी जाएगी। मौजूदा मामले में याची ने पहले ही अधिकारियों को दो पट्टों के अपने विकल्प के बारे में सूचित कर दिया था। ऐसे में 90 लाख रुपए की बयाना राशि का जब्तीकरण बर्दाश्त करने योग्य नहीं है। अतः कोर्ट ने विपक्षियों को याची द्वारा जमा की गई राशि लौटने का निर्देश दिया।
