हरी खाद उगाकर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ रहे किसान, रासायनिक खादों के प्रयोग से घट रही उत्पादन क्षमता

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Published By Muskan Dixit
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(काशीनाथ दीक्षित) दरियाबाद/बाराबंकी, अमृत विचारः लगातार खेतों में हो रही फसलों की बुवाई व पोषक तत्व लेने वाली फसलों को उगाने से खेतों की उर्वरा शक्ति घटती जा रही है। रासायनिक खादों व जहरीली दवाओं के प्रयोग तथा पर्याप्त मात्रा में कार्बनिक खाद न डालने व फसल अवशेषों को खेतों में जलाने से भूमि की उत्पादकता घट रही  है। इसलिए हरी खाद के रुप में ढैंचा उगाकर खेतों की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने को लेकर किसानों ने अब खेतों में हरी खाद का प्रयोग करना शुरु कर दिया है। 

भूमि बनेगी उपजाऊ
लगातार धान, गेहूं, पिपरमेंट आदि ज्यादा पोषक तत्व लेने वाली फसलों को उगाने से भूमि की उर्वरा शक्ति घटती जा रही है। रासायनिक खादों के असंतुलित प्रयोग तथा पर्याप्त मात्रा में कार्बनिक खाद न डालने तथा फसल अवशेषों को खेतों में जला देने से घट रही खेतों की उत्पादकता को लेकर चिंतित किसानों ने खेतों में हरी खाद के रुप में ढैंचा उगाकर भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ा रहे हैं। 

आधे दाम पर मिलेगी हरी खाद 

स्थानीय कृषि इकाई पर आधे अनुदान पर मिलने वाली सबसे सस्ती हरी खाद के स्रोत ढैंचा को मई और जून के प्रथम सप्ताह में या मानसून आने पर उगा कर बेहतरीन हरी खाद बनाई जा सकती है। इससे भूमि में जीवांश में बढ़ोतरी भूमि, जल संरक्षण तथा पोषक तत्व को बचाया जा सकता है। कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ढैंचा की हरी खाद से फास्फोरस, पोटाश, सल्फर, कैलशियम मैग्निशियम, लोहा, तांबा, जस्ता, मैग्नीज आदि आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व मिलने से भूमि उपजाऊ बन जाती है। ढैंचा की हरी खाद से 22 से 30 किलोग्राम नाइट्रोजन भी प्रति एकड़ मिलता है। इससे भूमि की संरचना सुधरती है। हरी खाद के बाद लगाई जाने वाली फसलों में नाइट्रोजन वाले उर्वरकों की एक तिहाई मात्रा तक कम कर सकते हैं। ढैंचा का बीज हरि खाद के लिए प्रतिवर्ष लगभग 50 प्रतिशत अनुदान पर दिया जाता है।
दरियाबाद के कृषि इकाई प्रभारी उमेश सिंह ने बताया  कि भूमि की उर्वरक शक्ति बढ़ाने के लिए जैविक ढैचा से तैयार की गई हरी खाद खेत की उर्वरक शक्ति को काफी ज्यादा बढ़ा देती है और इसकी पैदावार भी खेत की उर्वरक क्षमता को बढ़ाती है। इसके पौधे जमीन में नाइट्रोजन की पूर्ति करते हैं। क्षेत्र में लगभग 40 हेक्टेयर की खेती किसान उर्वरक शक्ति बढ़ाने को लेकर की है। आधे अनुदान पर कृषि इकाई पर ढैचा दिया जाता है।

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