Auraiya के पूर्व समाज कल्याण अधिकारी बर्खास्त, वर्तमान में महराजगंज में तैनात...65 लाख के वृद्धावस्था पेंशन घोटाले में आया था नाम
औरैया के पूर्व समाज कल्याण अधिकारी बर्खास्त
औरैया, अमृत विचार। शासन ने भ्रष्टाचार और कार्य में लापरवाही के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के मद्देनजर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। 65 लाख के वृद्धावस्था पेंशन घोटाले के दोषी महराजगंज के समाज कल्याण अधिकारी शंकर लाल की सेवा समाप्त कर दी गई है। यह घोटाला औरैया में उनकी तैनाती के दौरान हुआ था। इतना ही नहीं, वसूली के भी आदेश जारी हुए है।
शासन को भेजी गई थी रिपोर्ट
सितंबर 2021 में वृद्धावस्था पेंशन के 558 लाभार्थियों के खाते बदलकर 65 लाख 22 हजार रुपये गबन का मामला सामने आया था। जांच में तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी शंकर लाल समेत छह अफसरों-कर्मियों को आरोपी माना गया था। जांच में कई ऐसे तथ्य मिले, जिससे पेंशन में घोटाले की पुष्टि हुई थी।
सीडीओ अनिल सिंह ने बताया कि जांच में समाज कल्याण अधिकारी को दोषी पाए जाने पर रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। राज्यपाल की ओर से मार्च में पत्र भेजा गया था। जिसमें 15 जून को दोषी समाज कल्याण अधिकारी को सेवानिवृत कर दिए जाने का आदेश है। शासन की ओर से घोटाले की धनराशि रिकवरी के आदेश भी दिए हैं।
यह था पूरा मामला
पेंशन घोटाले की जांच के लिये शासन ने गठित की थी टीम
वृद्धावस्था पेंशन में हुए 65 लाख रुपए के घोटाले की जांच के लिए शासन से तीन सदस्यीय टीम गठित हुई थी। जिसमें एक उप निदेशक व दो आडिटर शामिल किए गए थे। घोटाला उजागर होने के बाद से ही इस पर लीपापोती की कोशिश की गई थी।
मगर यह मामला डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या व समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण तक पहुंचने के बाद गरमाया था। शासन से जांच टीम गठित हुई थी। जिसने जांच कर अपनी रिपोर्ट शासन को दी थी। बता दें कि वर्ष 2017 से 2021 तक वृद्धावस्था पेंशन के 558 लाभार्थियों के खाते बदलकर 65 लाख 82 हजार सात सौ रुपए का घोटला हुआ था।
सीडीओ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि दिसंबर 2021 में हुई जांच में तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी शंकर लाल, भगवान सिंह,विनीत कुमार और आवेश कुमार के साथ ही कार्यालय के लिपिक अभिनव, अलकेश सिंह और श्रीराम को दोषी पाया गया था।
डिप्टी सीएम व समाज कल्याण मंत्री से हुई थी शिकायत
जिले में वृद्धावस्था पेंशन घोटाले की शिकायत डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या व समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण से हुई थी। इसके बाद इस मामले में शासन स्तर से कमेटी गठित हुई और जांच शुरू हुई। शासन की टीम ने जांच कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी।
समाज कल्याण अधिकारी भगवान दीन रिटायर हो चुके हैं। जबकि विनीत कुमार पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी थे। समाज कल्याण का उन पर चार्ज था। इसी तरह आवेश कुमार जिला कृषि अधिकारी थे। उन पर भी समाज कल्याण विभाग का चार्ज था। जांच में उन पर जितनी रकम तय की गई। दोनों ने जमा करा दिया था। जबकि शंकर लाल के खिलाफ शासन को रिपोर्ट भेजी थी।
मोबाइल नंबरों में हुआ था गेम
जिला समाज कल्याण में बड़ी सफाई के साथ घोटाला किया जा रहा था। लाभार्थियों के फर्जी खातों के साथ मोबाइल नंबरों में भी गेम किया गया। पहली लिस्ट में 99 लाभार्थियों के मोबाइल नंबर एक ही सीरीज से थे। जबकि दूसरी लिस्ट में 151 खातों में मौबाइल नंबर दर्ज नहीं थे। तीसरी सूची में 120 खातों में लगाए गए मोबाइल नंबर फिर एक ही सीरीज के थे। जो कि संभव नहीं है। भ्रष्टाचार करने वालों ने सही लाभार्थियों को फोन ना किया जा सके। इसलिए यह तरकीब अपनाई।
चहेतों के खातों में भेजे गए थे 25 लाख
शासन की ओर से वर्ष 2020-21 में अनुसूचित जाति अत्याचार मद में 3 करोड रुपए आवंटित हुए। जिसमें पटल सहायक ने कई पीड़ितों के खाते बदलकर 25 लाख रुपए की हेरा फेरी की। जिसमें मुख्य विकास अधिकारी व कोषाधिकारी को अभिलेखों की जांच करने के लिए कहा गया।
आवेदन करने वाले लाभार्थियों की सूची के अलावा आवंटित बजट व कोषागार में भेजे गए नामों का मिलान किया गया। जांच में पता चला कि कर्मचारियों ने सांठ गांठ कर चहेतो के खातों में लाखों रुपए भेज दिए।
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