अयोध्या: बदलाव के लिए तैयार हो रही पुलिस कर्मियों की फौज-मुंशी दीवान को दिया जा रहा प्रशिक्षण

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Published By Jagat Mishra
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अयोध्या, अमृत विचार। अपराध और न्यायिक प्रक्रिया के क्षेत्र में एक जुलाई से लागू हो रहे तीनों कानूनों को सुचारु पूर्वक धरातल पर उतारने तथा कानून का अनुपालन कराने के लिए पुलिस कर्मियों की फौज तैयार हो रही है। प्रस्तावित बदलाव को लेकर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र से शुरू हुआ प्रशिक्षण अब जिला स्तर पर पहुंच गया है और वर्तमान में थाना-कोतवाली में तैनात दीवान और मुंशी को इन कानूनों की बारीकियां तथा विभिन्न धाराओं की जानकारी दी जा रही है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद परीक्षा भी कराई जाएगी।  

गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से इंडियन पैनल कोड (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य संहिता लागू किया जा रहा है। तीनों नए कानूनों को सुचारु ढंग से लागू कराने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश में प्रदेश में चरणवार प्रशिक्षण प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसके तहत पुलिस प्रशिक्षण केंद्र मुरादाबाद और सीतापुर में चुनिंदा निरीक्षकों का प्रशिक्षण कराया गया था और फिर प्रशिक्षित विशेषज्ञों को शेष निरीक्षकों, उपनिरीक्षकों व दीवान-मुंशी को प्रशिक्षित करने का जिम्मा दिया गया था। जिले से लेकर चुनिंदा जिलों में निरीक्षकों-उपनिरीक्षकों का प्रशिक्षण चला और अब पुलिस लाइन में दीवान-मुंशी को प्रशिक्षित किया जा रहा है।  

पुलिस लाइन के प्रतिसार निरीक्षक बृजेन्द्र सिंह का कहना है कि थाना व कोतवाली के दीवान को विशेषज्ञों की ओर से तीनों नए कानूनों का प्रशिक्षण दिया गया है। निरीक्षक और उपनिरीक्षक पहले ही प्रशिक्षण के लिए भेजे गए थे।  

फिर हुई जीरो एफआईआर की व्यवस्था 
ऑनलाइन एफआईआर की व्यवस्था के पहले पुलिस विभाग में जीरो एफआईआर की व्यवस्था थी, अर्थात पीड़ित देश के किसी हिस्से में थाना क्षेत्राधिकार न होने के बावजूद रिपोर्ट दर्ज करा सकता था और इस दर्ज रिपोर्ट को पुलिस की ओर से घटना से जुड़े थाने को स्थानांतरित किया जाता था, जहां एफआईआर को एक नंबर जारी कर विवेचना की जाती थी। हालांकि पुलिस में सीसीटीएनएस के पोर्टल पर ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज होनी शुरू हुई तो यह व्यवस्था व्यवहारिक रूप से बंद हो गई।  एक जुलाई से लागू हो रहे नए कानून में जीरो एफआईआर के लिए क़ानूनी प्राविधान किया गया है। साथ ही अब मेल अथवा ऑनलाइन रिपोर्ट भी दर्ज कराई जा सकेगी। पुलिस के लिए डिजिटल रूप से मिली शिकायत को 72 घंटे के भीतर एफआईआर के रूप में दर्ज करना बाध्यकारी किया गया है।  

अब किसी धारा के साथ नहीं लगेगी ए, बी, सी, डी....  
भारतीय न्याय संहिता में कई धाराओं की उपधाराओं को समाहित अथवा विलोपित किया गया है, जिसके चलते अब दर्ज एफआईआर में किसी  धारा के साथ ए, बी, सी, डी... लिखा नजर नहीं आएगा। जैसे पहले आबरू पर हमले, दुष्कर्म, गैर इरादतन व दहेज हत्या आदि में ए,बी,सी,डी का उल्लेख आता था। नए कानून में छिनैती के लिए अलग से धारा का प्राविधान किया गया है तथा इस दौरान गंभीर चोट या स्थाई विकलांगता पर सजा कठोर की गई है। बालकों से जुड़े अपराध और हिट एंड रन मामले में मौत होने पर भी कड़े दंड का प्राविधान हुआ है।  

अब हथकड़ी का रस्सी पकड़े नजर आएगी पुलिस 
मानवाधिकार के चलते आरोपी को हथकड़ी लगाने का निषेध किया गया था, हथकड़ी लगाने के लिए कारण बता मजिस्ट्रेट से पूर्व अनुमति की बाध्यता की गई थी। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में फिर से हथकड़ी लगाने का प्राविधान किया गया है। अब पुलिस गिरफ्तारी या अदालत में पेश करते समय आरोपी को हथकड़ी लगा सकेगी, बशर्ते वह आदतन अपराधी हो, पहले हिरासत से भाग चुका हो, आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा हो अथवा ड्रग्स, हत्या, रेप, एसिड अटैक, मानव तस्करी, बच्चों के यौन शोषण जैसे गंभीर अपराधों का आरोपी हो।

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